धार। विंध्याचल पर्वत पर बसा मांडू अपनी नैसर्गिक सुंदरता से बरबस ही लोगों का मन मोह लेता है. इस जगह ने प्राचीन धरोहरों को भी संभाल रखा है. मांडू की प्राचीन इमारतों में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का संगम देखने को मिलता है. बारिश के मौसम में यहां की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं, जिस कारण मांडू का नजारा स्वर्ग की तरह लगता है.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मांडू में परमार और मुगलों का शासन लंबे समय तक रहा. इस वजह से यहां की धरोहरों और प्राचीन इमारतों में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मिलाजुला स्वरूप नजर आता है. मांडू में सबसे पहले परमार राजाओं का शासनकाल रहा, जिन्होंने पौराणिक धरोहरों का निर्माण कराया. समय बीता और मांडू पर मुगल शासकों ने राज किया. अपने राज में मुगलों ने परमार राजाओं की बनवाई हुई इमारतों को तोड़कर उनपर नई इमारतों का निर्माण कराया. बतौर उदाहरण अगर होशंगशाह के मकबरे को देखा जाए, तो मकबरे के परिसर में कई सौ खंभों की धर्मशाला है, जिससे होशंगशाह मकबरे में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मिलाजुला स्वरूप नजर आता है.
12 प्रवेश द्वार करते हैं मांडू में स्वागत
मांडू में आने वाले पर्यटकों का स्वागत 12 प्रवेश द्वार करते हैं. इन प्रवेश द्वारों में सबसे प्रमुख दिल्ली दरवाजा है, जो मांडू का प्रवेश द्वार है. मांडू आने वाले पर्यटकों को मांडू के प्रवेश द्वार और घुमावदार रास्ते काफी पसंद आते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों को ऐसा लगता है जैसे वे किसी बड़े साम्राज्य में प्रवेश कर रहे हों.
किले में सुनाई देती है अमर प्रेम गाथा
मांडू में राजा बाज बहादुर का भी शासन रहा, जो संगीत प्रेमी थे. बाज बहादुर ने शिकार के दौरान स्वर रागिनी रानी रूपमती की मधुर आवाज में गीत सुना. उसके बाद बाज बहादुर और रानी रूपमती में संगीत प्रेम स्थापित हुआ, जिसकी गाथाएं आज भी मांडू में सुनाई देती है. आज भी मांडू को राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के संगीत प्रेम के लिए पहचाना जाता है. वहीं रानी रूपमती और बाज बहादुर का महल यहां आने वाले पर्यटकों को उनकी प्रेमगाथा का प्रमाण देता है.
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तैरता हुआ जहाज महल
कपूर और मुंज तालाब में तैरता हुआ जहाज महल यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. जहाज महल कपूर और मुंज तालाब के बीच में बना हुआ है, बारिश के मौसम में जब मुंज और कपूर तालाब पूरे तरीके से भर जाते हैं, तो ये महल किसी समुद्र में तैरते हुए जहाज के जैसा दिखाई देता है. इस महल को खिलजी राजवंश के जियाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था, जहां उनकी रानियां रहती थीं. जहाज महल के परिसर में चंपा बावड़ी और हिंडोला महल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.
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मांडू में पर्यटकों को जहाज महल, विंध्याचल की ऊंची पहाड़ी का रानी रूपमती महल, अशर्फी महल, संगमरमर से बना होशंगशाह का मकबरा और जामी मस्जिद आनंद का अनुभव देते हैं.
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खस्ताहाल सड़कें बनीं रुकावट
मांडू की खूबसूरती और धरोहरें जहां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, वहीं यहां की खस्ताहाल सड़कें पर्यटकों को पहले ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक ओर यहां की धरोहरें और प्राकृतिक सुंदरता मांडू की शोभा बढ़ा रही हैं, वहीं दूसरी ओर ये खराब सड़कें मांडू की सुंदरता को धूमिल कर रही हैं.
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