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सिटी ऑफ जॉय में लॉकडाउन से पसरा सन्नाटा, मराठों और मुगलों के शहर में देखें कैसा है असर

सिटी ऑफ जॉय के नाम से मशहूर पर्यटन नगरी मांडू इन दिनों सन्नाटे की चादर ओढ़े हुए हैं, लॉक डाउन के पहले यहां पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता था, जहां देखो वहां पर्यटक पौराणिक धरोहरों को निहारते रहते थे, मांडू के गौरवशाली इतिहास को जानकर खुश नजर आते थे, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण ने पर्यटकों से गुलजार रहने वाला खुशियों के शहर मांडू में फिलहाल सन्नाट पसरा हुआ है.

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Published : May 25, 2020, 3:17 PM IST

effect of lockdown in city of joy mandu
मांडू

धार। विंध्याचल की पहाड़ी पर बसे 12 स्वागत दरवाजों वाले मांडू मे परमारो, मुगलों ओर मराठों का शासन रहा है, पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों से शुमार प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मांडू शहर में रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की संगीत प्रेम कि मधुर धुन आज भी गूंजती है, रानी रूपमती का रूपमती मंडप से मां नर्मदा के दर्शन करने के साथ मुंज और कपूर तालाब के बीच में जहाज महल का झूलना मांडू के सौंदर्य को सींचता है. हिंडोला महल और चंपा बावड़ी की अपनी अलग ही खूबसूरती है, वहीं होशंगशाह का संगमरमर का मकबरा और जामा मस्जिद अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

मांडू में पसरा सन्नाटा

काकड़ा खो का कल-कल छल-छल बहता झरना और अशर्फी महल की कहानी पर्यटकों को खूब लुभाती है. मांडू में प्रभु श्री राम के विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर और जैन मंदिर होने पर यहां भक्ति का भाव रहता है. इन्हीं खूबियों के चलते खुशियों के शहर मांडू में हमेशा पर्यटक से हराभरा रहता है, जहां देखो वहां पर्यटक इस शहर की पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर को निहारते हैं. मांडू कि हर एक धरोहर में हिंदू-मुस्लिम सभ्यता का मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलता है, कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मांडू सुनसान शहर में तब्दील हो गया है.

जहाज महल

मुंज और कपूर तालाब के बीच में जहाज की तरह तैरता जहाज महल मांडू का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, इसका निर्माण 1479 से 1501 के बीच में गयासुद्दीन खिलजी ने अपने रानियों के रहने के लिए करवाया था.

रूपमती मंडप

विंध्याचल की पहाड़ी पर समुद्र तल से 2100 फिट की ऊंचाई पर स्थित है रानी रूपमती मंडप,रूपमती मंडप का निर्माण राजा बाज बहादुर ने रानी रूपमती के नर्मदा दर्शन की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के बनवाया था, रानी रूपमती रूपमती मंडप के शिखर से खड़े होकर नर्मदा नदी के दर्शन किया करती थी और उसी के बाद ही वह अन्न जल ग्रहण करती थी.

होशंगशाह का मकबरा

होशंगशाह का मकबरा पूरी तरीके से संगमरमर से बना हुआ है,यह पहली मुगलकालीन संगमरमर से बनी इमारत,इसका निर्माण होशंगशाह ने करवा था, संगमरमर से बने होशंगशाह के मकबरे को देखकर ही आगरा में ताजमहल बनाने की योजना बनाई गई थी, होशंगशाह का मकबरा वास्तु एवं शिल्प कला का बेजोड़ नमूना है,

हिंडोला महल

हिंडोला का शाब्दिक अर्थ होता है झूलता महल, इसकी बाहरी दीवारें 77 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं, इसी वजह से इसको हिंडोला महल कहा जाता है.

चंपा बावड़ी

मांडू के प्रमुख आकर्षण केंद्र जहाज महल परिसर में शाही महल के बीचों-बीच चंपा बावड़ी स्थित है. चंपा बावड़ी की बनावट चंपा के फूल जैसी है. वहीं इस बावड़ी के पानी से चंपा के फूलों की खुशबू आती है, इसी वजह से इसका नाम चंपा बावड़ी रखा गया है.

जामी मस्जिद

मांडू में स्थित जामी मस्जिद में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति की झलक देखने को मिलती है है इस इमारत का निर्माण हिंदू पीरियड में हुआ ,जिसे 1400 ईसवी में होशंगशाह गौरी ने मस्जिद में तब्दील करने का काम शुरू करवाया जिसको पूर्ण महमूदशाह खिलजी ने पूरा करवाया.

अशर्फी महल

अशर्फी महल को लेकर कई बातें सामने आई हैं, ऐसा कहा जाता है कि राजा भोज के शासन काल में यह संस्कार विश्वविद्यालय था, जिसे होशंगशाह गौरी ने पारसी मदरसे में 1400 ईसवी तब्दील किया. ऐसा भी कहा जाता है कि जहांगीर खां की बेगम नूरजहा ने अशर्फीयों के लालच में गर्भवति होते हुए भी इस महल की 198 सीढ़ियां चढ़ी थीं और उन अशर्फियों को नूरजहां ने गरीबों में बंटवाया था. तब से ही इस महल का नाम अशर्फी महल हुआ है.

चतुर्भुज श्री राम मंदिर

मांडू स्थिति चतुर्भुज श्री राम मंदिर विश्व का एकलौता मंदिर है, जिसमें प्रभु श्री राम के चतुर्भुज स्वरूप के दर्शन यहां आने वाले भक्तों को होते हैं. इस मंदिर में संपूर्ण राम दरबार के दर्शन होते हैं.

धार। विंध्याचल की पहाड़ी पर बसे 12 स्वागत दरवाजों वाले मांडू मे परमारो, मुगलों ओर मराठों का शासन रहा है, पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों से शुमार प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मांडू शहर में रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर की संगीत प्रेम कि मधुर धुन आज भी गूंजती है, रानी रूपमती का रूपमती मंडप से मां नर्मदा के दर्शन करने के साथ मुंज और कपूर तालाब के बीच में जहाज महल का झूलना मांडू के सौंदर्य को सींचता है. हिंडोला महल और चंपा बावड़ी की अपनी अलग ही खूबसूरती है, वहीं होशंगशाह का संगमरमर का मकबरा और जामा मस्जिद अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

मांडू में पसरा सन्नाटा

काकड़ा खो का कल-कल छल-छल बहता झरना और अशर्फी महल की कहानी पर्यटकों को खूब लुभाती है. मांडू में प्रभु श्री राम के विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर और जैन मंदिर होने पर यहां भक्ति का भाव रहता है. इन्हीं खूबियों के चलते खुशियों के शहर मांडू में हमेशा पर्यटक से हराभरा रहता है, जहां देखो वहां पर्यटक इस शहर की पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर को निहारते हैं. मांडू कि हर एक धरोहर में हिंदू-मुस्लिम सभ्यता का मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलता है, कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मांडू सुनसान शहर में तब्दील हो गया है.

जहाज महल

मुंज और कपूर तालाब के बीच में जहाज की तरह तैरता जहाज महल मांडू का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, इसका निर्माण 1479 से 1501 के बीच में गयासुद्दीन खिलजी ने अपने रानियों के रहने के लिए करवाया था.

रूपमती मंडप

विंध्याचल की पहाड़ी पर समुद्र तल से 2100 फिट की ऊंचाई पर स्थित है रानी रूपमती मंडप,रूपमती मंडप का निर्माण राजा बाज बहादुर ने रानी रूपमती के नर्मदा दर्शन की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने के बनवाया था, रानी रूपमती रूपमती मंडप के शिखर से खड़े होकर नर्मदा नदी के दर्शन किया करती थी और उसी के बाद ही वह अन्न जल ग्रहण करती थी.

होशंगशाह का मकबरा

होशंगशाह का मकबरा पूरी तरीके से संगमरमर से बना हुआ है,यह पहली मुगलकालीन संगमरमर से बनी इमारत,इसका निर्माण होशंगशाह ने करवा था, संगमरमर से बने होशंगशाह के मकबरे को देखकर ही आगरा में ताजमहल बनाने की योजना बनाई गई थी, होशंगशाह का मकबरा वास्तु एवं शिल्प कला का बेजोड़ नमूना है,

हिंडोला महल

हिंडोला का शाब्दिक अर्थ होता है झूलता महल, इसकी बाहरी दीवारें 77 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं, इसी वजह से इसको हिंडोला महल कहा जाता है.

चंपा बावड़ी

मांडू के प्रमुख आकर्षण केंद्र जहाज महल परिसर में शाही महल के बीचों-बीच चंपा बावड़ी स्थित है. चंपा बावड़ी की बनावट चंपा के फूल जैसी है. वहीं इस बावड़ी के पानी से चंपा के फूलों की खुशबू आती है, इसी वजह से इसका नाम चंपा बावड़ी रखा गया है.

जामी मस्जिद

मांडू में स्थित जामी मस्जिद में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति की झलक देखने को मिलती है है इस इमारत का निर्माण हिंदू पीरियड में हुआ ,जिसे 1400 ईसवी में होशंगशाह गौरी ने मस्जिद में तब्दील करने का काम शुरू करवाया जिसको पूर्ण महमूदशाह खिलजी ने पूरा करवाया.

अशर्फी महल

अशर्फी महल को लेकर कई बातें सामने आई हैं, ऐसा कहा जाता है कि राजा भोज के शासन काल में यह संस्कार विश्वविद्यालय था, जिसे होशंगशाह गौरी ने पारसी मदरसे में 1400 ईसवी तब्दील किया. ऐसा भी कहा जाता है कि जहांगीर खां की बेगम नूरजहा ने अशर्फीयों के लालच में गर्भवति होते हुए भी इस महल की 198 सीढ़ियां चढ़ी थीं और उन अशर्फियों को नूरजहां ने गरीबों में बंटवाया था. तब से ही इस महल का नाम अशर्फी महल हुआ है.

चतुर्भुज श्री राम मंदिर

मांडू स्थिति चतुर्भुज श्री राम मंदिर विश्व का एकलौता मंदिर है, जिसमें प्रभु श्री राम के चतुर्भुज स्वरूप के दर्शन यहां आने वाले भक्तों को होते हैं. इस मंदिर में संपूर्ण राम दरबार के दर्शन होते हैं.

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