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कैसे होगा नौनिहालों का विकास, जब 35 साल बाद भी नहीं बना आंगनबाड़ी भवन

धार जिले के जिलवारा गांव में 35 साल बात भी आंगनबाड़ी भवन नहीं बन सका है. जिससे बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीणों का कहना है, कि वह शासन और प्रशासन दोनों को कई बार शिकायत कर चुके हैं. लेकिन आंगनबाड़ी भवन नहीं बना.

35 साल बाद भी नहीं बना आंगनबाड़ी भवन
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Published : Sep 12, 2019, 9:48 PM IST

धार। धार जिले के जिलवारा गांव की तस्वीरें देखकर आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं, कि जिले में नौनिहालों को शुरुआती शिक्षा देने वाले महिला बाल विकास विभाग का क्या हाल है. कहने को तो इस गांव में 35 साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र खुला था. लेकिन बच्चों को बैठने के लिए 35 साल बाद भी भवन नहीं बना है. जो शासन-प्रशासन की उदासीनता का जीता जागता उदाहरण है.

35 साल बाद भी नहीं बन सका आंगनबाड़ी भवन

खास बात यह है कि जिलवारा गांव धार सांसद छतर सिंह दरबार के गृह पंचायत बोदरपुरा के अंर्तगत आता है. लेकिन फिर भी यहां एक आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं बन सका. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने भवन के लिए कभी आवाज नहीं उठाई हो. ग्रामीणों से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तक भवन के लिए कई बार प्रशासन के दरवाजे खटखटा चुके हैं. लेकिन नतीजा ढाग के तीन पात ही नजर आया.

कहने को तो महिला बाल विकास विभाग नौनिहालों के लिए लाखों रुपए खर्च करती है. लेकिन जब आंगनबाड़ी भवन ही न बनाया जा सके, तो फिर इसे शासन और प्रशासन की लचरता ही कहा जाएगा. जिलवारा गांव मे आंगनबाड़ी भवन न बच्चों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब आंगनबाड़ी भवन न बनने के पीछे वजह जो भी हो, लेकिन विकास की यह धीमी रफ्तार धार जिले को कितना आगे ले जाएगी यह एक बड़ा सवाल है.

धार। धार जिले के जिलवारा गांव की तस्वीरें देखकर आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं, कि जिले में नौनिहालों को शुरुआती शिक्षा देने वाले महिला बाल विकास विभाग का क्या हाल है. कहने को तो इस गांव में 35 साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र खुला था. लेकिन बच्चों को बैठने के लिए 35 साल बाद भी भवन नहीं बना है. जो शासन-प्रशासन की उदासीनता का जीता जागता उदाहरण है.

35 साल बाद भी नहीं बन सका आंगनबाड़ी भवन

खास बात यह है कि जिलवारा गांव धार सांसद छतर सिंह दरबार के गृह पंचायत बोदरपुरा के अंर्तगत आता है. लेकिन फिर भी यहां एक आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं बन सका. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने भवन के लिए कभी आवाज नहीं उठाई हो. ग्रामीणों से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तक भवन के लिए कई बार प्रशासन के दरवाजे खटखटा चुके हैं. लेकिन नतीजा ढाग के तीन पात ही नजर आया.

कहने को तो महिला बाल विकास विभाग नौनिहालों के लिए लाखों रुपए खर्च करती है. लेकिन जब आंगनबाड़ी भवन ही न बनाया जा सके, तो फिर इसे शासन और प्रशासन की लचरता ही कहा जाएगा. जिलवारा गांव मे आंगनबाड़ी भवन न बच्चों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब आंगनबाड़ी भवन न बनने के पीछे वजह जो भी हो, लेकिन विकास की यह धीमी रफ्तार धार जिले को कितना आगे ले जाएगी यह एक बड़ा सवाल है.

Intro:धार महू लोकसभा सांसद छतर सिंह दरबार के ग्रह ग्राम पंचायत के बोंदरपुरा में 35 वर्षों से आंगनवाड़ी के बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर इस और शासन का कोई ध्यान नहींBody:धार जिले की मनावर विधानसभा में विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है धार महू लोकसभा क्षेत्र के सांसद छतर सिंह दरबार जिस गांव के निवासी है उसी ग्राम पंचायत के बोन्दरपुरा में खुले में आंगनवाड़ी पिछले 35 सालों से लग रही है आखिर जिले का विकास करने वाले सांसद के ग्राम की यह दुर्दशा है तो जिले में आंगनडियो की स्थिति क्या होगी उसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं आदिवासियों के नाम पर सरकार करोड़ो रूपये कार्य करती है परंतु जमीन पर उसका कोई उपयोग नहीं होता जिस आंगनवाड़ी में मासूम पढ़ने और खेलने आते हैं इस बारिश के मौसम में भी खुले में ही बैठने को मजबूर है शिक्षा के नाम पर करोड़ो रुपया कहां पर खर्च हो रहा है यह समझ से परे है आदिवासी अंचल की आंगनवाड़ी की दशा देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं मध्यप्रदेश में आदिवासियों की सरकार और आदिवासी नेता होने के बाद विकास के दावे करते हैं पर जमीन पर कोई भी काम नहीं करते खुले में बैठकर छोटे-छोटे बच्चे अब आंगनवाड़ी में ही बैठने को मजबूर है
बाइट-01-भूरीबाई अवस्या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
बाइट-02-तुलसी बाई साइका आंगनवाड़ी
बाइट-03-कालू मंडलोई ग्रामीणConclusion: धार महु लोकसभा सांसद छतरसिंह दरबार के ग्रह ग्राम पंचायत लुंहेरा सड़क के बोन्दरपूरा में 35 वर्षों से आंगनवाड़ी के बच्चे खुले में पड़ रहे नेताओ ओर अधिकारियों का इन बच्चों पर कोई ध्यान नही
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