डिंडौरी। मिट्टी, जाने कितने परिवारों का पोषण करती है. दीवाली पर ये मिट्टी किसी के घर में रोशनी करती है तो किसी के परिवार को साल भर का राशन जुटाने में मदद. जी हां, हम बात कर रहे हैं मिट्टी के ऐसे दीपकों की जिन्हें देसी कलाकार कड़ी मेहनत के बाद अपना पसीना बहाकर बड़ी शिद्दत से बनाते हैं. चाइनीज दीपकों के मुकाबले मिट्टी के दीपक कम कीमत पर उपलब्ध हैं. कहां से लाई जाती है यह मिट्टी और किस तरह से बढ़ी है इस वर्ष देसी दीपकों की मांग देखिए इस रिपोर्ट में..
मंडला की मिट्टी से रोशन होगा डिंडोरी
डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र के कुम्हार गुड्डा चक्रवर्ती से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी देसी दीपक बनाने के लिए मिट्टी एक ट्रक मंडला जिले से बुलवाई गई है. मंडला की मिट्टी दीपक बनाने में बहुत अच्छी होती है जिससे दीपक बनाने में टूटते नहीं है , इस बार लगभग 20 हजार के करीब मिट्टी के दीपक सहित मिट्टी के खिलौने और मिट्टी के ही फैंसी आइटम तैयार कर रहे हैं.
देसी दीपक की बढ़ी मांग
आगे कुम्हार ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार देसी दीपक की डिमांड ज्यादा बढ़ी है. इस बार चाइना दीपकों में डिंडोरी जिले में गिरावट देखने को मिल रही है. वही पिछले साल 12 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपकों की बिक्री हुई थी लेकिन इस साल 15 रुपये प्रति दर्जन की दर से देसी दीपक बेचेंगे. पिछले साल की तुलना में लोगों मे देसी दीपक को लेकर जागरूकता बढ़ी है.
बढ़ते डीजल के दाम का पड़ा असर
कुम्हार ने बताया कि मिट्टी मंडला जिले से लाने में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार महंगी पड़ी, क्योंकि इस बार डीजल के बढ़ते दामों ने ट्रक का भाड़ा भी महंगा कर दिया, जिसके चलते एक ट्रक मिट्टी बुलवाने में 14 हजार से 15 हजार रुपये खर्च हुए.