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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 24X7 लगा रहता है ताला, इलाज के लिए दर-दर भटक रहे मरीज

आमला गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगे रहने की वजह से मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है, जिस पर ग्रामीणों ने डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति की मांग की है.

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Published : Aug 25, 2019, 11:59 PM IST

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 24X7 लगा रहता है ताला

देवास। आमला गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ नहीं होने की वजह से ताला लगा रहता है, जिसके चलते मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से यहां के अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति की मांग की है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 24X7 लगा रहता है ताला
सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खातेगांव तहसील के आदिवासी गांव आमला में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो बनवा दिया, लेकिन इन सेवाओं की जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है, इस केंद्र में इलाज के इंतजाम नहीं हैं. डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं होने से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि फार्मासिस्ट, एएनएम और चौकीदार है, जो भवन पर ताला जड़कर नदारद रहते हैं.स्वास्थ विभाग और जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस संबंध में जब खातेगांव बीएमओ गणपत बघेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां स्टाफ की कमी है, नई भर्ती होने पर स्टाफ नियुक्त कर दिया जाएगा.

देवास। आमला गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ नहीं होने की वजह से ताला लगा रहता है, जिसके चलते मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से यहां के अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति की मांग की है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 24X7 लगा रहता है ताला
सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खातेगांव तहसील के आदिवासी गांव आमला में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो बनवा दिया, लेकिन इन सेवाओं की जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है, इस केंद्र में इलाज के इंतजाम नहीं हैं. डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं होने से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि फार्मासिस्ट, एएनएम और चौकीदार है, जो भवन पर ताला जड़कर नदारद रहते हैं.स्वास्थ विभाग और जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस संबंध में जब खातेगांव बीएमओ गणपत बघेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां स्टाफ की कमी है, नई भर्ती होने पर स्टाफ नियुक्त कर दिया जाएगा.
Intro:शासकीय अस्पताल में स्टाफ नही होने से मरीजो को दर-दर भटकना पड़ रहा है

खातेगांव। सरकार और स्वास्थ्य विभाग चाहे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करे लेकिन इन सेवाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी आकस्मिक स्वास्थ्य सुविधा देने वाले केंद्रों में ताले लगे है।

Body:दरअसल हम बात कर रहे है खातेगांव तहसील के आदिवासी अंचल ग्राम आमला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जहाँ सरकार ने भवन तो अच्छा बनवा दिया लेकिन यहाँ उचित स्टाफ व्यवस्था नही कर सके। इस केंद्र से कातिब 35-40 गांव जुड़े है, अगर देखा जाए तो शहरी क्षेत्र में तो वाहन व उचित इलाज भी मिल जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में सिर्फ इक्का दुक्का ही झोलाछाप मिलते है, ओर मजबूरी में उन्ही से मोटी रकम देकर इलाज करवाना पड़ता है। यहां के अस्पताल में डॉ की नियुक्ति नही होने से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नही मिल रहा है। जबकि फार्मासिस्ट, एएनएम और चौकीदार है जो कभी कभार भवन पर ताला जड़कर नदारद रहते है।


इसका ताजा उदाहरण शनिवार को देखा ग्राम आमला की एक महिला मंजूबाई पिता गबुलाल मीणा को कुत्ते ने काट लिया उसके बाद महिला इलाज के लिए आमला अस्पताल पहुची अस्पताल के गेट में ताला लगा देखकर निराश लौट गई।
मंजुबाई ने बताया कि जैसे तैसे पड़ोस के गांव जाकर पट्टी बंधवाई ओर एक इंजेक्सन 600 रुपये में लगवाया, ओर घर पहुची। इधर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र आमला में ताला लगा देखकर स्टॉप की जानकारी के लिए ग्रामीणों ने खातेगांव BMO बघेल को 4 बार फोन लगाया लेकिन BMO ने फोन नही उठाया। उसके बाद 108 से खातेगांव पहुचे। अखिर क्या काम की ऐसी स्वास्थ्य सुविधा जो गरीबो के जरूरत पड़ने पर काम न आये,
ग्रामीणों ने सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग से यहाँ के अस्पताल में डॉ की नियुक्ति की मांग की है ताकि क्षेत्र के आदिवासी गरीब वर्ग के लोगो को स्वास्थ्य सेवाओं का उचित लाभ मिल सके।

Conclusion:इस संबंध में खातेगांव बीएमओ गणपत बघेल ने बताया कि आमला में कुत्ते के काटने का इंजेक्शन नही है। एक एएनएम है जो फील्ड पर गई होगी। अभी वहाँ स्टाफ की कमी है, नई भर्ती होने पर वहां की स्टाफ नियुक्तकर दिया जाएगा।
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