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देवास: लगातार बारिश से लबालब हुआ सुखलिया- ठिकरिया डैम, सैलानियों का लगा जमावड़ा

प्रदेश में लगातार बारिश के चलते देवास जिले के सुखलिया-ठिकरिया डैम लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

लगातार बारिश के चलते सुखलिया-ठिकरिया डैम बना आकर्षण का केंद्र
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Published : Sep 9, 2019, 9:45 PM IST

देवास। लगातार बारिश होने से जहां प्रदेश के कई जिलों में जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रकृति ने सुंदरता की चादर ओढ़ ली है, देवास जिले का सबसे बड़ा डैम लगातार बारिश के चलते लबालब हो गया है, जिसे देखने के लिएबड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं.

जिले का सबसे बड़ा सुखलिया-ठिकरिया डैम 4 साल बाद पूरी तरह भरा है , जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है और प्रकृति के इस मनमोह लेने वाले नजारे का आनंद उठा रहे हैं. सुखलिया-ठिकरिया डैम दतुनी नदी पर बना हुआ है, जोकि दतुनी माध्यम सिंचाई योजना के अंतर्गत बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई 17 मीटर है.

लगातार बारिश के चलते सुखलिया-ठिकरिया डैम बना आकर्षण का केंद्र

बता दें कि समुद्र तल से 360 मीटर पानी भरा हुआ है, क्षमता से अधिक पानी भर जाने के कारण डैम में ओवर फ्लो शुरू हो गया, जिसे देखने के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, बता दें कि पछिले साल सिर्फ 351 मीटर तक ही पानी का संग्रहण हो पाया था.

जलसंसाधन विभाग के प्रभारी एसडीओ अब्दुल्ला खान ने बताया कि सुखलिया-ठिकरिया डैम देवास जिले का सबसे बड़ा बांध होने के कारण 30 गांवों के हजारों किसानों की 9 हजार 800 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई का माध्यम है. डैम के भर जाने से किसानों में काफी उत्साह नजर जा रहा है. रबी की सिंचाई में किसानों को भरपूर पानी दे सकेंगे, साथ ही ग्रीष्म कालीन फसल मूंग में भी पानी दे सकेंगे.

देवास। लगातार बारिश होने से जहां प्रदेश के कई जिलों में जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रकृति ने सुंदरता की चादर ओढ़ ली है, देवास जिले का सबसे बड़ा डैम लगातार बारिश के चलते लबालब हो गया है, जिसे देखने के लिएबड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं.

जिले का सबसे बड़ा सुखलिया-ठिकरिया डैम 4 साल बाद पूरी तरह भरा है , जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है और प्रकृति के इस मनमोह लेने वाले नजारे का आनंद उठा रहे हैं. सुखलिया-ठिकरिया डैम दतुनी नदी पर बना हुआ है, जोकि दतुनी माध्यम सिंचाई योजना के अंतर्गत बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई 17 मीटर है.

लगातार बारिश के चलते सुखलिया-ठिकरिया डैम बना आकर्षण का केंद्र

बता दें कि समुद्र तल से 360 मीटर पानी भरा हुआ है, क्षमता से अधिक पानी भर जाने के कारण डैम में ओवर फ्लो शुरू हो गया, जिसे देखने के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, बता दें कि पछिले साल सिर्फ 351 मीटर तक ही पानी का संग्रहण हो पाया था.

जलसंसाधन विभाग के प्रभारी एसडीओ अब्दुल्ला खान ने बताया कि सुखलिया-ठिकरिया डैम देवास जिले का सबसे बड़ा बांध होने के कारण 30 गांवों के हजारों किसानों की 9 हजार 800 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई का माध्यम है. डैम के भर जाने से किसानों में काफी उत्साह नजर जा रहा है. रबी की सिंचाई में किसानों को भरपूर पानी दे सकेंगे, साथ ही ग्रीष्म कालीन फसल मूंग में भी पानी दे सकेंगे.

Intro:देवास जिले का सबसे बड़ा डैम हुआ लबालब, बड़ी संख्या में पहुँच रहे सैलानी

खातेगांव। पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से क्षेत्र के नदी-नाले उफान पर रहे जिसमे कारण कुओं, तालाब एवं डैम में पानी की मात्रा बढ़ गई। और मात्रा भी इतनी बढी की कई वर्षों बाद ओवर फ्लो शुरू हो गया
शनिवार रात हुई बारिश में कन्नौद तहसील में 66 मिमी बारिश दर्ज हुई तो खातेगांव तहसील में आँकड़ा 128 मिमी तक पहुंच गया। जो कि देवास जिले सर्वाधिक आंकड़ा है। इसका सड़को ने भी नाले का रूप ले लिया। तेज बारिश से पूरा क्षेत्र पानी पानी हो गया। अब अधिक बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त होने लगा है।


Body:इधर देवास जिले का सबसे बड़ा बांध सुखलिया-ठिकरिया डैम भी 4 साल बाद लबालब हुआ। जिसे देखने बड़ी संख्या में सैलानी पहुँचकर प्रकृति का आनंद ले रहे है। यह डैम दतुनी नदी पर बना हुआ है जो दतुनी माध्यम सिंचाई योजना अंतर्गत बनाया हुआ है। इसकी पाल की ऊंचाई 17 मीटर है। समुद्र तल से 360 मीटर पानी भरा हुआ है। क्षमता से अधिक पानी का संग्रहण होने से अब इस बांध में ओवर फ्लो शुरू हो गया। जिसे देखने के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है।जबकि गत वर्ष मात्र 351 मीटर तक ही पानी का संग्रहण हो पाया था।


Conclusion:जलसंसाधन विभाग के प्रभारी एसडीओ अब्दुल्ला खान ने बताया कि यह बांध देवास जिले का सबसे बड़ा बांध है। जिसमे 30 गाँवो के हजारों किसानों की 9 हजार 800 हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई होती है। इस बार बांध भराने से किसानों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। रबी की सिंचाई में किसानों को भरपूर पानी दे सकेंगे। साथ ही ग्रीष्म कालीन फसल मूंग में भी पानी देने की उम्मीद जागी है।
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