डिंडौरी। मध्यप्रदेश में गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गौ कैबिनेट का गठन तो कर दिए है, लेकिन इस कैबिनेट की गठन के बाद भी अब तक प्रदेश की गौशालों की न तस्वीर बदली है, और न ही तासीर बदली है, ईटीवी भारत की टीम ने जब डिंडौरी के किसलपुरी गौशाला की जमीनी हकीकत जानने के लिए पहुंची तो वहां के हालात होश उड़ा देने वाले थे. डिजिटल इंडिया के इस दौर में गौशाला में अब तक न तो बिजली पहुंच पाई है, और न ही पानी की सुविधा है. गायों के लिए भूसा, पानी और इलाज की बात तो कोसो दूर है.
कांग्रेस सरकार में बनकर तैयार हुआ था गौशाला
मध्यप्रदेश में पूर्व की कांग्रेस सरकार में 24 फरवरी 2020 को किसलपुरी में 27 लाख 76 हजार रूपये की लागत से बनी गौशाला को महिला समूह द्वारा जैसे तैसे संचालित किया जा रहा है. लेकिन महिलाओं की आर्थिक हालत खराब है, जिन्हें सरकार से मेहनताना के रूप में आर्थिक राशि की दरकार है, ताकि उनका परिवार चल सके.
गौशाला में सुविधाओं की दरकार
ईटीवी भारत की टीम जब ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट जानने के लिए डिंडौरी जिला के किसलपुरी गांव में बनी मां त्रिकूटा गौशाला पहुंची, तो वहां देखा कि उमा बर्मन नामक महिला गौशाला की देखरेख में जुटी थी. जिन्होंने बताया कि वह गौशाला की महिला की अध्यक्ष हैं. उमा बर्मन ने ईटीवी भारत को बताया कि जब से यह गौशाला उन्हे हैंडओवर किया गया है, तब से गौशाला में 12 महिलाओं का समूह काम कर रहा है, लेकिन अब तक उन्हें कोई वेतन नहीं दिया गया है.
'गौशाला में न बिजली न पानी'
गौशाला की हकीकत तो ये है कि वहां न बिजली है, और न ही पानी है. शाम होते ही रात के अंधेरे में चौकीदार को अपना काम करना पड़ता है. उमा बर्मन ने शासन से मांग की है कि उनके समूह की महिलाओं को मासिक वेतन दिया जाए. इसके साथ ही भूसा का बजट 1 लाख 20 हजार रूपये उनके खाते में डाला जाए. ताकि उनका समूह गौशाला को संचालित कर सके. गौशाला में सभी 22 गायों के पानी का इंतजाम करने में लंबे समय का संघर्ष करना पड़ता है.
'आदेश के इंतजार में छाया अंधेरा'
किसलपुरी के सरपंच आत्माराम वनवासी की मानें तो उनका कहना है कि ऐसा कोई बजट या निर्देश नहीं मिला है जिसमें महिला समूह को राशि दी जा सके. एक लाख 20 हजार का भूसा गोदाम में सुरक्षित है. जिसे 22 मवेशियों के लिए रखा गया है. गौशाला में बिजली और पानी की समस्या है जिसके लिए बजट और प्रस्ताव बनाकर जिला पंचायत और जनपद पंचायत समेत बिजली विभाग को दे दिया गया है, और जैसे ही आदेश मिलेगा तो काम शुरू कर दिया जाएगा.
- गौशाला के निर्माण में 27 लाख 76 हजार रूपये खर्च किया गया.
- गौशाला में एक चपरासी और एक चौकीदार मौजूद.
- गौशाला में 12 महिलाएं करती हैं काम.
- गौशाला में कुल 22 गाय मौजूद हैं.
- गौशाला में पानी की कोई सुविधा नहीं है.
- गौशाला में बिजली की कोई सुविधा नहीं है.
- गौशाला में काम करने वाली महिलाओं को नहीं मिल रहा वेतन.
गौशाला में चौंकाने वाले हालात
दरअसल ये हाल अकेला डिंडौरी जिले के गौशाला का नहीं है, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में ऐसी कई गौशालाएं हैं जिनकी हालत बद से बदतर हैं. कहीं गायों की आए दिन मौतें हो रही हैं. तो कहीं गायों को न भोजन मिल रहा है, और न ही पानी मिल रहा है. कई गौशाला में इलाज के अभाव में गायों की मौत हो रही है. भले ही प्रदेश सरकार गौशाला की गायों को लेकर कितने भी दावे कर ले. लेकिन हकीकत कुछ और ही है, अब देखना होगा कि गौ कैबिनेट के बाद प्रदेश में कुछ बदलाव देखने को मिलेगा या फिर हालात जस के तस रहेंगे.