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किसानों की फसल पर फिर संकट के बादल, सूख रही है फसल - कन्नौद तहसील

देवास के कन्नौद तहसील में गेहूं की फसलें खराब होने से किसानों के माथे पर फिर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं.

wheat crops are getting dry in kannod of dewas
बर्बाद हो रही गेहूं की फसल
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Published : Nov 29, 2019, 12:02 AM IST

देवास। इन दिनों कन्नौद तहसील के किसानों की गेहूं की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं. कई किसानों की फसल अज्ञात कारणों से सूख रही है. जिससे एक बार फिर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं.

बर्बाद हो रही गेहूं की फसल

कुछ ने कर ली दोबारा बोवनी की तैयारी
गेंहू की बर्बाद होती फसल को देख कुछ किसानों ने तो फसल पर कल्टीवेटर चलवाकर दोबारा बोवनी करने की तैयारी कर ली है. इस बार किसानों के सैकड़ों हैक्टेयर में गेहूं की फसल बर्बाद हुई है. वहीं कई खेतों में फसलों में इल्लियां भी दिखाई दे रही हैं.

सूखने की कगार पर फसल
कई किसानों की गेहूं की फसल सूखने की कगार पर है. किसानों का कहना है कि हमें गेहूं-चने की फसल से काफी उम्मीद थी. लेकिन यहां भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
इलाके के अलग-अलग गांव में किसानों के गेहूं की फसल पीली होकर सूख रही है. जिससे एक बार फिर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि अपनी फसल बचाने के लिए क्या उपाय करें.

खर्च करने के बाद भी हाथ खाली
किसानों ने बताया कि ज्यादा बारिश होने से इस बार गेहूं का रकबा बढ़ा दिया गया था. करीब 20 दिन पहले बोवनी की जिसमें खाद, दवाई आदि का खर्च करने के बाद भी ट्रैक्टर से जुताई की नौबत आ गई है. ऐसे में हजारों रुपए की लागत लगने के बाद भी किसान खाली हाथ ही रह गए.

देवास। इन दिनों कन्नौद तहसील के किसानों की गेहूं की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं. कई किसानों की फसल अज्ञात कारणों से सूख रही है. जिससे एक बार फिर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं.

बर्बाद हो रही गेहूं की फसल

कुछ ने कर ली दोबारा बोवनी की तैयारी
गेंहू की बर्बाद होती फसल को देख कुछ किसानों ने तो फसल पर कल्टीवेटर चलवाकर दोबारा बोवनी करने की तैयारी कर ली है. इस बार किसानों के सैकड़ों हैक्टेयर में गेहूं की फसल बर्बाद हुई है. वहीं कई खेतों में फसलों में इल्लियां भी दिखाई दे रही हैं.

सूखने की कगार पर फसल
कई किसानों की गेहूं की फसल सूखने की कगार पर है. किसानों का कहना है कि हमें गेहूं-चने की फसल से काफी उम्मीद थी. लेकिन यहां भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
इलाके के अलग-अलग गांव में किसानों के गेहूं की फसल पीली होकर सूख रही है. जिससे एक बार फिर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि अपनी फसल बचाने के लिए क्या उपाय करें.

खर्च करने के बाद भी हाथ खाली
किसानों ने बताया कि ज्यादा बारिश होने से इस बार गेहूं का रकबा बढ़ा दिया गया था. करीब 20 दिन पहले बोवनी की जिसमें खाद, दवाई आदि का खर्च करने के बाद भी ट्रैक्टर से जुताई की नौबत आ गई है. ऐसे में हजारों रुपए की लागत लगने के बाद भी किसान खाली हाथ ही रह गए.

Intro:इल्लियों के प्रकोप गेंहू की फ़सल हो रही खराब, दोबारा बोवनी की तैयारी

खातेगांव । इन दिनों कन्नौद तहसील के किसानों को गेहूं की फसल पर संकट का बादल छाया हुआ है। कई किसानों की फसल अज्ञात बीमारी के चलते सूख रही है। अज्ञात बीमारी ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी।
कई किसानों ने तो गेंहू की फ़सल में कल्टीवेटर कर दोबारा बोवनी करने की तैयारी कर ली है। क्षेत्र में सैकड़ों हेक्टेयर गेंहू की फ़सल प्रभावित हुई है।
कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष गेंहू का रकबा 3000 हेक्टेयर था जो इस वर्ष बढ़कर 13790 हेक्टेयर हो गया है।


Body:किसानों ने बताया कि बारिश अधिक होने से इस बार गेंहू का रकबा बढ़ा दिया। करीब 20 दिन पहले बोवनी की जिसमे खाद, दवाई आदि का खर्च करने के बाद भी ट्रैक्टर से बखरने की नोबत आ गई। ऐसे में हजारो रुपये की लागत लगाने के बाद भी खाली हाथ रह गए।
कई किसान की गेंहू की फसल सूखने की कगार पर है किसानों का कहना है कि हमें गेहूं चने की फसल से काफी उम्मीद थी लेकिन भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं क्षेत्र के अलग-अलग गांव में किसानों के गेहूं की फसल में पीला होकर सूखने की बीमारी है जिसमें किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है किसान समझ नहीं पा रहा है कि अपनी फसल बचाने के लिए क्या उपाय करें
क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किसानों ने गेहूं की फसल बोई हुई है लेकिन फिर से बोली करने की नौबत आ रही है गेहूं की फसल में नुकसान अधिक होने से किसानों का कहना है कि पहली बार या बीमारी देखी जा रही है अभी तो यह भी नहीं पता कि हमारी क्या है और कैसे उसको नियंत्रण कर सकेंगे। सूखे हुए पौधे के पास इल्लियां भी दिखाई दे रही है।



Conclusion:कन्नौद अनुविभागीय कृषि अधिकारी आरके वर्मा ने बताया कि
किसान भाइयों वर्तमान समय में मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना रहती है
इस कीट के प्रबंधन हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 70 मिली प्रति एकड़ दवा या
एसेटामेप्रिड में 20% एस पी 150 ग्राम प्रति एकड़ 250 लीटर पानी मे छिड़काव करें या
क्लोरोपायरीफास 4 लीटर प्रति है सिंचाई में बूंद बूंद छोड़ने पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।

बाईट- पीड़ित किसान
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