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बांधवगढ़ से आए बाघ का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बना नया ठिकाना - TIGER LEFT IN SATPURA TIGER RESERVE

नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में मंगलवार को एक बाघ को छोड़ा गया. बाघ को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाया गया था.

TIGER LEFT IN SATPURA TIGER RESERVE
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया बाघ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 12 hours ago

नर्मदापुरम: बांधवगढ़ से लाए गए टाइगर को मंगलवार को नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में छोड़ा गया. नए ठिकाने में पहुंचते ही बाघ ने लंबी छलांग लगाई. 3 साल के बाघ को फिलहाल बाड़े में रखकर उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी और बाद में जंगल में छोड़ा जाएगा. एसटीआर के मुताबिक बांधवगढ़ में इस बाघ की मां को नौरादेही शिफ्ट किया गया था. बाघ को बांधवगढ़ में करीब 8 से 10 माह तक इनक्लोजर में रखकर इसकी निगरानी की गई. इसके बाद इसे एसटीआर के खुले जंगल के बाड़े में छोड़ दिया गया.

दरअसल बेहतर जैव विविधता एवं खुले घास के मैदाने के चलते बाघों एवं अन्य वन्यजीवों के लिए अनुकूल है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा समय-समय पर बेहतर कार्य किये जा रहे हैं. एसटीआर के बेहतर प्रबंधन के कारण वन्यजीवों की संख्या यहां पर बढ़ी है. इसी के चलते यहां बायसन, बाघ, चीतल, नीलगाय, भालू सहित अन्य वन्य जीव भी पर्यटकों को लुभा रहे हैं.

छोटा होने की वजह से टाइगर को एंक्लोजर में रखकर की गई निगरानी

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया "टाइगर को मंगलवार सुबह लेकर आए हैं. बांधवगढ़ से लाए गए टाइगर को सतपुड़ा टाइगर के चूरना रेंज में इन क्लोजर में छोड़ा गया है. फिलहाल इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी उसकी कॉलर आईडी वगैरा चेक करके बाद में इसे जंगल में छोड़ा जाएगा. यह बाघ करीब साढ़े तीन साल का है. बांधवगढ़ से इस बाघ की मां को नौरादेही टाइगर रिजर्व ले गए थे. जब यह छोटा था इसे एंक्लोजर में 8 से 10 माह तक रखा गया."

नर्मदापुरम: बांधवगढ़ से लाए गए टाइगर को मंगलवार को नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज में छोड़ा गया. नए ठिकाने में पहुंचते ही बाघ ने लंबी छलांग लगाई. 3 साल के बाघ को फिलहाल बाड़े में रखकर उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी और बाद में जंगल में छोड़ा जाएगा. एसटीआर के मुताबिक बांधवगढ़ में इस बाघ की मां को नौरादेही शिफ्ट किया गया था. बाघ को बांधवगढ़ में करीब 8 से 10 माह तक इनक्लोजर में रखकर इसकी निगरानी की गई. इसके बाद इसे एसटीआर के खुले जंगल के बाड़े में छोड़ दिया गया.

दरअसल बेहतर जैव विविधता एवं खुले घास के मैदाने के चलते बाघों एवं अन्य वन्यजीवों के लिए अनुकूल है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा समय-समय पर बेहतर कार्य किये जा रहे हैं. एसटीआर के बेहतर प्रबंधन के कारण वन्यजीवों की संख्या यहां पर बढ़ी है. इसी के चलते यहां बायसन, बाघ, चीतल, नीलगाय, भालू सहित अन्य वन्य जीव भी पर्यटकों को लुभा रहे हैं.

छोटा होने की वजह से टाइगर को एंक्लोजर में रखकर की गई निगरानी

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने बताया "टाइगर को मंगलवार सुबह लेकर आए हैं. बांधवगढ़ से लाए गए टाइगर को सतपुड़ा टाइगर के चूरना रेंज में इन क्लोजर में छोड़ा गया है. फिलहाल इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी उसकी कॉलर आईडी वगैरा चेक करके बाद में इसे जंगल में छोड़ा जाएगा. यह बाघ करीब साढ़े तीन साल का है. बांधवगढ़ से इस बाघ की मां को नौरादेही टाइगर रिजर्व ले गए थे. जब यह छोटा था इसे एंक्लोजर में 8 से 10 माह तक रखा गया."

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