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#MPSEB2019: डिंडौरी के दिव्यांग राजेंद्र कुमार ने प्रदेश में किया टॉप

डिंडौरी जिले के राजेन्द्र कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद 12वीं कक्षा में प्रोविजिनल मेरिट लिस्ट आफ ब्लाइंड मेंटली चेलेंज केंडिडेट में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है.

दिव्यांग राजेंद्र कुमार ने किया टॉप
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Published : May 15, 2019, 9:38 PM IST

डिंडौरी| MP बोर्ड ने आज 10वीं और 12वीं क्लास के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं. डिंडौरी जिले के राजेन्द्र कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद 12वीं कक्षा में प्रोविजिनल मेरिट लिस्ट आफ ब्लाइंड मेंटली चेलेंज की रैंकिंग में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. राजेंद्र कुमार 70 प्रतिशत दिव्यांग हैं.

दिव्यांग राजेंद्र कुमार ने किया टॉप

राजेंद्र कुमार के ने पहला स्थान हासिल कर अपने परिवार समाज और जिले का नाम रोशन किया है. राजेन्द्र आगे चलकर शासकीय नौकरी करना चाहते हैं. राजेंद्र ने 12वीं प्राइवेट एग्जाम देकर 500 में से 422 अंक हासिल किए हैं. राजेन्द्र का कहना है कि वे 10वीं क्लास में दो बार फैल हो चुके थे. लेकिन राजेन्द्र ने हार नहीं मानी और पहले 10वीं पास किया फिर 12वीं क्लास में एग्रीकल्चर विषय लेकर पढ़ाई की. राजेन्द्र बताते हैं कि उन्हें दिन में पढ़ने में कठिनाई नहीं जाती थी, बल्कि रात में कम दिखाई देता था.

राजेन्द्र का कहना है पढ़ाई में उनको भाई और चाचा का भरपूर सहयोग मिला. जिसके चलते वे आज 12वीं क्लास में टॉप 3 में अव्वल रहे. राजेन्द्र आगे कलेक्टर बनना चाहते हैं.

डिंडौरी| MP बोर्ड ने आज 10वीं और 12वीं क्लास के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं. डिंडौरी जिले के राजेन्द्र कुमार ने दिव्यांग होने के बावजूद 12वीं कक्षा में प्रोविजिनल मेरिट लिस्ट आफ ब्लाइंड मेंटली चेलेंज की रैंकिंग में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. राजेंद्र कुमार 70 प्रतिशत दिव्यांग हैं.

दिव्यांग राजेंद्र कुमार ने किया टॉप

राजेंद्र कुमार के ने पहला स्थान हासिल कर अपने परिवार समाज और जिले का नाम रोशन किया है. राजेन्द्र आगे चलकर शासकीय नौकरी करना चाहते हैं. राजेंद्र ने 12वीं प्राइवेट एग्जाम देकर 500 में से 422 अंक हासिल किए हैं. राजेन्द्र का कहना है कि वे 10वीं क्लास में दो बार फैल हो चुके थे. लेकिन राजेन्द्र ने हार नहीं मानी और पहले 10वीं पास किया फिर 12वीं क्लास में एग्रीकल्चर विषय लेकर पढ़ाई की. राजेन्द्र बताते हैं कि उन्हें दिन में पढ़ने में कठिनाई नहीं जाती थी, बल्कि रात में कम दिखाई देता था.

राजेन्द्र का कहना है पढ़ाई में उनको भाई और चाचा का भरपूर सहयोग मिला. जिसके चलते वे आज 12वीं क्लास में टॉप 3 में अव्वल रहे. राजेन्द्र आगे कलेक्टर बनना चाहते हैं.

Intro:एंकर _ मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके हौसले में जान होती है।झुकता इंसान है अकड़ तो मुर्दो की पहचान होती है। जी हाँ ये मुहावरा राजेन्द्र कुमार के ऊपर सटीक बैठता है।राजेन्द्र कुमार जो 70 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद आज 12 वी क्लास की प्रोविजिनल मेरिट लिस्ट आफ ब्लाइंड मेंटली चेलेंज केंडिडेट में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त कर अपने परिवार समाज और जिले का नाम रौशन किया है। राजेन्द्र की इस उपलब्धि पर पूरा परिवार गौरवान्वित है। राजेन्द्र आगे चलकर शासकीय नोकरी करना चाहता है।आप को जानकर हैरानी होगी कि इसके पहले राजेन्द्र 2 बार 10 वी में फैल हो चुके थे लेकिन राजेन्द्र ने हार नही मानी और लगातार मेहनत कर 12 वी प्राइवेट एग्जाम देकर 500 अंक में 422 अंक हासिल कर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया।वही राजेन्द्र की इस उपलब्धि पर उंसके परिजन फूले नही समा रहे और मुह मीठा कराकर अपनी खुसी का इजहार किया।


Body:वि ओ 01 _ राजेन्द्र कुमार बिलागर मूलतः घानाघाट गांव के कृषक ज्ञान सिंह के बड़े बेटे है जो बचपन से ही आँखों से दिव्यांग है । 70 प्रतिशत दिव्यांग होने के चलते राजेन्द्र को पढ़ाई में खासी दिक्कते आती थी।राजेन्द्र की माने तो वे 10 वी क्लास में दो बार फैल हो चुके थे ।फैल होने के चलते राजेन्द्र के मन मे तरह तरह के ख्याल आते थे।लेकिन राजेन्द्र ने हार नही मानी और रुक जाना नही में दोबारा फार्म भरके पहले 10 वी पास किया फिर 12 वी क्लास में एग्रीकल्चर विषय लेकर लगन के साथ दिन में 4 से 5 घंटे पढ़ाई कर 422 अंक हासिल किया।राजेन्द्र बताते है कि उन्हें दिन में पढ़ने में कठिनाई नही जाती थी बल्कि रात में कम दिखाई देता था।

परिवार का रहा भरपूर सहयोग_ राजेन्द्र का कहना था कि उनकी पढ़ाई में उनके परिवार के भाई और चाचा का भरपूर सहयोग मिला।जिसके चलते वे आज 12 वी क्लास में टॉप 3 में अव्वल रहे।राजेन्द्र का कहना है वे आगे भी पढ़ाई जारी रखेंगे और आगे चलकर कलेक्टर बनना चाहेंगे।वही राजेन्द्र के पिता ज्ञान सिंह राजेन्द्र की इस उपलब्धि से बेहद खुश है। पेशे से किसान ज्ञान सिंह राजेन्द्र को आगे और पढ़ाना चाहते है ताकि राजेन्द्र आगे बढ़ सके।



Conclusion:121_ दीपक ताम्रकार ,ईटीवी भारत डिंडौरी
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