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मजदूरों का काम कर रही मशीनें, मनरेगा में नहीं मिल रहा रोजगार

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Published : Jul 21, 2020, 12:00 AM IST

डिंडौरी जिले के समनापुर जनपद क्षेत्र अंतर्गत खमहा गांव में सरपंच और एसडीओ की लापरवाही के कारण मजदूरों को मनरेगा में काम नहीं मिल पा रहा है.

employment not get from MNREGA in Dindori
मजदूरों का काम कर रही मशीनें

डिंडौरी। इस समय देश कोविड-19 से जूझ रहा है, लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक हालात खराब हो चुकी है, खास कर ग्रामीण इलाकों के मध्यम और गरीब तबकों में भुखमरी जैसे हालात बन गए हैं. गांव लौट रहे प्रावसी मजदूरों के लिए सरकार ने मनरेगा के तहत काम तो शुरू किए हैं, पर पंचायतों की लापरवाही से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. यही हाल है डिंडौरी जिले के खमहा गांव का, जहां पंचायत सारे काम ठेकेदारों को दे दे रही है और वो मजदूरों की जगह मशीनों से काम ले रहे हैं.

मनरेगा में नहीं मिल रहा रोजगार

जब ईटीवी भारत ने ग्राम के सरपंच गेंदसिंह मरकाम से बात की तो, उन्होंने बड़ी दिलेरी से बताया कि गांव से बीहड़ जाने के लिए ग्रेवल सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें जेसीबी, ट्रैक्टर और मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन जब मौके पर पहुंच कर देखा गया तो न सिर्फ मजदूर नदारद दिखे बल्की यह भी मिला की पंचायत जिस जमीन पर खुदाई कर रहा है, वह सरकारी है जिस पर निर्माण के लिए उन्हें परमीशन नहीं हैं.

समनापुर जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत खामहा में 12 लाख रूपए की लागत से 1200 मीटर की ग्रेवल सड़क बनाई जा रही है. सरकार की मंशा थी कि गांव मे गरीब और प्रावसी मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा काम मिले, लेकिन खामहा पंचायत में देख ऐसा नहीं लगता. यहां तो सरपंच मौके पर खुद खड़े होकर जेसीबी और ट्रैक्टर से काम करवा रहे हैं. शासकीय नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए सरपंच और ठेकेदार मनरेगा के कार्य मे जमकर चांदी काट रहे है.

खामहा पंचायत के ग्रामीणों ने सीधे तौर पर आरोप ग्राम पंचायत और एसडीओ के बेटे पर लगाया है. ग्रामीणों का आरोप है कि एसडीओ चौरसिया के रसूख के चलते उसका बेटा सरपंच के साथ मिलकर पूरे निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है. वहीं मनरेगा कार्य मे ग्रामीणों को काम भी नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीणों के आरोपो से साफ होता है कि आदिवासी जिला डिंडौरी के कुछ इलाकों में मनरेगा के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है.

डिंडौरी। इस समय देश कोविड-19 से जूझ रहा है, लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक हालात खराब हो चुकी है, खास कर ग्रामीण इलाकों के मध्यम और गरीब तबकों में भुखमरी जैसे हालात बन गए हैं. गांव लौट रहे प्रावसी मजदूरों के लिए सरकार ने मनरेगा के तहत काम तो शुरू किए हैं, पर पंचायतों की लापरवाही से उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. यही हाल है डिंडौरी जिले के खमहा गांव का, जहां पंचायत सारे काम ठेकेदारों को दे दे रही है और वो मजदूरों की जगह मशीनों से काम ले रहे हैं.

मनरेगा में नहीं मिल रहा रोजगार

जब ईटीवी भारत ने ग्राम के सरपंच गेंदसिंह मरकाम से बात की तो, उन्होंने बड़ी दिलेरी से बताया कि गांव से बीहड़ जाने के लिए ग्रेवल सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें जेसीबी, ट्रैक्टर और मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन जब मौके पर पहुंच कर देखा गया तो न सिर्फ मजदूर नदारद दिखे बल्की यह भी मिला की पंचायत जिस जमीन पर खुदाई कर रहा है, वह सरकारी है जिस पर निर्माण के लिए उन्हें परमीशन नहीं हैं.

समनापुर जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत खामहा में 12 लाख रूपए की लागत से 1200 मीटर की ग्रेवल सड़क बनाई जा रही है. सरकार की मंशा थी कि गांव मे गरीब और प्रावसी मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा काम मिले, लेकिन खामहा पंचायत में देख ऐसा नहीं लगता. यहां तो सरपंच मौके पर खुद खड़े होकर जेसीबी और ट्रैक्टर से काम करवा रहे हैं. शासकीय नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए सरपंच और ठेकेदार मनरेगा के कार्य मे जमकर चांदी काट रहे है.

खामहा पंचायत के ग्रामीणों ने सीधे तौर पर आरोप ग्राम पंचायत और एसडीओ के बेटे पर लगाया है. ग्रामीणों का आरोप है कि एसडीओ चौरसिया के रसूख के चलते उसका बेटा सरपंच के साथ मिलकर पूरे निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है. वहीं मनरेगा कार्य मे ग्रामीणों को काम भी नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीणों के आरोपो से साफ होता है कि आदिवासी जिला डिंडौरी के कुछ इलाकों में मनरेगा के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है.

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