डिंडौरी। रास्ते में बिखरे नुकीले पत्थर और उस पर पड़ते कोमल कदम और उस पर मुंह से निकलती आह के बीच मंजिल तक का सफर तय करते बड़े-बुजुर्ग-महिलाएं और मासूम. कहने को तो ये राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र हैं, बावजूद इनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि ये इसे ही अपनी नियति मान चुके हैं और रोजाना पथरीली राहों से जंग लड़ते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. मेंहदवानी विकास खंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य नरवा टोला और घुघरा टोला में निवास करने वाले लोग आजादी के सात दशक बाद भी रास्ते के लिए तरस रहे हैं.
पथरीली डगर से टकराते कोमल कदम, सात दशक बाद भी बैगाओं के नहीं बदले हालात - Baigas do not have basic facilities
बैगा आदिवासी रोजाना पथरीली राहों से जंग लड़ते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. मेंहदवानी विकास खंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य नरवा टोला और घुघरा टोला में निवास करने वाले लोग आजादी के सात दशक बाद भी रास्ते के लिए तरस रहे हैं.
डिंडौरी। रास्ते में बिखरे नुकीले पत्थर और उस पर पड़ते कोमल कदम और उस पर मुंह से निकलती आह के बीच मंजिल तक का सफर तय करते बड़े-बुजुर्ग-महिलाएं और मासूम. कहने को तो ये राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र हैं, बावजूद इनकी खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि ये इसे ही अपनी नियति मान चुके हैं और रोजाना पथरीली राहों से जंग लड़ते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं. मेंहदवानी विकास खंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य नरवा टोला और घुघरा टोला में निवास करने वाले लोग आजादी के सात दशक बाद भी रास्ते के लिए तरस रहे हैं.
आजादी के 73 सालों बाद भी ग्रामीणों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ रहा है ।
इतने सालों में न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गईं लेकिन आज तक इनकी किसी ने नहीं सुनी ।
हम बात कर रहे हैं डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य ग्राम नरवा टोला और घुघरा टोला की ।
यहां के ग्रामीणों को बड़े-बड़े पत्थरों भरे उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है । यहां से कठौतिया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को भी भारी परेशान होना पड़ता है । बरसात के दिनों में यहां कीचड़ भरे रास्तों से बड़ी मशक्कत से स्कूल जाना पड़ता है ।Body:Etv Bharat Exclusive Special story
आजादी के 73 सालों बाद भी ग्रामीणों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ रहा है ।
इतने सालों में न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गईं लेकिन आज तक इनकी किसी ने नहीं सुनी ।
हम बात कर रहे हैं डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य ग्राम नरवा टोला और घुघरा टोला की ।
यहां के ग्रामीणों को बड़े-बड़े पत्थरों भरे उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है । यहां से कठौतिया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को भी भारी परेशान होना पड़ता है । बरसात के दिनों में यहां कीचड़ भरे रास्तों से बड़ी मशक्कत से स्कूल जाना पड़ता है ।
यहां के ग्रामीण विष्णु बैगा ने बताया कि आज तक यहां हमें पक्के सड़क मार्ग की सुविधा नहीं मिली है । यहां से आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है । नेता केवल चुनाव के समय वोट मांगने ही आते हैं । चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं ।
कठौतिया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र नरवा टोला गांव के निवासी कृष्ण कुमार भारतीया और लक्ष्मण परते ने बताया कि उन्हें अपने गांव से स्कूल आने-जाने में भारी परेशान होना पड़ता है । बरसात के दिनों में इस रास्ते में वे कीचड़ में चलने को मजबूर हैं । बड़े बड़े पत्थरों की वजह से बहुत परेशानी होती है ।
वहीं ग्रामीण महिला नानबाई का कहना है कि आज तक यह सड़क मार्ग नहीं बनाया गया जिससे उन्हें इस पत्थर भरे रास्तों में चलकर आना-जाना पड़ता है ।
सरकार चाहे कितनी भी योजनाएं बनाकर उसका ढिंढोरा पीटते रहें, लेकिन यहां के ग्रामीणों को तो सरकार और अपने नेताओं से सड़क मार्ग की आस लगी है ।
अब न जाने यह सड़क मार्ग कब तक सुधरती है ।
बाइट1- विष्णु बैगा, ग्रामीण (लाल शर्ट वाला)
बाइट2- नानबाई, ग्रामीण महिला
बाइट3- कृष्ण कुमार भारतीया, छात्र (दुबला पतला लड़का)
बाइट4- लक्ष्मण परते, छात्र (मूंछ वाला लड़का)Conclusion:आजादी के 73 सालों बाद भी ग्रामीणों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज होना पड़ रहा है ।
इतने सालों में न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गईं लेकिन आज तक इनकी किसी ने नहीं सुनी ।
हम बात कर रहे हैं डिंडौरी जिले के मेंहदवानी विकासखंड के चिरपोटी रैयत ग्राम पंचायत के बैगा बाहुल्य ग्राम नरवा टोला और घुघरा टोला की ।
यहां के ग्रामीणों को बड़े-बड़े पत्थरों भरे उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है । यहां से कठौतिया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को भी भारी परेशान होना पड़ता है । बरसात के दिनों में यहां कीचड़ भरे रास्तों से बड़ी मशक्कत से स्कूल जाना पड़ता है ।