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हिन्दी दिवस विशेष: अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिन्दी

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Published : Sep 14, 2019, 3:19 AM IST

हिन्दी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का हिन्दी सबसे सुलभ साधन है.

विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिन्दी

धार। 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है और हिन्दी विशेषज्ञों का मानना है कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिन्दी है. आज के इस आधुनिक युग में हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे बड़ी आसानी से सीखा और पढ़ा जा सकता है. इसी भाषा के माध्यम से बड़ी ही आसानी से विचारों को व्यक्त किया जाता है. हिन्दी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का हिन्दी सबसे सुलभ साधन है.

हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि पहले लोग अंग्रेजी भाषा की ओर ज्यादा आकर्षित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ लोगों ने हिन्दी का महत्व भी समझा. इसके श्रेय लोगों ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल को दिया. हिन्दी के व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि विदेशी भाषा का चाहे जितना ज्ञान हो, लेकिन जब तक अपनी निज भाषा या मातृभाषा का पूरा ज्ञान नहीं हो तो हम आपस में भी संवाद करने में सफल नहीं हो पाते हैं.

विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिन्दी

आज के आधुनिक युग में लोग जरूर अंग्रेजी भाषा कि ओर आकर्षित होते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जो अंग्रेजी में बातचीत करता है वो ज्यादा ज्ञानी होता है, ज्यादा प्रभावशाली होता है, लेकिन हिन्दी भाषा की भी अपनी मर्यादा है और हिन्दी भाषा को जानने वाले लोग भी प्रभावशील रहे हैं. इसलिए आधुनिक युग में जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा की है, उससे ज्यादा आवश्यकता हिन्दी भाषा की भी है. ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने कहा कि हर भारतीय को हिन्दी का ज्ञान होना आवश्यक है.

धार। 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है और हिन्दी विशेषज्ञों का मानना है कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिन्दी है. आज के इस आधुनिक युग में हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे बड़ी आसानी से सीखा और पढ़ा जा सकता है. इसी भाषा के माध्यम से बड़ी ही आसानी से विचारों को व्यक्त किया जाता है. हिन्दी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का हिन्दी सबसे सुलभ साधन है.

हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि पहले लोग अंग्रेजी भाषा की ओर ज्यादा आकर्षित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ लोगों ने हिन्दी का महत्व भी समझा. इसके श्रेय लोगों ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल को दिया. हिन्दी के व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि विदेशी भाषा का चाहे जितना ज्ञान हो, लेकिन जब तक अपनी निज भाषा या मातृभाषा का पूरा ज्ञान नहीं हो तो हम आपस में भी संवाद करने में सफल नहीं हो पाते हैं.

विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिन्दी

आज के आधुनिक युग में लोग जरूर अंग्रेजी भाषा कि ओर आकर्षित होते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जो अंग्रेजी में बातचीत करता है वो ज्यादा ज्ञानी होता है, ज्यादा प्रभावशाली होता है, लेकिन हिन्दी भाषा की भी अपनी मर्यादा है और हिन्दी भाषा को जानने वाले लोग भी प्रभावशील रहे हैं. इसलिए आधुनिक युग में जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा की है, उससे ज्यादा आवश्यकता हिन्दी भाषा की भी है. ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने कहा कि हर भारतीय को हिन्दी का ज्ञान होना आवश्यक है.

Intro:अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हे हिंदी


Body:हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और हिंदी विशेषज्ञों का मानना है कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिंदी ही है आज के इस आधुनिक युग में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे बड़ी आसानी से सीखा और पढ़ा जा सकता है और इसी भाषा के माध्यम से एक दूसरे से बड़ी ही आसानी से विचारों को व्यक्त किया जाता है हिंदी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिंदी ही है, हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि पहले लोग अंग्रेजी भाषा की ओर ज्यादा आकर्षित होते थे पर समय के साथ-साथ लोगों ने हिंदी का महत्व भी समझा और इसके लिए उन्होंने श्रेया आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल को दिया, हिंदी के व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि विदेशी भाषा का चाहे जितना ज्ञान हो परंतु जब तक हम अपनी निज भाषा या मातृभाषा का पूरा ज्ञान नहीं हो तो हम आपस में भी संवाद करने में भी बराबर सफल नही हो पाते है, आज के आधुनिक युग में लोग जरूर अंग्रेजी भाषा कि और आकर्षित होते हैं,वही कुछ लोगो का मानना हैं कि जो अंग्रेजी में बातचीत करता है वो ज्यादा ज्ञानी होता ज्यादा प्रभावशाली होता है, परंतु हिंदी भाषा की भी अपनी मर्यादा है और हिंदी भाषा को जानने वाले लोग भी प्रभावशील रहे हैं, इसलिए आधुनिक युग में जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा की है उससे कहीं ज्यादा आवश्यकता हिंदी भाषा की भी है ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान अंत में हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने कहा कि हर भारतीय को हिंदी का ज्ञान होना आवश्यक हैं।


Conclusion:1-2-1- देवदत्त बर्वे -हिंदी व्याख्याता
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