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गोवर्धन पूजा के दौरान धारदार हथियार पर ग्रामीणों ने किया नृत्य, अनोखी है ये परंपरा

डिंडोरी जिले के ग्रामीण अंचलों में गोवर्धन पूजा के मौके पर दो अनोखी परंपराएं हैं. आज के ग्वाल धारदार के ऊपर नंगे पैर नृत्य करते हैं.

धारदार हथियार पर ग्रामीणों ने किया नृत्य
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Published : Oct 28, 2019, 10:57 PM IST

डिंडौरी। प्रदेश सहित पूरे डिंडौरी जिले में दीवाली पर्व के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. इस दिन ग्रामीण अंचलों में गायों को सुंदर और आकर्षक तरीके से सजाया जाता है, उनकी विधि विधान से पूजा पाठ की जाती है, लेकिन आपको एक आज ऐसे गांव की परंपरा से रूबरू करा रहे हैं, जहां ग्रामीण आज के दिन पहले तो उपवास रखते हैं. फिर तैयार होकर छोटे बछड़े के नीचे से उन्हें गुजरना पड़ता है.

धारदार हथियार पर ग्रामीणों ने किया नृत्य

इस परंपरा के अनुसार रीना- शैला गीत गाकर महिला पुरुष नाचते गाते हैं. मान्यता है कि बछड़े के दोनों पैर के बीच से गुजरने से सुख शांति और समृद्धता आती है. इसी तरह कुछ हट कर होता है कला पड़रिया गांव में, जहां एक अनोखी परंपरा के अनुसार गांव का ग्वाल धारदार हथियार की धार के ऊपर नृत्य करता है.

इस परंपरा को देखने गांव सहित आस- पास के हजारों लोग पहुंचते हैं. गांव के बुजुर्ग की मानें तो इस गांव में सैकड़ों सालों से यह परंपरा चली आ रही है. गांव के ग्वाल पटेल का कहना है कि दीपावली की रात को विधि विधान से धारदार हथियार (फरसे) की पूजा की जाती है. इसके बाद उसे दूसरे दिन इस उत्सव मनाने में के दौरान उपयोग में लाया जाता है. गांव की महिला भी इस दौरान कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं.

डिंडौरी। प्रदेश सहित पूरे डिंडौरी जिले में दीवाली पर्व के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. इस दिन ग्रामीण अंचलों में गायों को सुंदर और आकर्षक तरीके से सजाया जाता है, उनकी विधि विधान से पूजा पाठ की जाती है, लेकिन आपको एक आज ऐसे गांव की परंपरा से रूबरू करा रहे हैं, जहां ग्रामीण आज के दिन पहले तो उपवास रखते हैं. फिर तैयार होकर छोटे बछड़े के नीचे से उन्हें गुजरना पड़ता है.

धारदार हथियार पर ग्रामीणों ने किया नृत्य

इस परंपरा के अनुसार रीना- शैला गीत गाकर महिला पुरुष नाचते गाते हैं. मान्यता है कि बछड़े के दोनों पैर के बीच से गुजरने से सुख शांति और समृद्धता आती है. इसी तरह कुछ हट कर होता है कला पड़रिया गांव में, जहां एक अनोखी परंपरा के अनुसार गांव का ग्वाल धारदार हथियार की धार के ऊपर नृत्य करता है.

इस परंपरा को देखने गांव सहित आस- पास के हजारों लोग पहुंचते हैं. गांव के बुजुर्ग की मानें तो इस गांव में सैकड़ों सालों से यह परंपरा चली आ रही है. गांव के ग्वाल पटेल का कहना है कि दीपावली की रात को विधि विधान से धारदार हथियार (फरसे) की पूजा की जाती है. इसके बाद उसे दूसरे दिन इस उत्सव मनाने में के दौरान उपयोग में लाया जाता है. गांव की महिला भी इस दौरान कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं.

Intro:डिंडोरी जिले का एक गाव ऐसा जहाँ दिवाली के दूसरे दिन गाव का अहीर धारदार लोहे के फरसे के ऊपर नंगे पैर नृत्य कर दिवाली का जश्न मनाता है, गोवर्धन पूजा के बाद होता है गाँव मे गाना बजाना

एंकर- प्रदेश सहित पूरे डिंडौरी जिले में दीवाली पर्व के दूसरे दिन गांव में गोवर्धन पूजा की जाती है । इस दिन गाँव मे गायों को सुंदर और आकर्षक तरीके से सजाया जाता है उनकी विधि विधान से पूजा पाठ की जाती है।लेकिन हम आपको डिंडौरी जिले के एक ऐसे गाँव की अनोखी परम्परा दिखाने जा रहे है जहां गाव के पहले तो उपवास रखते है ।फिर उपवास के दौरान सज धज कर छोटे बछड़े के नीचे से उंन्हे गुजरना पड़ता है। इसके बाद ग्रामीण अपनी परम्परा के अनुसार रीना शैला गीत गा कर महिला पुरुष नाचते गाते है ।मान्यता है कि बछड़े के दोनों पैर के बीच से गुजरने से सुख शांति और समृद्धता आती है।Body:वि ओ 01 _ इसी तरह कुछ हट कर होता है कला पड़रिया गाव में ,जहाँ एक अनोखी परम्परा के अनुसार गाँव का ग्वाल पटेल धारदार फरसे की धार के ऊपर नाच करता है। इस परम्परा को देखने गाँव सहित आस पास के हजारों की तादात पर लोग गाँव पहुँचते है। गाँव के बुजुर्ग की माने तो इस गाव में सैकड़ो सालों से यह परंपरा चली आ रही है।इस परम्परा को आज भी मनाया जा रहा है।गाव का ग्वाल पटेल का कहना है कि दिवाली की रात को विधि विधान से फरसे की पूजा पाठ की जाती है इसके बाद इस फरसे को दूसरे दिन इस फरसे को उत्सव मनाने में किया जाता है।वही गाँव की महिला भी इस दौरान कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है।

Conclusion:बाईट 1 सुमारू लाल, नृत्य करने वाला
बाईट 2 भूपत सिंह,ग्राम वासी
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