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महिला दिवसः स्कूल के लिए जमीन दान कर मिसाल बनी बिलगांव की शीला बाई

शिक्षा के लिए बिलगांव की शीला बाई किया भूमि दान, जमीन पर बनेगा सरकारी स्कूल. उनके इस कदम की जिलेभर में तारीफ की जा रही है.

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Published : Mar 9, 2019, 12:08 AM IST

डिंडौरी

डिंडौरी। 21वीं सदी में भी एक इंच जमीन रिश्तों में दरार डाल जाती है, कई बार ऐसे विवाद में परिवार तक तबाह हो जाते हैं. ऐसे में एक महिला गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए भूमि दान कर मिसाल पेश की है. भूमि दान करने वाली इस महिला का नाम है शीला बाई, जो डिंडौरी जिले के बिलगांव की रहने वाली है.

महिला दिवसः स्कूल के लिए जमीन दान कर मिसाल बनी बिलगांव की शीला बाई

बिलगांव निवासी शीला बाई अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कलेक्टर कार्यालय पहुंची थी. उनके साथ परिवार के सभी सदस्य भी मौजूद रहे. शीला बाई का एक भरा पूरा परिवार है, लेकिन गांव के स्कूल की बदहाली देख उन्हें ये खयाल आता रहता था कि गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ करें. जिसके बाद उन्होंने अनुकरणीय कदम उठाते हुए अपनी 30 डिसमिल जमीन शिक्षा विभाग के नाम करने का फैसला किया. उनके इस फैसले से उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं.

शीला बाई के इस कदम को जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुकरणीय उदाहरण बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि इससे समाज को भी नई राह मिलेगी. शीला बाई की बच्चों के लिए की गई इस अनूठी पहल की जिले भर में सरहाना की जा रही है.

डिंडौरी। 21वीं सदी में भी एक इंच जमीन रिश्तों में दरार डाल जाती है, कई बार ऐसे विवाद में परिवार तक तबाह हो जाते हैं. ऐसे में एक महिला गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए भूमि दान कर मिसाल पेश की है. भूमि दान करने वाली इस महिला का नाम है शीला बाई, जो डिंडौरी जिले के बिलगांव की रहने वाली है.

महिला दिवसः स्कूल के लिए जमीन दान कर मिसाल बनी बिलगांव की शीला बाई

बिलगांव निवासी शीला बाई अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कलेक्टर कार्यालय पहुंची थी. उनके साथ परिवार के सभी सदस्य भी मौजूद रहे. शीला बाई का एक भरा पूरा परिवार है, लेकिन गांव के स्कूल की बदहाली देख उन्हें ये खयाल आता रहता था कि गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ करें. जिसके बाद उन्होंने अनुकरणीय कदम उठाते हुए अपनी 30 डिसमिल जमीन शिक्षा विभाग के नाम करने का फैसला किया. उनके इस फैसले से उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं.

शीला बाई के इस कदम को जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुकरणीय उदाहरण बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि इससे समाज को भी नई राह मिलेगी. शीला बाई की बच्चों के लिए की गई इस अनूठी पहल की जिले भर में सरहाना की जा रही है.

Intro:एंकर _ 21 वी सदी के इस दौर में जहाँ एक एक इंच के लिए भाई भाई के बीच झगड़ा होता है।परिवार जमीनी जायदाद के झगड़े से तबाह हो रहे है।ऐसे समय मे अपने परिवार की भूमि को शिक्षा के लिए दान करने की महिला की अनुकरणीय पहल ने समाज के लिए नई मिशाल पेश की है।महिला के दिल मे भूमिदान का ख्याल तब आया जब गांव में बने प्राथमिक शाला का भवन जर्जर हो चुका था।गाँव के बच्चो का भविष्य सवर सके इस विचार से महिला ने अपने परिवार के साथ यह कदम उठाया।वही महिला के इस कदम से प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने महिला को दूसरों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बताया।


Body:वि ओ 01_ दरअसल डिंडौरी जिले के अमरपुर विकासखंड के ग्राम बिलगाव की रहने वाली शीला बाई जिनके पति रमेश साहू कुछ साल पहले गुजर चुके है।शीला बाई अपने परिवार के साथ डिंडौरी कलेक्ट्रेट पहुँचकर परिवार के सदस्यों के सहखाते की भूमि शिक्षा विभाग को दान करने के लिए पहुँची हैं। शीला बाई के मन मे भूमि दान करने का ख्याल तब आया जब गांव में बना शासकीय प्राथमिक स्कूल बेहद कम जगह में बना हुआ है और जर्जर है जिसे देख शीला बाई को लगा कि यह कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है।यही सोचकर शीला बाई साहू ने अपने बेटा और बेटियों के साथ अपनी 30 डिसमिल जमीन शिक्षा विभाग को दान कर रही है।शीला कहती है कि उनके भूमि दान करने से गाँव मे अच्छा स्कूल बन जायेगा जिसमें पढ़कर गाँव के बच्चें अपना भविष्य सवार सकेंगे।वही शीला के इस निर्णय से उनका परिवार भी खुश है। वही शीला बाई की इस पहल से जिला के प्रभारी शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा तारीफ करते हुए इसे समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण बताया।

वि ओ 02_ गौरतलब है कि आज के दौर में जमीन जायदाद को के लेकर आपने कई ऐसे उदाहरण देंखे होंगे जिसमे परिवार आपसी विवाद के चलते तबाह हो रहे है तो कई कोर्ट कचहरी के चक्कर सालो से काट रहे है। लेकिन शीला बाई उन सभी लोगो के लिए मिशाल बनकर सामने आई है जिसे गाँव के बच्चो के लिए शिक्षा की चिंता है।


Conclusion:बाइट_ शीला बाई साहू,भूमि दान दाता
बाइट_ राघवेंद्र मिश्रा, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी डिंडौरी
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