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शर्म करो सरकार, बच्चे भीख मांगेंगे तो कैसे बनेंगे होशियार

सड़कों पर भीख मांगती नाबालिग बच्चियों को पेट भरने से ज्यादा अच्छी तालीम की चाहत है, इसीलिए ये रविवार के दिन सड़क पर भीख मांगने निकल जाती हैं, ताकि इनकी पढ़ाई के लिये कॉपी, बस्ता और पेन का इंतजाम हो सके.

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Published : Jul 2, 2019, 6:03 PM IST

सड़कों पर भीख मांगती नाबालिग

डिंडौरी। वैसे तो शासन प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के लिए किताब, साइकिल, मिड डे मील सब कुछ इंतजाम करने का दावा करती है, लेकिन डिंडोरी जिले में सड़कों पर भीख मांग रहीं ये लड़कियां उन दावों की पोल खोलती हैं. लड़कियों के मुताबिक वो अच्छी तालीम के लिए कॉपी, बस्ता और पेन के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं.
रविवार को ही मांगती हैं भीख
डिंडौरी के धनुआसागर पंचायत के लाखों गांव की रहने वाली नाबालिग बच्चियों से उनके माता-पिता के बारे में पूछा गया तो बताया कि माता-पिता मजदूरी करने बनारस गए हुए हैं. गरीबी की वजह से वो रविवार को भीख मांग कर अपनी पढ़ाई के लिए पेन, कॉपी और बस्ते की जुगत में लगे हुए हैं.

शिक्षा की ये कैसी व्यवस्था जहां पढ़ाई के लिए बच्चों को मांगनी पड़ रही है भीख

लड़कियों ने अपने स्कूल के टीचर पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. लड़कियों के साथ चल रही महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं. रविवार को भीख मांगकर लडकियां 50 से 100 रुपये इकट्ठा कर पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती हैं.

मामले को लेकर जब जिला के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह बीआरसी के साथ गांवों का दौरा करेंगे और उन लड़कियों की मदद करेंगे. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अगर लड़कियां हॉस्टल में रहना चाहती हैं तो तो उसकी व्यवस्था भी की जायेगी. जिले में ऐसे कई मासूम हैं जो परिवार की आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. अगर शिक्षा विभाग में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इन मासूमों को भीख मांगने से रोका जा सकता है. यहां हम साफ कर देना चाहते हैं कि भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देना हमारा कतई मकसद नहीं है.

डिंडौरी। वैसे तो शासन प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के लिए किताब, साइकिल, मिड डे मील सब कुछ इंतजाम करने का दावा करती है, लेकिन डिंडोरी जिले में सड़कों पर भीख मांग रहीं ये लड़कियां उन दावों की पोल खोलती हैं. लड़कियों के मुताबिक वो अच्छी तालीम के लिए कॉपी, बस्ता और पेन के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं.
रविवार को ही मांगती हैं भीख
डिंडौरी के धनुआसागर पंचायत के लाखों गांव की रहने वाली नाबालिग बच्चियों से उनके माता-पिता के बारे में पूछा गया तो बताया कि माता-पिता मजदूरी करने बनारस गए हुए हैं. गरीबी की वजह से वो रविवार को भीख मांग कर अपनी पढ़ाई के लिए पेन, कॉपी और बस्ते की जुगत में लगे हुए हैं.

शिक्षा की ये कैसी व्यवस्था जहां पढ़ाई के लिए बच्चों को मांगनी पड़ रही है भीख

लड़कियों ने अपने स्कूल के टीचर पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. लड़कियों के साथ चल रही महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं. रविवार को भीख मांगकर लडकियां 50 से 100 रुपये इकट्ठा कर पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती हैं.

मामले को लेकर जब जिला के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह बीआरसी के साथ गांवों का दौरा करेंगे और उन लड़कियों की मदद करेंगे. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अगर लड़कियां हॉस्टल में रहना चाहती हैं तो तो उसकी व्यवस्था भी की जायेगी. जिले में ऐसे कई मासूम हैं जो परिवार की आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. अगर शिक्षा विभाग में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इन मासूमों को भीख मांगने से रोका जा सकता है. यहां हम साफ कर देना चाहते हैं कि भिक्षावृत्ति को बढ़ावा देना हमारा कतई मकसद नहीं है.

Intro:एंकर _ आदिवासी जिला डिंडौरी में यूं तो आपको गरीबी और मजबूरी के कई ऐसे रंग देखने को मिलेंगे । लेकिन हम जो रंग को आपको खबर के माध्यम से दिखाने जा रहे हैं उसे देख आपके भी होश उड़ जाएंगे। दिन था रविवार का जहां एक परिवार की नाबालिक बच्चियां लोगों से भीख मांगते नजर आई । जब इन नाबालिक बच्चियों से भीख मांगने का कारण पूछा गया तो सुनकर हम भी भौचक हो गए। नाबालिक बच्चियों ने भीख अपने शौक या परिवार के पेट पालने के लिए नहीं बल्कि अगली क्लास के लिए कॉपी, बस्ता और पैन के इंतजाम के लिए मांग रही हैं।


Body:रविवार को ही मांगती है भीख _ डिंडौरी के धनुआसागर पंचायत के लाखों गाँव के रहने वाली नाबालिग बच्चियों से जब पूछा गया कि उनके परिवार में माता पिता कहां है तो उन्होंने बताया कि माता पिता मजदूरी करने बनारस गए हुए हैं जिसके चलते हम रविवार के दिन भीख मांग कर अपनी पढ़ाई के लिए पेन कॉपी बसते की जुगत में लगे हुए हैं बच्चों ने यह भी बताया कि उनके टीचर बेहद खराब है जो बुरी आदतों से लिप्त हैं । यही नहीं इन बच्चियों के साथ रहने वाली महिला ने बताया कि इन बच्चियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि भी इनके स्कूल के शिक्षक खा जाते हैं ।वही रविवार के दिन भीख मांग कर ये बच्चियां 50 रु से 100 रु जोड़ लेती है।जो पढ़ाई में लगने वाली जरूरतों को पूरा कर लेती है।बहरहाल इन बच्चियों में एक 6वी तो एक 7वी क्लास में पढ़ाई कर रही है।जिन्हें जरूरत है तो सिर्फ आर्थिक मदद की ।

मिलेगी पूरी व्यवस्था _ वही इस मामले को लेकर जब जिला के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है तो वह ब्लॉक बीआरसी के साथ लाखों गांव का दौरा करेंगे और उन बच्चियों के लिए जो यथासंभव मदद होगी पूरी करेंगे साथ ही उन्हें अगर हॉस्टल में रहना होगा तो उसकी व्यवस्था भी करेंगे।


Conclusion: जिले में ऐसे कई नाबालिक मासूम है जो परिवार की आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं वहीं अगर शिक्षा विभाग में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इन मासूमों को भीख मांगने से रोका जा सकता है।
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