धार। सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को जानने के लिए महाराष्ट्र के उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले 4 सदस्यों का दल धार पहुंचा. यहां डूब प्रभावितों की समस्याओं को हाल जाना. इसी के आधार पर ये दल रिपोर्ट बनाकर तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पेश करेगा. माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र के लोगों की समस्याएं दूर हो सकती है. सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित धार जिले के खलघाट, निसरपुर में जनसुनवाई का आयोजन किया गया. जिसमें पूर्व जस्टिस और अन्य लोगों के दल ने डूबप्रभावित क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को जाना.
तीन राज्यों को पेशी होगी रिपोर्ट
इन्हीं परेशान लोगों की समस्याओं को जानने के लिए नर्मदा बचाव आंदोलन के बुलावे पर महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर.एम बोर्डे, महाराष्ट्र जल नियोजन समिति के प सदस्य प्रदीप पुरंदरे, महाराष्ट्र मराठवाड़ा विकास मंडल के पूर्व अध्यक्ष विजय दीवान, उच्च न्यायालय औरंगाबाद के अधिवक्ता उदय बोपशेट्टी, का दल धार जिले के खलघाट और निसरपुर में डूब प्रभावितों की समस्याओं को जानने के लिए पहुंचे. जहां डूब प्रभावितों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन कि नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में अपनी समस्याओं से अवगत कराया. दल ने भी लोगों की समस्याओं को जानकर मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र कि सरकार को रिपोर्ट बनाकर पेश करने के लिए रिपोर्ट तैयार की.
वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की जल्द बैठक होने वाली है. उस बैठक के पहले यह दल अपनी रिपोर्ट बनाकर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात की सरकार को पेश करेंगा.
आदर्श पुनर्वास नीति का नहीं मिला फायदा
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के कारण मध्यप्रदेश के 192 गांव के और एक कस्बा धरमपुरी,महाराष्ट्र के 33 गांव और गुजरात के 19 गांव प्रभावित है. वहीं पहले शिवराज सिंह सरकार ने भी दावा किया था कि उन्होंने सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित क्षेत्र के लोगों को आदर्श पुनर्वास नीति के तहत स्थापित कर दिया है.लेकिन आज भी डूब प्रभावित लोगों को आदर्श पुनर्वास नीति के तहत लाभ नहीं मिला हैं. आज भी ये लोग अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.