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संध्या महाआरती के दौरान आधा सैकड़ा महिलाएं खेलने लगी भाव, जानिए फिर क्या हुआ

नूनखांन गांव में मां भगवती का मनोरम पंडाल सजाया गया. यहां संध्या आरती के दौरान आधा सैकड़ा महिलाओं को भाव आने लगा, जिसके बाद पंडा ने जल छिड़कर उन्हें शांत कराया.

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Published : Oct 7, 2019, 4:19 AM IST

आधा सैकड़ा महिलाएओं को आए भाव


डिंडौरी। नवरात्रि की अष्टमी के मौके पर नूनखांन गांव में मां भगवती का मनोरम पंडाल सजाया गया. इस दौरान संध्या महाआरती के साथ भजन संध्या का आयोजन किया. जिसमें भारी संख्या में भक्त शामिल हुए. विक्रमपुर चौकी क्षेत्र अंतर्गत नूनखांन गांव में रखी गई देवी प्रतिमा की झांकी में हुई आरती के बाद छत्तीसगढ़ी गीतों को सुनते ही करीब आधा सैकड़ा महिलाओं को अचानक भाव आने लगे.

आधा सैकड़ा महिलाएओं को आए भाव

देखते ही देखते भाव खेलने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी. गाना समापन के बाद मौके पर मौजूद पंडा ने भाव खेल रही महिलाओं पर जल छिड़ककर उन्हें शांत कराया. डिंडौरी में संध्या आरती की रौनक इतनी चमकदार और खूबसूरत होती है कि लोग इसे देखने दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.

खासकर ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे लोग इस पूजा की भव्यता और सुंदरता और बढ़ा देते हैं. चारों ओर उत्सव सहित भजन कीर्तन का माहौल समां बांध देता है. संध्या आरती नौ दिनों तक चलने वाले त्योहार के दौरान रोज शाम को की जाती है. पंडालों में संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी होती है.


डिंडौरी। नवरात्रि की अष्टमी के मौके पर नूनखांन गांव में मां भगवती का मनोरम पंडाल सजाया गया. इस दौरान संध्या महाआरती के साथ भजन संध्या का आयोजन किया. जिसमें भारी संख्या में भक्त शामिल हुए. विक्रमपुर चौकी क्षेत्र अंतर्गत नूनखांन गांव में रखी गई देवी प्रतिमा की झांकी में हुई आरती के बाद छत्तीसगढ़ी गीतों को सुनते ही करीब आधा सैकड़ा महिलाओं को अचानक भाव आने लगे.

आधा सैकड़ा महिलाएओं को आए भाव

देखते ही देखते भाव खेलने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी. गाना समापन के बाद मौके पर मौजूद पंडा ने भाव खेल रही महिलाओं पर जल छिड़ककर उन्हें शांत कराया. डिंडौरी में संध्या आरती की रौनक इतनी चमकदार और खूबसूरत होती है कि लोग इसे देखने दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.

खासकर ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे लोग इस पूजा की भव्यता और सुंदरता और बढ़ा देते हैं. चारों ओर उत्सव सहित भजन कीर्तन का माहौल समां बांध देता है. संध्या आरती नौ दिनों तक चलने वाले त्योहार के दौरान रोज शाम को की जाती है. पंडालों में संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी होती है.

Intro:एंकर _ दुर्गा पूजा भारत में हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के दौरान 9 दिनों के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि के छठे दिन से लेकर नौवें दिन तक मां दुर्गा के विशाल पंडाल दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते हैं।डिंडौरी जिले के विक्रमपुर चौकी क्षेत्र अंतर्गत नूनखांन गाँव मे देवी प्रतिमा रखी गई जहाँ अष्टमी की महाआरती के बाद भजन संध्या का आयोजन किया गया।इस भजन संध्या में दूर दराज के ग्रामीण भजन सुनने बड़ी संख्या में पहुँचे। वही छत्तीसगढ़ी गीतों को सुनते ही लगभग आधा सैकड़ा महिलाओ को भाव आने लगे देखते ही देखते तादात भाव खेलने वालों की बढ़ने लगी ।वही गाना समापन के बाद ही पंडा को भाव खेलने वाली महिलाओ को बड़ी मशक्कत के बाद जल छिड़क कर शांत करना पड़ा।


Body:षष्ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा पूजा के दौरान डिंडौरी नगर सहित ग्रामीण इलाकों में सड़कों पर लोगों का हुजूम देखने को मिलता है जो एक पंडाल से दूसरे पंडाल के दर्शन करते दिखते हैं। ग्रामीण इलाकों में दुर्गा पूजा का एक अलग ही महत्व है। वहां के लोग इस त्योहार का साल भी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इस दौरान भजन कीर्तन रात्रि जगराता होता हैं और दुर्गा पूजा के दौरान कई चीज़ों का अपना अलग ही महत्व होता है। उनमें से एक है संध्या आरती।

क्या होती है अष्टमी की संध्या आरती

संध्या आरती का इस दौरान खास महत्व है। डिंडौरी में संध्या आरती की रौनक इतनी चमकदार और खूबसूरत होती है कि लोग इसे देखने दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। डिंडौरी में ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे लोग इस पूजा की भव्यता और सुंदरता और बढ़ा देते हैं। चारों ओर उत्सव सहित भजन कीर्तन का माहौल समां बांध देता है। संध्या आरती नौ दिनों तक चलने वाले त्योहार के दौरान रोज शाम को की जाती है। संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी की जाती है।Conclusion:,,,,,,
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