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दीवाली पर मिट्टी के दीयों से कुम्हारों के घर लौटी 'रोशनी' - traditional diyas

डिंडौरी में चाइनीज दीपकों की जगह पारंपरिक दीपकों को लोग प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे कुम्हारों की भी अच्छी आय हो रही है.

मिट्टी के दीयों की बढ़ रही मांग
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Published : Oct 20, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 6:36 PM IST

डिंडौरी। मिट्टी, जाने कितने परिवारों का पोषण करती है. दीवाली पर ये मिट्टी किसी के घर में रोशनी करती है तो किसी के परिवार को साल भर का राशन जुटाने में मदद. जी हां, हम बात कर रहे हैं मिट्टी के ऐसे दीपकों की जिन्हें देसी कलाकार कड़ी मेहनत के बाद अपना पसीना बहाकर बड़ी शिद्दत से बनाते हैं. चाइनीज दीपकों के मुकाबले मिट्टी के दीपक कम कीमत पर उपलब्ध हैं. कहां से लाई जाती है यह मिट्टी और किस तरह से बढ़ी है इस वर्ष देसी दीपकों की मांग देखिए इस रिपोर्ट में..

मिट्टी के दीयों की बढ़ रही मांग
पारंपरिक दीपकों को दी जा रही प्राथमिकता डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र में पारंपरिक देसी दीपक सजे हुए और बनते देखने को मिल रहे है. बता दें इस बार चाइनीज़ दीपकों की जगह पारंपरिक दीपकों को प्राथमिकता दी जा रही है. जिसके लिए लोग संकल्पित भी है . वहीं अनेक संगठन दीवाली से पहले मिट्टी के दीपक बांटने का समर्थन भी कर रहे हैं. मिट्टी के पारंपरिक दीपक खरीदने में जहां गरीब परिवारों की आय बढ़ेगी वहीं देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी ये फायदेमंद साबित होगी.

मंडला की मिट्टी से रोशन होगा डिंडोरी
डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र के कुम्हार गुड्डा चक्रवर्ती से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी देसी दीपक बनाने के लिए मिट्टी एक ट्रक मंडला जिले से बुलवाई गई है. मंडला की मिट्टी दीपक बनाने में बहुत अच्छी होती है जिससे दीपक बनाने में टूटते नहीं है , इस बार लगभग 20 हजार के करीब मिट्टी के दीपक सहित मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के ही फैंसी आइटम तैयार कर रहे हैं.

देसी दीपक की बढ़ी मांग
आगे कुम्हार ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार देसी दीपक की डिमांड ज्यादा बढ़ी है. इस बार चाइना दीपकों में डिंडोरी जिले में गिरावट देखने को मिल रही है. वही पिछले साल 12 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपकों की बिक्री हुई थी लेकिन इस साल 15 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपक बेचेंगे. पिछले साल की तुलना में लोगों मे देसी दीपक को लेकर जागरूकता बढ़ी है.

बढ़ते डीजल के दाम का पड़ा असर
कुम्हार ने बताया कि मिट्टी मंडला जिले से लाने में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार महंगी पड़ी, क्योंकि इस बार डीजल के बढ़ते दामों ने ट्रक का भाड़ा भी महंगा कर दिया, जिसके चलते एक ट्रक मिट्टी बुलवाने में 14 हजार से 15 हजार रुपये खर्च हुए.

डिंडौरी। मिट्टी, जाने कितने परिवारों का पोषण करती है. दीवाली पर ये मिट्टी किसी के घर में रोशनी करती है तो किसी के परिवार को साल भर का राशन जुटाने में मदद. जी हां, हम बात कर रहे हैं मिट्टी के ऐसे दीपकों की जिन्हें देसी कलाकार कड़ी मेहनत के बाद अपना पसीना बहाकर बड़ी शिद्दत से बनाते हैं. चाइनीज दीपकों के मुकाबले मिट्टी के दीपक कम कीमत पर उपलब्ध हैं. कहां से लाई जाती है यह मिट्टी और किस तरह से बढ़ी है इस वर्ष देसी दीपकों की मांग देखिए इस रिपोर्ट में..

मिट्टी के दीयों की बढ़ रही मांग
पारंपरिक दीपकों को दी जा रही प्राथमिकता डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र में पारंपरिक देसी दीपक सजे हुए और बनते देखने को मिल रहे है. बता दें इस बार चाइनीज़ दीपकों की जगह पारंपरिक दीपकों को प्राथमिकता दी जा रही है. जिसके लिए लोग संकल्पित भी है . वहीं अनेक संगठन दीवाली से पहले मिट्टी के दीपक बांटने का समर्थन भी कर रहे हैं. मिट्टी के पारंपरिक दीपक खरीदने में जहां गरीब परिवारों की आय बढ़ेगी वहीं देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी ये फायदेमंद साबित होगी.

मंडला की मिट्टी से रोशन होगा डिंडोरी
डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र के कुम्हार गुड्डा चक्रवर्ती से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी देसी दीपक बनाने के लिए मिट्टी एक ट्रक मंडला जिले से बुलवाई गई है. मंडला की मिट्टी दीपक बनाने में बहुत अच्छी होती है जिससे दीपक बनाने में टूटते नहीं है , इस बार लगभग 20 हजार के करीब मिट्टी के दीपक सहित मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के ही फैंसी आइटम तैयार कर रहे हैं.

देसी दीपक की बढ़ी मांग
आगे कुम्हार ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार देसी दीपक की डिमांड ज्यादा बढ़ी है. इस बार चाइना दीपकों में डिंडोरी जिले में गिरावट देखने को मिल रही है. वही पिछले साल 12 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपकों की बिक्री हुई थी लेकिन इस साल 15 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपक बेचेंगे. पिछले साल की तुलना में लोगों मे देसी दीपक को लेकर जागरूकता बढ़ी है.

बढ़ते डीजल के दाम का पड़ा असर
कुम्हार ने बताया कि मिट्टी मंडला जिले से लाने में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार महंगी पड़ी, क्योंकि इस बार डीजल के बढ़ते दामों ने ट्रक का भाड़ा भी महंगा कर दिया, जिसके चलते एक ट्रक मिट्टी बुलवाने में 14 हजार से 15 हजार रुपये खर्च हुए.

Intro:assignment story


एंकर _ मिट्टी,जाने कितने परिवारों का पोषण करती है।दीवाली पर यह मिट्टी किसी के घर मे रोशनी करती है तो किसी के परिवार को सालभर का राशन जुटाने में मदद।जी हाँ ,हम बात कर रहे है मिट्टी के ऐसे दीपकों की जिन्हें देशी कलाकार कड़ी मेहनत के बाद अपना पसीना बहाकर बड़ी शिद्दत से बनाते है। चाइनीज दीपकों के मुकाबले मिट्टी के दीपक कम कीमतों पर उपलब्ध है।कहाँ से लाई जाती है यह मिट्टी और किस तरह से बढ़ी है इस वर्ष देशी दीपक की मांग _ देखिए इस रिपोर्ट में


Body:वि ओ 01 _ डिंडौरी नगर परिषद क्षेत्र में पारंपरिक देशी दीपक सजे हुए और बनते देखने को मिल रहे है।इस बार चाइनीज़ दीपकों की बजाय पारंपरिक दीपक जलाने में प्राथमिकता दी जा रही है।इसके लिए लोग संकल्पित भी है।अनेक संगठन दीवाली से पूर्व मिट्टी के दीपक बाटने का समर्थन कर रहे है।मिट्टी के पारंपरिक दीपक खरीदने में जहाँ गरीब परिवारो की आय बढ़ेगी वही देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये फायदेमंद साबित होगी।


मंडला की मिट्टी से रोशन होगा डिंडौरी_डिंडौरी नगर परिषद क्षेत्र के कुम्हार गुड्डा चक्रवर्ती से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी देशी दीपक बनाने के लिए मिट्टी एक ट्रक मंडला जिले से बुलवाई है।मंडला की मिट्टी दीपक बनाने में बहुत अच्छी होती है जिससे दीपक फटते नही है।इस बार लगभग 20 हजार के करीब मिट्टी के दीपक सहित मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के ही फैंसी आयटम तैयार कर रहे है।



बढ़ते डीजल के दाम का पड़ा असर _ कुम्हार गुड्डा चक्रवर्ती ने बताया कि इस बार मिट्टी मंडला जिले से लाने में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार महंगी पड़ी।क्योंकि इस बार डीजल के बढ़ते दामो ने ट्रक का भाड़ा भी महंगा कर दिया।जिसके चलते एक ट्रक मिट्टी बुलवाने में 14 हजार से 15 हजार रुपये खर्च हुए।


देशी दीपक की बढ़ी मांग _ गुड्डा चक्रवर्ती ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार देशी दीपक की डिमांड ज्यादा बढ़ी है।इस बार चाइना दीपकों में डिंडौरी जिले में गिरावट देखने को मिल रही है।वही पिछले साल 12 रुपये प्रति दर्जन की दर से देशी दीपकों की बिक्री किये थे लेकिन इस बार 15 रुपये प्रति दर्जन की दर से देशी दीपक बेचेंगे।पिछले वर्ष की तुलना में लोगो मे देशी दीपक को लेकर जागरूकता बढ़ी है इस बार कुम्हारों के लिए दीपाली खुशियों भरी आएगी।


Conclusion:one 2 one _ गुड्डा चक्रवर्ती,कुम्हार डिंडौरी
Last Updated : Oct 20, 2019, 6:36 PM IST
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