भोपाल। बसपा की बैशाखी पर टिकी मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को बीएसपी प्रमुख मायावती ने समर्थन वापस लेने की धमकी दी है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस को खरी-खोटी भी सुनाई है. मायावती ने ट्विटर पर लिखा, सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामले में कांग्रेस भी बीजेपी से कम नहीं है, एमपी के गुना लोकसभा सीट पर बीएसपी उम्मीदवार को कांग्रेस ने डरा-धमकाकर जबरन बैठा दिया है, किन्तु बीएसपी अपने सिम्बल पर ही लड़कर इसका जवाब देगी. साथ ही कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर भी पुनर्विचार करेगी.
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साथ ही, यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि बीजेपी भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है। अतः लोगों का यह मानना सही है कि बीजेपी को केवल हमारा गठबंधन ही हरा सकता है। लोग सावधान रहें।
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— Mayawati (@Mayawati) April 30, 2019
साथ ही अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि बीजेपी भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, ये कांग्रेस पार्टी की जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है. अतः लोगों का ये मानना सही है कि बीजेपी को केवल हमारा गठबंधन ही हरा सकता है, लोग सावधान रहें. इस धमकी के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. बीजेपी भी चाहती है कि किसी भी तरह से गठबंधन में दरार पड़े या विपक्षी पार्टियां अलग-थलग पड़ जायें क्योंकि विपक्ष की एकता बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.
मध्यप्रदेश की पथरिया विधानसभा सीट से बसपा विधायक रामबाई पहले ही सरकार में शामिल नहीं किये जाने से खफा हैं. ऊपर से मायावती की ये धमकी उनकी दुखती रग पर मरहम की तरह महसूस करा रहा है. हालांकि, लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्यप्रदेश की छह सीटों पर मतदान हो चुका है, लेकिन यूपी की सीमा से सटे संसदीय क्षेत्रों में 12 मई को मतदान होना है, सीमाई क्षेत्रों में सपा-बसपा का भी जनाधार है, ऐसे में मायावती की ये धमकी कांग्रेस को ऐन वक्त पर मुश्किल में डाल सकती है.
यदि मायावती समर्थन वापस लेती हैं तो कमलनाथ सरकार मुश्किल में पड़ सकती है, हालांकि, कमलनाथ का सियासी कौशल इस परेशानी से निपटने का माद्दा रखता है. मध्यप्रदेश में इस समय कांग्रेस के 114 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 109 विधायक हैं. इसके अलावा दो बसपा, चार निर्दलीय और एक विधायक समाजवादी पार्टी से है. इनमें से चारों निर्दलीय ऐसे हैं जो कांग्रेस से ही बगावत करके चुनाव जीते हैं. अब कमलनाथ सरकार के पास 114+4+2+1=121 विधायकों का समर्थन है और 109 विधायकों के साथ बीजेपी विपक्ष की भूमिका में है.
गौरलतब है कि बीते दिनों गुना से बसपा के अधिकृत प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह ने सिंधिया को अपना समर्थन देते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था, चुनाव से कुछ ही दिन पहले हुए इस बदलाव ने बसपा को क्रोधित कर दिया. गुना में सिंधिया का मुकाबला बीजेपी के केपी यादव से है. जोकि कुछ दिन पहले तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही करीबी थे. हालांकि, अब कांग्रेस की ये सीट लगभग पक्की मानी जा रही है.