धार। एक महिला ने अपनी पति के खिलाफ घरेलू हिंसा और भरण पोषण के लिए केस दायर किया था. जिस पर महिला के पति ने सेंधवा की न्यायालय में अपनी पत्नी को तलाक देने की बात कही थी, लेकिन मनावर कोर्ट में पत्नी मानते हुए अपने साथ रहने की बात कही है, लेकिन महिला ने साथ जाने से इंकार कर दिया है.
मनावर विधानसभा के बाकानेर गांव निवासी कासिम खत्री ने अपनी बीबी को शरीयत के तहत और लिखित दोनों तरह से तलाक दिया था. तलाक के बाद कासिम ने दूसरी बीबी से निकाह कर लिया. वहीं कासिम की पहली बीबी ने सेंधवा न्यायालय में घरेलू हिंसा और दहेज पताड़ना का एक केस दायर किया था .
कासिम ने सेंधवा न्यायालय में जवाब दिया है की वो पहली पत्नी को तलाक दे चुका है. इसलिए वह भरण-पोषण और गुजारा भत्ते के लिये पात्र नहीं है. जबकि कासिम ने मनावर की जिला व अपर सत्र न्यायालय में उसने कहा है कि वह पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया है. वह उसके साथ घर आकर रह सकती है.
पीड़िता का कहना है कि शरीयत के हिसाब से पति ने तलाक दिया है तो वह बगैर हलाला के उसके साथ नहीं रह सकती है. साथ ही पीड़िता ने कहा कि वह हलाला के लिए तैयार नहीं है. वहीं इस मामले में पीड़िता की वकील विमला शर्मा का कहना है कि कासिम ने एक नहीं दो महिलाओं की जिंदगी खराब की है. वकील का कहना है कि कासिम ने शरीयत का मजाक उड़ाया है, इसलिए उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए.