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डिंडौरी में ETV भारत की खबर का असर, जेल से विचाराधीन कैदी फरार होने पर जेलर को किया गया सस्पेंड

डिंडौरी जिला जेल से एक विचाराधीन कैदी फरार हो गया है, जिसकी अब तक तलाश जारी है. वहीं जेल की सुरक्षा में लापरवाही बरतने के चलते डिंडौरी जेल के जेल उप अधीक्षक संतोष कुमार गणेशे को देर रात सस्पेंड कर दिया गया है.

dindori jailor suspend
जेलर सस्पेंड
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Published : Jun 18, 2020, 12:13 PM IST

डिंडौरी। जिले में ETV भारत की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. जिला जेल से विचाराधीन कैदी के फरार होने की खबर सबसे पहले दिखाई ETV भारत ने सामने लाई थी. खबर में बताया गया था कि आखिर जेल प्रबंधन जेल में सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरत रहे हैं. खबर के हरकत में आने के बाद 17 जून की देर रात जेल विभाग ने डिंडौरी जेल के जेल उप अधीक्षक संतोष कुमार गणेशे का सस्पेंशन ऑर्डर जारी किया है.

Suspension letter
निलंबन पत्र


जेल की सुरक्षा में नहीं दिया गया ध्यान

जेलर को जारी किए गए निलंबित पत्र में कहा गया है कि जेल उप अधीक्षक संतोष कुमार गणेशे ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक तरीके से नहीं किया है. इसके अलावा उन्होंने जेल की सुरक्षा में रुचि नहीं ली. इस लापरवाही को देखते हुए जेल उप अधीक्षक को निलंबित किया जाता है. बता दें कि जेल और सुधारात्मक सेवाओं के महानिदेशक (DG) संजय चौधरी ने जेल उप अधीक्षक को संस्पेंड कर दिया है.

जानें पूरा मामला- डिंडौरी जिला जेल से विचाराधीन कैदी हुआ फरार, तलाश में जुटी पुलिस

15 जून की शाम डिंडौरी जेल से दुष्कर्म सहित विभिन्न धाराओं के अपराध में जेल वारंट किए गए विचाराधीन कैदी असुमंत बरमैया के भागने के मामले में लापरवाही बरतने पर जेल DG ने संतोष गणेशे पर यह एक्शन लिया है. जेल मुख्यालय भोपाल से जारी आदेश के अनुसार निलंबन अवधि में गणेशे का हेडक्वॉर्टर सेंट्रल जेल जबलपुर होगा. वहीं अब तक जेल से फरार कैदी अब तक पकड़ा नहीं गया है.

ये भी पढें- जेल से भागा कैदी, सवालों से बचते नजर आए जेलर

ETV भारत के सवालों से बचते दिखे थे जेलर

विचाराधीन कैदी के जिला जेल से फरार होने के मामले में जेलर संतोष गणेशे ईटीवी भारत के सवालों के जवाब देने से बचते नजर आए थे. ETV भारत ने जब मामले को लेकर जेलर से बात करनी चाही तो वे अपने वाहन में बैठकर वहां से निकल गए थे. वहीं जिला जेल की सुरक्षा पर अब सवाल उठने लगे हैं.

पहली बार नहीं भागा है कैदी

बता दें, यह कोई पहला मामला नहीं है, जब जेल से कोई कैदी फरार हुआ हो. इसके पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन हर मामले में सिर्फ निम्न स्तर के अधिकारियों पर गाज-गिरती रही और जेलर को बचा लिया जाता था. लेकिन इस बार प्रदेश के जेल विभाग ने एक्शन लेते हुए जेलर को ही कार्य में दोषी माना और निलंबित की कार्रवाई की.

डिंडौरी। जिले में ETV भारत की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. जिला जेल से विचाराधीन कैदी के फरार होने की खबर सबसे पहले दिखाई ETV भारत ने सामने लाई थी. खबर में बताया गया था कि आखिर जेल प्रबंधन जेल में सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरत रहे हैं. खबर के हरकत में आने के बाद 17 जून की देर रात जेल विभाग ने डिंडौरी जेल के जेल उप अधीक्षक संतोष कुमार गणेशे का सस्पेंशन ऑर्डर जारी किया है.

Suspension letter
निलंबन पत्र


जेल की सुरक्षा में नहीं दिया गया ध्यान

जेलर को जारी किए गए निलंबित पत्र में कहा गया है कि जेल उप अधीक्षक संतोष कुमार गणेशे ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक तरीके से नहीं किया है. इसके अलावा उन्होंने जेल की सुरक्षा में रुचि नहीं ली. इस लापरवाही को देखते हुए जेल उप अधीक्षक को निलंबित किया जाता है. बता दें कि जेल और सुधारात्मक सेवाओं के महानिदेशक (DG) संजय चौधरी ने जेल उप अधीक्षक को संस्पेंड कर दिया है.

जानें पूरा मामला- डिंडौरी जिला जेल से विचाराधीन कैदी हुआ फरार, तलाश में जुटी पुलिस

15 जून की शाम डिंडौरी जेल से दुष्कर्म सहित विभिन्न धाराओं के अपराध में जेल वारंट किए गए विचाराधीन कैदी असुमंत बरमैया के भागने के मामले में लापरवाही बरतने पर जेल DG ने संतोष गणेशे पर यह एक्शन लिया है. जेल मुख्यालय भोपाल से जारी आदेश के अनुसार निलंबन अवधि में गणेशे का हेडक्वॉर्टर सेंट्रल जेल जबलपुर होगा. वहीं अब तक जेल से फरार कैदी अब तक पकड़ा नहीं गया है.

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ETV भारत के सवालों से बचते दिखे थे जेलर

विचाराधीन कैदी के जिला जेल से फरार होने के मामले में जेलर संतोष गणेशे ईटीवी भारत के सवालों के जवाब देने से बचते नजर आए थे. ETV भारत ने जब मामले को लेकर जेलर से बात करनी चाही तो वे अपने वाहन में बैठकर वहां से निकल गए थे. वहीं जिला जेल की सुरक्षा पर अब सवाल उठने लगे हैं.

पहली बार नहीं भागा है कैदी

बता दें, यह कोई पहला मामला नहीं है, जब जेल से कोई कैदी फरार हुआ हो. इसके पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन हर मामले में सिर्फ निम्न स्तर के अधिकारियों पर गाज-गिरती रही और जेलर को बचा लिया जाता था. लेकिन इस बार प्रदेश के जेल विभाग ने एक्शन लेते हुए जेलर को ही कार्य में दोषी माना और निलंबित की कार्रवाई की.

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