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लॉकडाउन में किसानों को ऑनलाइन जैविक खाद बनाने की जानकारी दे रहे हैं बिहारी लाल

डिंडोरी के जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू लॉकडाउन के दौरान अपने घर में जैविक खाद बना रहे हैं, साथ ही किसानों को ऑनलाइन इसकी जानकारी भी दे रहे हैं.

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लॉकडाउन के दौरान केंचुआ टांके खाद का निर्माण
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Published : Apr 28, 2020, 8:03 AM IST

डिंडोरी। लॉकडाउन में जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारीलाल साहू अपने घर में केंचुए की मदद से जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं और ऑनलाइन किसानों को इसकी जानकारी भी दे रहे हैं. कृषक बाजार से खाद न खरीद कर केंचुआ टांके से निर्मित खाद का उपयोग अपने कृषि कार्य में करेंगे, जिससे उन्हें कम पैसे में अच्छी खाद मिल सकेगी और फसल भी अधिक होगी.

कैसे तैयार करें केंचुआ टांके

टांके दो प्रकार से बनाया जा सकते हैं, एक तो प्लास्टिक का बना हुआ जो मार्केट में उपलब्ध रहता है और दूसरा बिना पैसे खर्च किए अर्थात जीरो बजट वाला, जो ईंटों से बनाया जा सकता है, इसके लिए पहले जमीन को बराबर करना पड़ता है गड्ढा करना होता है, इसकी 10 फीट लंबाई, 3 फीट चौड़ाई,1 से डेढ़ फीट की ऊंचाई होती है. जिसमें खरपतवार और गोबर डाला जाता है. इसके बाद केंचुआ छोड़ना होता है, जिसके 30 से 45 दिन में खाद बनकर तैयार हो जाती है. इस एक टांके मे 3 से 4 क्विंटल खाद तैयार होती है.

टांका निर्माण में रखनी होती है ये सावधानी

इस टांके के ऊपर छाया होनी चाहिए, जिससे के केंचुआ पर धूप न पड़े है. हमेशा टांके पर नमी बनी रहनी चाहिए, इसको कांच, रबर, पॉलीथिन, दीमक और नींबू के छिलकों आदि से बचाना होता है.

समिति के सदस्यों का रहता है अहम योगदान

धारा सरस्वती शैक्षणिक एवं समाज उत्थान समिति के सचिव अधिवक्ता निर्मल साहू भी जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू के कार्य में निरंतर सहयोग कर रहे हैं और अधिक से अधिक जानकारी देकर किसानों को प्रशिक्षित करने में मदद कर रहे हैं.

डिंडोरी। लॉकडाउन में जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारीलाल साहू अपने घर में केंचुए की मदद से जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं और ऑनलाइन किसानों को इसकी जानकारी भी दे रहे हैं. कृषक बाजार से खाद न खरीद कर केंचुआ टांके से निर्मित खाद का उपयोग अपने कृषि कार्य में करेंगे, जिससे उन्हें कम पैसे में अच्छी खाद मिल सकेगी और फसल भी अधिक होगी.

कैसे तैयार करें केंचुआ टांके

टांके दो प्रकार से बनाया जा सकते हैं, एक तो प्लास्टिक का बना हुआ जो मार्केट में उपलब्ध रहता है और दूसरा बिना पैसे खर्च किए अर्थात जीरो बजट वाला, जो ईंटों से बनाया जा सकता है, इसके लिए पहले जमीन को बराबर करना पड़ता है गड्ढा करना होता है, इसकी 10 फीट लंबाई, 3 फीट चौड़ाई,1 से डेढ़ फीट की ऊंचाई होती है. जिसमें खरपतवार और गोबर डाला जाता है. इसके बाद केंचुआ छोड़ना होता है, जिसके 30 से 45 दिन में खाद बनकर तैयार हो जाती है. इस एक टांके मे 3 से 4 क्विंटल खाद तैयार होती है.

टांका निर्माण में रखनी होती है ये सावधानी

इस टांके के ऊपर छाया होनी चाहिए, जिससे के केंचुआ पर धूप न पड़े है. हमेशा टांके पर नमी बनी रहनी चाहिए, इसको कांच, रबर, पॉलीथिन, दीमक और नींबू के छिलकों आदि से बचाना होता है.

समिति के सदस्यों का रहता है अहम योगदान

धारा सरस्वती शैक्षणिक एवं समाज उत्थान समिति के सचिव अधिवक्ता निर्मल साहू भी जैविक कृषि प्रशिक्षक बिहारी लाल साहू के कार्य में निरंतर सहयोग कर रहे हैं और अधिक से अधिक जानकारी देकर किसानों को प्रशिक्षित करने में मदद कर रहे हैं.

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