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प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते 4 नवजात शिशुओं की मौत - premature delivery

गुना के बेरखेड़ी ग्राम निवासी प्रसूता रानी गोड आदिवासी ने प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते चार मृत बच्चों को जन्म दिया है.

प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते 4 नवजात शिशुओं की मौत
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Published : Nov 3, 2019, 8:20 PM IST

गुना। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बेरखेड़ी ग्राम निवासी प्रसूता रानी गोड आदिवासी को प्रसव पीड़ा के चलते जिला चिकित्सालय लाया जा रहा था. जिला चिकित्सालय पहुंचने के पहले ही रानी ने 2 बच्चों को जन्म दे दिया. दोनों बच्चों की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय पहुंचने के बाद जच्चा वार्ड में दो और बच्चों को जन्म दिया. जिला अस्पताल में जन्म के कुछ घंटों बाद ही दो बच्चों की मौत हो गई.

प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते 4 नवजात शिशुओं की मौत


दरअसल जच्चा वार्ड में जन्में दो बच्चों की धड़कने कम चल रही थीं. जिसके चलते दोनों बच्चों को जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में रखा था. प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कारण चारों की मौत हो गई. डॉ आराधना विजयवर्गीय ने बताया कि प्रसूता रानी गोड आदिवासी को साडे़ 6 माह का गर्भ था. रानी की आयरन की टेबलेट भी चल रही थी. सोनोग्राफी के आधार पर बच्चे 26 हफ्ते के रहे होंगे. लेकिन बच्चों के वजन बहुत कम था.


रानी को जिला चिकित्सालय लाते वक्त पहला बच्चा फतेहगढ़ में हो गया था. दूसरा बच्चा जिला चिकित्सालय पहुंचने के कुछ देर पहले हुआ. पहले बच्चे का वजन मात्र 500 ग्राम और दूसरा बच्चा 600 ग्राम का था. दोनों ही बच्चों की दिल की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय में जन्में 2 बच्चों की दिल की धड़कन चल रही थी जिन्हें एसएनसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया था. लेकिन कुछ घंटों बाद दी दोनों बच्चों की मौत हो गई.

गुना। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बेरखेड़ी ग्राम निवासी प्रसूता रानी गोड आदिवासी को प्रसव पीड़ा के चलते जिला चिकित्सालय लाया जा रहा था. जिला चिकित्सालय पहुंचने के पहले ही रानी ने 2 बच्चों को जन्म दे दिया. दोनों बच्चों की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय पहुंचने के बाद जच्चा वार्ड में दो और बच्चों को जन्म दिया. जिला अस्पताल में जन्म के कुछ घंटों बाद ही दो बच्चों की मौत हो गई.

प्रीमेच्योर डिलीवरी के चलते 4 नवजात शिशुओं की मौत


दरअसल जच्चा वार्ड में जन्में दो बच्चों की धड़कने कम चल रही थीं. जिसके चलते दोनों बच्चों को जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में रखा था. प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कारण चारों की मौत हो गई. डॉ आराधना विजयवर्गीय ने बताया कि प्रसूता रानी गोड आदिवासी को साडे़ 6 माह का गर्भ था. रानी की आयरन की टेबलेट भी चल रही थी. सोनोग्राफी के आधार पर बच्चे 26 हफ्ते के रहे होंगे. लेकिन बच्चों के वजन बहुत कम था.


रानी को जिला चिकित्सालय लाते वक्त पहला बच्चा फतेहगढ़ में हो गया था. दूसरा बच्चा जिला चिकित्सालय पहुंचने के कुछ देर पहले हुआ. पहले बच्चे का वजन मात्र 500 ग्राम और दूसरा बच्चा 600 ग्राम का था. दोनों ही बच्चों की दिल की धड़कन नहीं थी. वहीं जिला चिकित्सालय में जन्में 2 बच्चों की दिल की धड़कन चल रही थी जिन्हें एसएनसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया था. लेकिन कुछ घंटों बाद दी दोनों बच्चों की मौत हो गई.

Intro:जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर बेरखेड़ी गांव निवासी प्रसूता श्रीमती रानी गोड आदिवासी को प्रसव पीड़ा के चलते जिला चिकित्सालय लाया जा रहा था तभी बेरखेड़ी गांव पर उन्होंने 2 बच्चों को जन्म दिया और जिला चिकित्सालय आने के बाद जच्चा वार्ड में दो बच्चों को और जन्म दिया उक्त चारों बच्चों की मौत जिला अस्पताल में जन्म होने के कुछ घंटों के पश्चात हो गई दरअसल प्रसूता श्रीमती रानी पत्नी हुकुम सिंह गोड आदिवासी को 4 बच्चे हुए थे दो मृत पैदा हुए और दो की धड़कन कम चल रही थी Body:जिन्हें जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में रखा था कम समय के बच्चे थे इस कारण चारों की मौत हो गई। डॉ आराधना विजयवर्गीय का कहना है की साडे 6 माह का गर्भ था मरीज की आयरन की टेबलेट भी चल रही थी सोनोग्राफी के आधार पर यह कहा जा सकता है बच्चे 26 हफ्ते के रहे होंगे लेकिन बच्चों के वजन बहुत कम थे पहला बच्चा फतेहगढ़ में हो गया था Conclusion:दूसरा बच्चा जिला चिकित्सालय के हुआ पहले बच्चे का वजन मात्र 500 ग्राम था दूसरा बच्चा 600 ग्राम का था दोनों बच्चों की दिल की धड़कन नहीं थी बाकी के 2 बच्चों की दिल की धड़कन चल रही थी तो उन्हें एसएनसीयू आई में शिफ्ट कर दिया था।

बाईट:-कालिया बाई प्रसूता की सास।

बाईट:- आराधना विजयवर्गीय महिला चिकित्सक जिला अस्पताल।
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