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सिंधिया जैसी चुनौती का सामना कर रहे राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, केपी यादव बन पाएंगे कमल पटेल ?

मध्य प्रदेश की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उन्हीं में से एक है धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के इस्तीफे से खाली हुई है, बदनावर सीट पर ठीक उसी तरह मुकाबला होने जा रहा है, जैसा 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय सीट पर देखने को मिला था. पढ़िए पूरी खबर...

Badnawar Seat
सिंधिया जैसी चुनौती का सामना कर रहे राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव
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Published : Oct 11, 2020, 11:04 AM IST

धार। धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं. यहां शिवराज सरकार में उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का मुकाबला उनके मुख्य सिपहसलार रहे कमल सिंह पटेल से होगा, जो कांग्रेस की टिकट से चुनावी मैदान में हैं. उपचुनाव में बदनावर सीट पर ठीक उसी तरह मुकाबला होने जा रहा है जैसा 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय सीट पर देखने को मिला था, जहां बीजेपी के टिकट पर सिंधिया के सबसे करीबी केपी सिंह ने उन्हें पटखनी दी थी, लेकिन बदनावर सीट पर बस फर्क सिर्फ इतना है कि केपी यादव कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे जबकि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है.

केपी यादव बन पाएंगे कमल पटेल ?
Badnawar Assembly Seat
केपी यादव, बीजेपी सांसद

ये भी पढ़ें: बदनावर में पहला उपचुनावः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी-कांग्रेस में ही रहता है मुकाबला

कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल के दत्तीगांव परिवार से काफी पुराने संबंध हैं. कमल सिंह पटेल के दत्तीगांव परिवार से मधुर संबंध रहे हैं. बदनवार सीट से कई बार चुनाव लड़ने वाले राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव के चुनाव मेनेजमेंट की कमान कमल सिंह पटेल ही संभालते रहे हैं.

Badnawar Assembly Seat
ज्योतिरादित्य सिंधिया, राज्यसभा सांसद, बीजेपी

दोनों नेता कर रहे जीत का दावा

सियासत में कब क्या हो जाए इसका किसी को अंदाजा नहीं रहता. शायद यही वजह है कि जो कल तक एक दूसरे के सबसे करीबी माने जाते थे वो आज राजनीतिक प्रतिद्वंदी बनकर चुनावी मैदान में हैं, यदि बदनावर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की हार होती है, तो यहां के चुनावी परिणाम सिंधिया और केपी यादव के बीच हुए सियासी मुकाबले की याद जरूर दिलाएंगे. वहीं यदि कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल को हार मिलती है तो बदनावर में एक और नया इतिहास लिखा जाएगा. हालांकि दोनों नेता अपनी-अपनी जीत का दवा कर रहे हैं.

Badnawar Assembly Seat
राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, बीजेपी प्रत्याशी

कितने मधुर थे संबंध

राजनैतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री बताते हैं कि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कमल सिंह पटेल के बीच में ठीक वैसी ही संबंध ओर मित्रता थी, जैसी मित्रता कभी राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना सांसद केपी यादव के बीच थी. दोनों एक दूसरे के खासम-खास माने जाते थे.

Badnawar Assembly Seat
कमल सिंह पटेल, कांग्रेस उम्मीदवार

जनता किसे देगी आशीर्वाद

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कमल सिंह पटेल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके बीच में इतने मधुर संबंध थे कि यदि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को बुखार आता था तो गोली कमल सिंह पटेल खाते थे और यदि कमल सिंह पटेल को ठंड लगती थी तो स्वेटर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पहन लेते थे, लेकिन सियासत ने इन संबंधों के बीच अब दरार डाल दी है. ऐसे में देखने दिलचस्प होगा कि बदनावर की जनता किसे अपना आशीर्वाद देती है और किस से नकारती है.

Badnawar Assembly Seat
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव

धार। धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं. यहां शिवराज सरकार में उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का मुकाबला उनके मुख्य सिपहसलार रहे कमल सिंह पटेल से होगा, जो कांग्रेस की टिकट से चुनावी मैदान में हैं. उपचुनाव में बदनावर सीट पर ठीक उसी तरह मुकाबला होने जा रहा है जैसा 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय सीट पर देखने को मिला था, जहां बीजेपी के टिकट पर सिंधिया के सबसे करीबी केपी सिंह ने उन्हें पटखनी दी थी, लेकिन बदनावर सीट पर बस फर्क सिर्फ इतना है कि केपी यादव कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे जबकि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है.

केपी यादव बन पाएंगे कमल पटेल ?
Badnawar Assembly Seat
केपी यादव, बीजेपी सांसद

ये भी पढ़ें: बदनावर में पहला उपचुनावः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी-कांग्रेस में ही रहता है मुकाबला

कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल के दत्तीगांव परिवार से काफी पुराने संबंध हैं. कमल सिंह पटेल के दत्तीगांव परिवार से मधुर संबंध रहे हैं. बदनवार सीट से कई बार चुनाव लड़ने वाले राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव के चुनाव मेनेजमेंट की कमान कमल सिंह पटेल ही संभालते रहे हैं.

Badnawar Assembly Seat
ज्योतिरादित्य सिंधिया, राज्यसभा सांसद, बीजेपी

दोनों नेता कर रहे जीत का दावा

सियासत में कब क्या हो जाए इसका किसी को अंदाजा नहीं रहता. शायद यही वजह है कि जो कल तक एक दूसरे के सबसे करीबी माने जाते थे वो आज राजनीतिक प्रतिद्वंदी बनकर चुनावी मैदान में हैं, यदि बदनावर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की हार होती है, तो यहां के चुनावी परिणाम सिंधिया और केपी यादव के बीच हुए सियासी मुकाबले की याद जरूर दिलाएंगे. वहीं यदि कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल को हार मिलती है तो बदनावर में एक और नया इतिहास लिखा जाएगा. हालांकि दोनों नेता अपनी-अपनी जीत का दवा कर रहे हैं.

Badnawar Assembly Seat
राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, बीजेपी प्रत्याशी

कितने मधुर थे संबंध

राजनैतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री बताते हैं कि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कमल सिंह पटेल के बीच में ठीक वैसी ही संबंध ओर मित्रता थी, जैसी मित्रता कभी राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना सांसद केपी यादव के बीच थी. दोनों एक दूसरे के खासम-खास माने जाते थे.

Badnawar Assembly Seat
कमल सिंह पटेल, कांग्रेस उम्मीदवार

जनता किसे देगी आशीर्वाद

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कमल सिंह पटेल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके बीच में इतने मधुर संबंध थे कि यदि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को बुखार आता था तो गोली कमल सिंह पटेल खाते थे और यदि कमल सिंह पटेल को ठंड लगती थी तो स्वेटर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पहन लेते थे, लेकिन सियासत ने इन संबंधों के बीच अब दरार डाल दी है. ऐसे में देखने दिलचस्प होगा कि बदनावर की जनता किसे अपना आशीर्वाद देती है और किस से नकारती है.

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राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव
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