धार। जिले की अहम सीटों में से एक कुक्षी अपने आप में खास मुकाम रखती है. मध्यप्रदेश की सियासत में सरकार की मुश्किलें खड़ी करने वाली जमुना देवी इसी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. कुक्षी पर कांग्रेस का एकतरफा राज रहा है. अब तक हुए 15 चुनावों में कांग्रेस को 12 बार जीत मिली तो वहीं साल 1962 में जनसंघ, 1990 में बीजेपी और 2011 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी जीती थी. इस सीट से 3 बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. कुक्षी से कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह बघेल हनी विधायक हैं. 15 महीने की कमलनाथ सरकार में हनी को नर्मदा घाटी विकास का मंत्री बनाया गया था.
जयदीप पटेल के सामने सुरेंद्र सिंह: धार जिले के कुक्षी से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने भिंडे जयदीप पटेल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने बघेल सुरेंद्र सिंह हनी को मैदान में उतारा है. दोनों प्रत्याशियों को बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.
कुक्षी सीट का समीकरण: 2018 के विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले हनी कुक्षी से जीतकर कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. हनी बघेल पहली बार 2013 में यहां से विधायक बने थे. 2018 में 63 हजार वोटों से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह को हराया था. इससे पहले उनके पिता प्रताप सिंह बघेल और जमुना देवी के बीच कांग्रेस के टिकट को लेकर खींचतान मचती रही. कभी जमुना देवी तो कभी प्रताप सिंह यहां से जीतते रहे, लेकिन जनता के बीच कांग्रेस ही पहली पसंद रही. हालांकि तीन मौके ऐसे भी आए जब जनता ने कांग्रेस को भी नकार दिया था. साल 2023 में कांग्रेस की तरफ से हनी बघेल तय उम्मीदवार हैं, तो वहीं बीजेपी ने जयदीप पटेल को कांग्रेस की टक्कर में उतारा है.
जयस भी इस इलाके में दमदार: आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां पर जयस का भी खासा प्रभाव है. जयस की मौजूदगी ने हनी सहित बीजेपी की नींद उड़ा दी है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर मुद्दे और चेहरे के साथ जातिगत समीकरण साधना भी अहम है. यहां अनुसूचित जनजाति वोट निर्णायक स्थिति में हैं. आदिवासी बाहुल्य जो कांग्रेस का गढ़ है. यहां के मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस के उम्मीदवारों को यहां से ज्यादा वोट मिलते हैं. हालांकि कुक्षी क्षेत्र के मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ रहता है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है. वहीं पाटीदार और सिरवी समाज भी इस इलाके में प्रभावी है.
कुक्षी सीट का सियासी इतिहास: मध्यप्रदेश की कुक्षी विधानसभा सीट कांग्रेस का मजबूत किला है. ये सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. 1990 में रंजना बघेल चुनी गई थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी जमुना देवी को हराया .जमुना देवी 1998 के बाद 2003 और 2008 के चुनाव में जीती , वही 1952 और 1985 में भी जमुना पर आदिवासियों ने भरोसा जताया. 2010 में जमुना देवी को कैंसर हुआ. जिसके बाद कैंसर से उनका निधन हुआ, 2011 में हुए उपचुनाव में बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली. हालांकि 2013 में कांग्रेस ने फिर इस सीट को हासिल किया और 2018 में भी कांग्रेस ही जीती.