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इस जंगल में छिपा है प्रकृति का खजाना, झरझरा झरने की कल-कल करती है आकर्षित

डिंडौरी में घने जंगलों के बीच स्थित प्राकृतिक झरझरा जल प्रपात भले ही प्रशासन के नक्शे पर दर्ज नहीं है, लेकिन पर्यटन के लिहाज से ये झरना बेहद खूबसूरत है, बस प्रशासन को जरूरत है कि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण करा दे.

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Published : Sep 3, 2019, 3:04 PM IST

जंगल में छिपा प्रकृति का मनमोहक दृश्य

डिंडौरी। आदिवासी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन वहां तक पहुंच नहीं होने और दुर्गम रास्तों के चलते इन स्थानों का विकास नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि जिले के ही ज्यादातर लोगों को यहां के प्राकृतिक जलप्रपातों की जानकारी तक नहीं है. प्रकृति के गोद में बसा एक ऐसा गांव, जहां प्रकृति ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया है. घने जंगलों और हरी-भरी वादियों के बीच लगभग दो किलोमीटर दूर से ही झरझरा जल प्रपात से निकलती कल-कल की आवाज लोगों को आकर्षित करने लगती है.

जंगल में छिपा प्रकृति का मनमोहक दृश्य

झरझरा जल प्रपात को डिंडौरी जिले के बेहद कम लोग ही जानते है. जो जानते है वे ग्रामीणों की मदद से साल में उन दिनों आते है जब मौसम साफ हो और गर्मियों का समय हो. इस झरझरा जल प्रपात की खासियत यह है कि यह जंगल के बीच प्रकृति की गोद मे बसा है. झरझरा जलप्रपात जाने के लिए लोगो को दुर्गम और कच्चे पगडंडियों भरे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है. गाँव से इसकी दूरी 3 से 4 किलोमीटर है. यहां से आना और जाना कठिन कार्य है.

झरझरा जलप्रपात डिंडौरी मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. मुख्यालय से अमरकंटक मार्ग पर सिमरिया ग्राम से माधोपुर होते हुए रामहेपुर जाना पड़ता है, फिर रामहेपुर ग्राम के बैगा टोला गांव से खेत की मेढ़ से होते हुए तीन किलोमीटर दूर जंगल के बीच झरझरा जलप्रपात मौजूद है. रामहेपुर तक दोपहिया या चार पहिया वाहनों से पहुंचा जा सकता है, लेकिन रामहेपुर से झरझरा जलप्रपात तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर तक कच्चा रास्ता तय करना पड़ता है. जो वन विभाग की भूमि है, यहां ग्रामीणों ने दोपहिया वाहन या पैदल चलने के लिए रास्ता बनवाने की मांग की है.

ग्रामीणों और यहां आने वाले पर्यटकों की मांग है कि शासन इस झरझरा जलप्रपात के आसपास टीन शेड और सीढ़ियों का निर्माण करा दे, ताकि यहां आने वाले सैलानियों के लिए झरने का आनंद लेने के बाद भोजन और बैठकर आराम कर सकें.

डिंडौरी। आदिवासी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन वहां तक पहुंच नहीं होने और दुर्गम रास्तों के चलते इन स्थानों का विकास नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि जिले के ही ज्यादातर लोगों को यहां के प्राकृतिक जलप्रपातों की जानकारी तक नहीं है. प्रकृति के गोद में बसा एक ऐसा गांव, जहां प्रकृति ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया है. घने जंगलों और हरी-भरी वादियों के बीच लगभग दो किलोमीटर दूर से ही झरझरा जल प्रपात से निकलती कल-कल की आवाज लोगों को आकर्षित करने लगती है.

जंगल में छिपा प्रकृति का मनमोहक दृश्य

झरझरा जल प्रपात को डिंडौरी जिले के बेहद कम लोग ही जानते है. जो जानते है वे ग्रामीणों की मदद से साल में उन दिनों आते है जब मौसम साफ हो और गर्मियों का समय हो. इस झरझरा जल प्रपात की खासियत यह है कि यह जंगल के बीच प्रकृति की गोद मे बसा है. झरझरा जलप्रपात जाने के लिए लोगो को दुर्गम और कच्चे पगडंडियों भरे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है. गाँव से इसकी दूरी 3 से 4 किलोमीटर है. यहां से आना और जाना कठिन कार्य है.

झरझरा जलप्रपात डिंडौरी मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. मुख्यालय से अमरकंटक मार्ग पर सिमरिया ग्राम से माधोपुर होते हुए रामहेपुर जाना पड़ता है, फिर रामहेपुर ग्राम के बैगा टोला गांव से खेत की मेढ़ से होते हुए तीन किलोमीटर दूर जंगल के बीच झरझरा जलप्रपात मौजूद है. रामहेपुर तक दोपहिया या चार पहिया वाहनों से पहुंचा जा सकता है, लेकिन रामहेपुर से झरझरा जलप्रपात तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर तक कच्चा रास्ता तय करना पड़ता है. जो वन विभाग की भूमि है, यहां ग्रामीणों ने दोपहिया वाहन या पैदल चलने के लिए रास्ता बनवाने की मांग की है.

ग्रामीणों और यहां आने वाले पर्यटकों की मांग है कि शासन इस झरझरा जलप्रपात के आसपास टीन शेड और सीढ़ियों का निर्माण करा दे, ताकि यहां आने वाले सैलानियों के लिए झरने का आनंद लेने के बाद भोजन और बैठकर आराम कर सकें.

Intro:ईटीवी भारत की मुहिम_ पर्यटन में आगे बढ़े डिंडौरी

एंकर _ आदिवासी जिला डिंडौरी में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं । लेकिन पहुंच विहीन और दुर्गम रास्तों के चलते उनका विकास नहीं हो पाता है । आलम यह है कि अधिकांश जिले वासियों को अभी तक डिंडोरी जिले के प्राकृतिक जलप्रपातों की जानकारी ही नहीं है । नतीजतन इनका विकास भी अब तक अधर में है। हम बात कर रहे हैं प्रकृति की गोद में बसे एक ऐसे गांव की जहां प्रकृति ने अपना सर्वस्व निछावर कर दिया है । घने जंगलों और हरी भरि वादियों के बीचो बीच लगभग दो किलोमीटर दूर से ही अपनी कल कल करती आवाज से लोगों को आकर्षित करता झरझरा जलप्रपात।


Body:वि ओ 01 झरझरा जल प्रपात को डिंडौरी जिले के बेहद कम लोग ही जानते है और जो जानते है वे ग्रामीणों की मदद से साल में उन दिनों आते है जब मौसम साफ हो या फिर गर्मियों का समय हो। इस झरझरा जल प्रपात की खासियत यह है कि यह जंगल के बीचोबीच प्रकृति की गोद मे बसा है।झरझरा जलप्रपात आने के लिए लोगो को दुर्गम और कच्चे पगडंडियों भरे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है गाँव से इसकी दूरी 3 से 4 किलोमीटर दूर है। झरझरा जलप्रपात आने वाले सैलानियो के लिए यहाँ आना और जाना दोनो कठिन है ।

मार्ग की मांग _ झरझरा जलप्रपात डिंडौरी मुख्यालय से लगभग 20 किलो मीटर की दूरी पर है ।डिंडौरी मुख्यालय से अमरकंटक मार्ग पर सिमरिया ग्राम से माधोपुर होते रामहेपुर जाना पड़ता है फिर रामहेपुर ग्राम के बैगा टोला गाँव से खेत की मेढ़ से गुजर कर 3 किलोमीटर दूर जंगल में झरझरा जलप्रपात मौजूद है।डिंडौरी से रामहेपुर तक दोपहिया या चार पहिया वाहनों से पहुँचा जा सकता है लेकिन रामहेपुर से झरझरा जलप्रपात तक पहुँचने के लिए 3 किलोमीटर कच्चा रास्ता अपनाना पड़ता है।जो जंगल विभाग की भूमि है यहाँ ग्रामीणों ने दोपहिया वाहन जाने या पैदल चलने लायक रास्ता तैयार करने की मांग की है।वही इस प्रपात तक पहुँचने के लिए समनापुर विकासखंड से सिमरधा ग्राम तक आसानी से वाहनों से जाया जा सकता है वही सिमरधा वन ग्राम से झरझरा जलप्रपात नजदीक पड़ता है ।

सीढ़िया और टीनशेड बनाया जाए_ ग्रामीणों और यहां आने वाले पर्यटको की मांग है कि शासन इस झरझरा जलप्रपात में टीनशेड और सीढ़िया निर्माण करें ताकि यहाँ आने वाले सैलानियों के लिए झरने का आनंद लेने के बाद भोजन और बैठने लायक स्थान बन सके।


Conclusion:बाइट 01 प्रकाश मिश्रा, पर्यटक डिंडौरी
बाइट 02 राम दयाल यादव,ग्रामीण
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