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तंबू और पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र... ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे बढ़ेंगे ?

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खस्ता है. ये हम नहीं उनकी तस्वीरें कहती है. डिंडौरी के एक हायर सेकेंडरी स्कूल में तंबू लगाकर औ पेड़ के नीते बैठाकर छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. अधिकारियों को सबकुछ पता है लेकिन अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

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तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे
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Published : Dec 9, 2019, 5:03 PM IST

डिंडौरी। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालात कितनी खराब हैं इसकी तस्वीर डिंडौरी जिले के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. आदिवासी विकास विभाग के मंत्री ओमकार मरकाम के गृह जिले के इस सरकारी स्कूल के बच्चे तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.

तंबू और पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

4 कमरे, 581 छात्र, कैसे हो पढ़ाई ?
शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी विकासखंड के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 581 है और स्कूल में सिर्फ 4 ही कमरे हैं, जिससे बच्चों को स्कूल प्रबंधन तंबू लगाकर व पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ना पड़ रहा है. वहीं स्कूल स्कूल में ब्लैक बोर्ड तक की व्यवस्था नहीं है.

पढा़ई हो रही है प्रभावित
छात्रों ने बताया कि ऐसे माहौल में उनकी पढा़ई प्रभावित हो रही है, लेकिन आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में इसी स्कूल में पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल के प्राचार्य की मानें तो उन्होंने स्कूल कीस मस्याओं की जानकारी अधिकारी को दी है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक स्कूल की सुध नहीं ली है.
शिक्षक रवि कुमार ने बताया की यहां स्कूल भवन ना होने से बच्चों और शिक्षकों को परेशान होना पड़ता है.

कब मिलेगा स्कूल भवन ?
बता दें कि चौबीसा जैसे जिले में दर्जनों स्कूल हैं जो भवनों की कमी से जूझ रहे हैं. भवन नहीं होने के कारण कहीं स्कूल गोदाम में तो कहीं खुले आसमान के नीचे लग रहे हैं और आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी सबकुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं.

डिंडौरी। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालात कितनी खराब हैं इसकी तस्वीर डिंडौरी जिले के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. आदिवासी विकास विभाग के मंत्री ओमकार मरकाम के गृह जिले के इस सरकारी स्कूल के बच्चे तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.

तंबू और पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र

4 कमरे, 581 छात्र, कैसे हो पढ़ाई ?
शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी विकासखंड के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 581 है और स्कूल में सिर्फ 4 ही कमरे हैं, जिससे बच्चों को स्कूल प्रबंधन तंबू लगाकर व पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ना पड़ रहा है. वहीं स्कूल स्कूल में ब्लैक बोर्ड तक की व्यवस्था नहीं है.

पढा़ई हो रही है प्रभावित
छात्रों ने बताया कि ऐसे माहौल में उनकी पढा़ई प्रभावित हो रही है, लेकिन आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में इसी स्कूल में पढ़ना पड़ रहा है. स्कूल के प्राचार्य की मानें तो उन्होंने स्कूल कीस मस्याओं की जानकारी अधिकारी को दी है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक स्कूल की सुध नहीं ली है.
शिक्षक रवि कुमार ने बताया की यहां स्कूल भवन ना होने से बच्चों और शिक्षकों को परेशान होना पड़ता है.

कब मिलेगा स्कूल भवन ?
बता दें कि चौबीसा जैसे जिले में दर्जनों स्कूल हैं जो भवनों की कमी से जूझ रहे हैं. भवन नहीं होने के कारण कहीं स्कूल गोदाम में तो कहीं खुले आसमान के नीचे लग रहे हैं और आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी सबकुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं.

Intro:Etv Bharat Special Story

मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात कितने बेकार हैं जिसका अंदाजा डिंडौरी जिले के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। आदिवासी विकास विभाग के मंत्री ओमकार मरकाम के गृहजिले डिंडौरी के इस सरकारी स्कूल के बच्चे तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
दरअसल शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी विकासखंड के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की दर्ज़ संख्या 581 है और स्कूल में सिर्फ 4 ही कमरे हैं लिहाजा स्कूल प्रबंधन के द्वारा तंबू लगाकर एवं पेड़ के नीचे बैठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।Body:Etv Bharat Special Story

मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात कितने बेकार हैं जिसका अंदाजा डिंडौरी जिले के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। आदिवासी विकास विभाग के मंत्री ओमकार मरकाम के गृहजिले डिंडौरी के इस सरकारी स्कूल के बच्चे तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
दरअसल शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी विकासखंड के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की दर्ज़ संख्या 581 है और स्कूल में सिर्फ 4 ही कमरे हैं लिहाजा स्कूल प्रबंधन के द्वारा तंबू लगाकर एवं पेड़ के नीचे बैठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्कूल में ब्लैक बोर्ड तक की व्यवस्था नहीं है ऐसे में प्रयोगशाला एवं अन्य सुविधाओं की बात करना भी बेमानी होगी। तंबू और पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्रों ने बताया कि ऐसे माहौल में उनकी पढाई प्रभावित हो रही है लेकिन आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में इसी स्कूल में पढ़ना पड़ रहा है वहीं स्कूल के प्राचार्य की मानें तो उन्होंने स्कूल में व्याप्त समस्याओं की जानकारी आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी को दी है लेकिन अधिकारियों ने अब तक स्कूल की सुध नहीं ली है।
वहीं शिक्षक रवि कुमार ने बताया कि यहां स्कूल भवन न होने से बच्चों और शिक्षकों को भारी परेशान होना पड़ता है ।
हम आपको बता दें कि चौबीसा जैसे जिले में दर्जनों स्कूल हैं जो भवनों की कमी से जूझ रहे हैं,भवन नहीं होने के कारण कहीं स्कूल गोदाम में तो कहीं खुले आसमान के नीचे लग रहे हैं। आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी सबकुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं ।
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बाइट1- रवि कुमार , शिक्षक
बाइट2 - श्रीमती रेखा साहू, उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत मेंहदवानी Conclusion:मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात कितने बेकार हैं जिसका अंदाजा डिंडौरी जिले के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है। आदिवासी विकास विभाग के मंत्री ओमकार मरकाम के गृहजिले डिंडौरी के इस सरकारी स्कूल के बच्चे तंबू और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
दरअसल शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी विकासखंड के चौबीसा हायर सेकेंडरी स्कूल की दर्ज़ संख्या 581 है और स्कूल में सिर्फ 4 ही कमरे हैं लिहाजा स्कूल प्रबंधन के द्धारा तंबू लगाकर एवं पेड़ के नीचे बैठाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है।
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