धार। लॉकडाउन की वजह से पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है, छोटे-बड़े सभी धंधों पर लॉकडाउन का बड़ा असर हुआ. जिससे किसानों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं. मध्य प्रदेश के धार जिले में बड़े पैमाने पर वीएनआर किस्म के अमरूद की खेती की जाती है, इसे थाई ग्वावा के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से अमरूद की खेती करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान हुआ.
वीएनआर किस्म के इस अमरूद को थाई ग्वावा के नाम से भी जाना जाता है, जो सामान्य अमरूद की अपेक्षा बड़ा होता है. इस अमरूद में न्यूट्रिशनल वैल्यू काफी ज्यादा होती है, इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन विटामिन B और C होता है, जिससे यह कम्प्लीट हेल्थ फ्रूट माना जाता है. अपनी इन्हीं खासियतों के चलते इसकी अच्छी खासी डिमांड रहती है.
अमरूद की खेती में आती है लाखों रुपए की लागत
वीएनआर किस्म के अमरूद की बागवानी करने शैलेंद्र पाटीदार और मुकेश पाटीदार ने बताया कि, इस किस्म की अमरूद की बागवानी में बड़ा खर्च आता है. जब अमरुद के पेड़ों पर फल आना शुरू होते हैं, तभी मौसम के प्रभाव से बचाने के लिए विशेष प्रकार की फोम की जाली और एंटी फॉग पॉलिथीन के साथ में पेपर से कवर किया जाता है, ऐसा करने से अमरूद का आकार भी बढ़ता हैं और उस में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व बने रहते हैं, इस विशेष बेगिंग में हर अमरूद पर एक से डेढ़ रुपय का खर्च आता है. प्रति एकड़ में एक से डेढ़ लाख रुपय का खर्च होता है.
लॉकडाउन से हुआ लाखों का नुकसान
अमरूद की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि, इस बार लॉकडाउन की वजह से उन्हें लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. अमरूद की जो उपज तैयार हुई, वो लॉकडाउन के पहले आजादपुर मंडी दिल्ली में दो बार बिकने गई. लेकिन जैसे ही कोरोना के चलते लॉकडाउन हुआ, तो सब कुछ बंद हो गया. जिससे वीएनआर अमरूद की खेती करने वाले हर किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. अमरूद की खेती में हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके.