धार। जिले के 200 किसानों को 750 बीघा जमीन उनके नाम पर करने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने जिला प्रशासन को आदेशित किया है. पीथमपुरग्राम, अकोलिया, ग्राम भोंडिया, ग्राम पीथमपुर के 200 किसानों की 750 बीघा जमीन मध्यप्रदेश शासन ने किसानों के नाम कर दी. जिसके बाद जिला कलेक्टर आलोक सिंह ने एसडीएम और तहसीलदार को आदेश दिया.
दरअसल दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के तहत बनने वाले लॉजिस्टिक हब में जिले के तीन गांव अकोलिया, भोंडिया व पीथमपुर के 200 किसानों की 750 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होने वाली थी, लेकिन अब यह अधिग्रहण से मुक्त हो गई है. अब यह जमीन वापस इन किसानों के नाम पर चढ़ेगी, इसके आदेश प्रदेश सरकार ने जिला प्रशासन को दिए हैं.
अकोलिया दुर्गा मंदिर पर तीनों गावों के किसानों ने पूर्व विधायक करणसिंह पंवार को शाल, श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया है. अधिग्रहण से बचाई गई जमीन में अकोलिया की 400 बीघा, भोंडिया की 150 व पीथमपुर की 200 बीघा जमीन शामिल है. अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन लगाई तो 2016 में किसानों के हक में फैसला आया था.
किसान शंकर रघुवंशी ने बताया 2011-12 में शासन द्वारा अवॉर्ड पारित कर डीएमआईसी लॉजिस्टिक हब के लिए जमीन अधिग्रहित की थी, उसके बाद किसानों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया था. हाई कोर्ट द्वारा अधिग्रहण की सभी कार्रवाई निरस्त की गई और धारा 4, यथावत रखा गया था. इसके बाद किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया, और राजस्व रिकॉर्ड में से किसानों के नाम हटाकर डीएमआईसी का नाम दर्ज कर दिया गया.
किसानों द्वारा जनसुनवाई और कलेक्टर धार को बार-बार आवेदन करते हुए उस वक्त के तत्कालीन कलेक्टर श्रीकांत बनोठ द्वारा शासन को पत्र लिखा गया. और 1 वर्ष तक शासन और कलेक्टर दोनों के बीच पत्रों का आदान-प्रदान होता रहा. जब वर्तमान कलेक्टर आलोक सिंह आए, तो उन्होंने भी शासन को अवगत कराया, इसके बाद मध्यप्रदेश शासन ने आदेश पारित कर दिया है. कलेक्टर आलोक सिंह ने धार एसडीएम सतनारायण दर्रो को आदेशित किया. वहीं सतनारायण दर्रो ने तहसीलदार विनोद राठौर और पटवारी कन्हैया चौहान को सभी किसानों के ऋण पुस्तिका में नवीनीकरण करने के आदेश पारित कर दिए हैं.
आपको बता दें कि जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तो देपालपुर विधायक विशाल पटेल को भी यह सूचित किया गया था. इसके बाद शून्य काल में विधायक विशाल पटेल ने भी विधानसभा के अंदर यह बात अध्यक्ष के सामने रखी थी. पूर्व विधायक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता करण सिंह पवार ने 2011-12 से ही किसानों की इस लड़ाई को लड़ा, और 30 सितंबर 2020 को शासन ने आदेश दिया.