डिंडौरी। कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला को पद से हटा दिया गया है. उनके स्थान पर कांग्रेस पार्टी ने अशोक पड़वार को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी है. इसके बाद डिंडौरी कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है. वीरेंद्र बिहारी शुक्ला को जिलाध्यक्ष के पद से हटाये जाने से कई लोग नाराज हो गए हैं, जिसमें जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते, उपाध्यक्ष अंजू ब्यौहार, नगर परिषद अध्यक्ष सुनीता सारस समेत जिलापंचायत सदस्य एवं पार्षदों ने कांग्रेस पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. डिंडोरी के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कमलनाथ के खिलाफ खोला मोर्चा खोल दिया है.
कांग्रेस में दो फाड़: वीरेंद्र बिहारी के समर्थन में पार्टी के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस्तीफे की जानकारी मीडिया को दी है. उन्होंने बताया कि वीरेंद्र बिहारी के नेतृत्व में वर्षों बाद जिलापंचायत एवं नगर परिषद में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. उनके साथ कांग्रेसियों ने अच्छा व्यवहार नहीं किया है. कांग्रेस जिलाअध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला का कहना है कि "कांग्रेस के संगठन मंत्री को अंडा मुर्गी नहीं खिला पाया इसलिए हटा दिया गया." प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक होकर वीरेंद्र बिहारी शुक्ला बोले. डिंडोरी में दो कांग्रेस चल रही हैं. ओएमसी और आईएनसी ओमकार मरकाम कांग्रेस और इंडियन नेशनल कांग्रेस."
विधायक पर लगाया आरोप: जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते ने वीरेंद्र बिहारी को जिलाध्यक्ष पद से हटाने के लिए स्थानीय कांग्रेस विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम पर साजिश रचने का आरोप लगाया है. जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के भी संकेत दिए हैं. वहीं, प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी का दर्द छलक पड़ा और वे भावुक हो गए. कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी ने न सिर्फ स्थानीय विधायक ओमकार मरकाम बल्कि पीसीसी चीफ कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से नहीं बल्कि कमलनाथ की मनमानी के चलते गिरी थी.
कांग्रेस में गुटबाजी: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को चंद महीने बचे हैं. ऐसे समय में पार्टी को गुटबाजी और अंतर्कलह से इतर होकर एकजुट करने की तैयारी चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ डिंडौरी में जहां दोनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं. वहां संगठन एवं विधायक के बीच गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है. अब देखना यह दिलचस्प होगा की आगामी विधानसभा चुनाव में इस गुटबाजी और अंतर्कलह से कांग्रेस पार्टी को कितना नुकसान होता है.