गुना। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बेरखेड़ी ग्राम निवासी प्रसूता रानी गोड आदिवासी को प्रसव पीड़ा के चलते जिला चिकित्सालय लाया जा रहा था. जिला चिकित्सालय पहुंचने के पहले ही रानी ने 2 बच्चों को जन्म दे दिया. दोनों बच्चों की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय पहुंचने के बाद जच्चा वार्ड में दो और बच्चों को जन्म दिया. जिला अस्पताल में जन्म के कुछ घंटों बाद ही दो बच्चों की मौत हो गई.
दरअसल जच्चा वार्ड में जन्में दो बच्चों की धड़कने कम चल रही थीं. जिसके चलते दोनों बच्चों को जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में रखा था. प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कारण चारों की मौत हो गई. डॉ आराधना विजयवर्गीय ने बताया कि प्रसूता रानी गोड आदिवासी को साडे़ 6 माह का गर्भ था. रानी की आयरन की टेबलेट भी चल रही थी. सोनोग्राफी के आधार पर बच्चे 26 हफ्ते के रहे होंगे. लेकिन बच्चों के वजन बहुत कम था.
रानी को जिला चिकित्सालय लाते वक्त पहला बच्चा फतेहगढ़ में हो गया था. दूसरा बच्चा जिला चिकित्सालय पहुंचने के कुछ देर पहले हुआ. पहले बच्चे का वजन मात्र 500 ग्राम और दूसरा बच्चा 600 ग्राम का था. दोनों ही बच्चों की दिल की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय में जन्में 2 बच्चों की दिल की धड़कन चल रही थी जिन्हें एसएनसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया था. लेकिन कुछ घंटों बाद दी दोनों बच्चों की मौत हो गई.