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भीम की हार ने देवास को दिया अनोखा पर्वत! MP के सिवा कहीं नहीं दिखेगी ऐसी खूबसूरत संरचना

देवास के पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में ज़मीन से 60-70 फीट ऊंचाई तक इन्हीं ब्लॉक्स रूपी चट्टानों की श्रंखला फैली हुई है, जिसे कावड़िया पहाड़ के नाम से जाना जाता है. इन चट्टानों की एक खासियत ये भी है कि जब इन पर किसी पत्थर के टुकड़े से ठोकर मारते हैं तो धातु के टकराने जैसी आवाज आती है.

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Published : Mar 21, 2019, 4:54 AM IST

कावड़िया पहाड़

देवास। एक के ऊपर एक रखे गये इन 6 सतहों वाले ब्लॉक्स को देखकर आपको लगेगा कि किसी खास वजह से इन ब्लॉक्स से पहाड़नुमा संरचना तैयार की गई है, लेकिन हम आप से कहें कि ये संरचना तैयार नहीं की गई बल्कि ये नजारा एक ऐसे प्राकृतिक पहाड़ का है जिसकी चट्टानें देखने में ब्लॉक्सनुमा पत्थरों का ढेर है, तो आप हैरत में पड़ जाएंगे, लेकिन यही हकीकत है. ब्लॉकनुमा पत्थरों का ये ढेर इंसानों ने नहीं लगाया बल्कि इंसानों को हैरत में डालने के लिए दिया गया कुदरत का तोहफ़ा है.

देवास के पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में ज़मीन से 60-70 फीट ऊंचाई तक इन्हीं ब्लॉक्स रूपी चट्टानों की श्रंखला फैली हुई है, जिसे कावड़िया पहाड़ के नाम से जाना जाता है. इन चट्टानों की एक खासियत ये भी है कि जब इन पर किसी पत्थर के टुकड़े से ठोकर मारते हैं तो धातु के टकराने जैसी आवाज आती है.

इस अनोखे पहाड़ और इसकी अनोखी चट्टानों के बारे में स्थानीय स्तर पर महाभारत से जुड़ा एक मिथक प्रचलित है कि भीम ने नर्मदा के प्रवाह को रोकने के लिए इसका निर्माण किया था. कहा जाता है कि भीम ने नर्मदा के सामने विवाह प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकारने के लिए नर्मदा ने शर्त रखी थी कि अगर मुर्गे के बांग देने यानी सुबह होने तक भीम नर्मदा के प्रवाह को रोक दे तो वे उससे शादी करेंगी. हालांकि भीम इतनी खूबसूरत संरचना बनाने के बावजूद इस शर्त को पूरा नहीं कर सके थे.

वीडियो

यहां पर इन चट्टानों का बना पहाड़ ही नहीं है, बल्कि इन्हीं चट्टानों से बनी एक चारदीवारी भी है जिसमें बजरंगबली का मंदिर है. बिना सीमेंट मुहर्रम के इस्तेमाल के इन चट्टानों से बनी ये दीवारें सदियों से ऐसे ही खड़ी हैं, जो इंजीनियर्स को भी हैरानी में डाल सकती हैं. वहीं जब इस अद्भुत पहाड़ और इसकी चट्टानों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य खोजने की कोशिश की गई तो जानकारी मिली कि कई बार ज्वालामुखी का लावा जब ठंडा होकर जमने लगता है तो वह गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से एक खास आकार ले लेता है. भू-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि शायद ये चट्टानें भी इसी तरह से बनी होंगी.

इस अनोखे पहाड़ और इसकी अद्भुत चट्टानों के पीछे वजह कोई भी हो, लेकिन इसका रहस्य पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से किये गए कार्यों में यहां बस ऐसे दो बोर्ड दिखते हैं जो बताते हैं कि ये वन विभाग की जमीन है और दर्शनीय स्थल है. जो जगह लोगों की नजर में अजूबा है, उसे देख पाने के लिए या तो प्रशासन के पास नजर नहीं है या फिर वो जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है.

देवास। एक के ऊपर एक रखे गये इन 6 सतहों वाले ब्लॉक्स को देखकर आपको लगेगा कि किसी खास वजह से इन ब्लॉक्स से पहाड़नुमा संरचना तैयार की गई है, लेकिन हम आप से कहें कि ये संरचना तैयार नहीं की गई बल्कि ये नजारा एक ऐसे प्राकृतिक पहाड़ का है जिसकी चट्टानें देखने में ब्लॉक्सनुमा पत्थरों का ढेर है, तो आप हैरत में पड़ जाएंगे, लेकिन यही हकीकत है. ब्लॉकनुमा पत्थरों का ये ढेर इंसानों ने नहीं लगाया बल्कि इंसानों को हैरत में डालने के लिए दिया गया कुदरत का तोहफ़ा है.

देवास के पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में ज़मीन से 60-70 फीट ऊंचाई तक इन्हीं ब्लॉक्स रूपी चट्टानों की श्रंखला फैली हुई है, जिसे कावड़िया पहाड़ के नाम से जाना जाता है. इन चट्टानों की एक खासियत ये भी है कि जब इन पर किसी पत्थर के टुकड़े से ठोकर मारते हैं तो धातु के टकराने जैसी आवाज आती है.

इस अनोखे पहाड़ और इसकी अनोखी चट्टानों के बारे में स्थानीय स्तर पर महाभारत से जुड़ा एक मिथक प्रचलित है कि भीम ने नर्मदा के प्रवाह को रोकने के लिए इसका निर्माण किया था. कहा जाता है कि भीम ने नर्मदा के सामने विवाह प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकारने के लिए नर्मदा ने शर्त रखी थी कि अगर मुर्गे के बांग देने यानी सुबह होने तक भीम नर्मदा के प्रवाह को रोक दे तो वे उससे शादी करेंगी. हालांकि भीम इतनी खूबसूरत संरचना बनाने के बावजूद इस शर्त को पूरा नहीं कर सके थे.

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यहां पर इन चट्टानों का बना पहाड़ ही नहीं है, बल्कि इन्हीं चट्टानों से बनी एक चारदीवारी भी है जिसमें बजरंगबली का मंदिर है. बिना सीमेंट मुहर्रम के इस्तेमाल के इन चट्टानों से बनी ये दीवारें सदियों से ऐसे ही खड़ी हैं, जो इंजीनियर्स को भी हैरानी में डाल सकती हैं. वहीं जब इस अद्भुत पहाड़ और इसकी चट्टानों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य खोजने की कोशिश की गई तो जानकारी मिली कि कई बार ज्वालामुखी का लावा जब ठंडा होकर जमने लगता है तो वह गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से एक खास आकार ले लेता है. भू-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि शायद ये चट्टानें भी इसी तरह से बनी होंगी.

इस अनोखे पहाड़ और इसकी अद्भुत चट्टानों के पीछे वजह कोई भी हो, लेकिन इसका रहस्य पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से किये गए कार्यों में यहां बस ऐसे दो बोर्ड दिखते हैं जो बताते हैं कि ये वन विभाग की जमीन है और दर्शनीय स्थल है. जो जगह लोगों की नजर में अजूबा है, उसे देख पाने के लिए या तो प्रशासन के पास नजर नहीं है या फिर वो जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है.

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भीम की हार ने देवास को दिया अनोखा पर्वत! MP के सिवा कहीं नहीं दिखेगी ऐसी खूबसूरत संरचना



mountain developed from Bauxite blocks in dewas



एक के ऊपर एक रखे गये इन 6 सतहों वाले ब्लॉक्स को देखकर आपको लगेगा कि किसी खास वजह से इन ब्लॉक्स से पहाड़नुमा संरचना तैयार की गई है, लेकिन हम आप से कहें कि ये संरचना तैयार नहीं की गई बल्कि ये नजारा एक ऐसे प्राकृतिक पहाड़ का है जिसकी चट्टानें देखने में ब्लॉक्सनुमा पत्थरों का ढेर है, तो आप हैरत में पड़ जाएंगे, लेकिन यही हकीकत है. ब्लॉकनुमा पत्थरों का ये ढेर इंसानों ने नहीं लगाया बल्कि इंसानों को हैरत में डालने के लिए दिया गया कुदरत का तोहफ़ा है.



देवास के पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में ज़मीन से 60-70 फीट ऊंचाई तक इन्हीं ब्लॉक्स रूपी चट्टानों की श्रंखला फैली हुई है, जिसे कावड़िया पहाड़ के नाम से जाना जाता है. इन चट्टानों की एक खासियत ये भी है कि जब इन पर किसी पत्थर के टुकड़े से ठोकर मारते हैं तो धातु के टकराने जैसी आवाज आती है.



इस अनोखे पहाड़ और इसकी अनोखी चट्टानों के बारे में स्थानीय स्तर पर महाभारत से जुड़ा एक मिथक प्रचलित है कि भीम ने नर्मदा के प्रवाह को रोकने के लिए इसका निर्माण किया था. कहा जाता है कि भीम ने नर्मदा के सामने विवाह प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकारने के लिए नर्मदा ने शर्त रखी थी कि अगर मुर्गे के बांग देने यानी सुबह होने तक भीम नर्मदा के प्रवाह को रोक दे तो वे उससे शादी करेंगी. हालांकि भीम इतनी खूबसूरत संरचना बनाने के बावजूद इस शर्त को पूरा नहीं कर सके थे.



यहां पर इन चट्टानों का बना पहाड़ ही नहीं है, बल्कि इन्हीं चट्टानों से बनी एक चारदीवारी भी है जिसमें बजरंगबली का मंदिर है. बिना सीमेंट मुहर्रम के इस्तेमाल के इन चट्टानों से बनी ये दीवारें सदियों से ऐसे ही खड़ी हैं, जो इंजीनियर्स को भी हैरानी में डाल सकती हैं. वहीं जब इस अद्भुत पहाड़ और इसकी चट्टानों के बारे में वैज्ञानिक तथ्य खोजने की कोशिश की गई तो जानकारी मिली कि कई बार ज्वालामुखी का लावा जब ठंडा होकर जमने लगता है तो वह गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से एक खास आकार ले लेता है. भू-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि शायद ये चट्टानें भी इसी तरह से बनी होंगी.





इस अनोखे पहाड़ और इसकी अद्भुत चट्टानों के पीछे वजह कोई भी हो, लेकिन इसका रहस्य पर्यटकों को आकर्षित करता है. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से किये गए कार्यों में यहां बस ऐसे दो बोर्ड दिखते हैं जो बताते हैं कि ये वन विभाग की जमीन है और दर्शनीय स्थल है. जो जगह लोगों की नजर में अजूबा है, उसे देख पाने के लिए या तो प्रशासन के पास नजर नहीं है या फिर वो जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है. चेतन योगी, देवास ईटीवी भारत मध्यप्रदेश.



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देवास के पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में ज़मीन से 60-70 फीट ऊंचाई तक इन्हीं ब्लॉक्स रूपी चट्टानों की श्रंखला फैली हुई है, जिसे कावड़िया पहाड़ के नाम से जाना जाता है. इन चट्टानों की एक खासियत ये भी है कि जब इन पर किसी पत्थर के टुकड़े से ठोकर मारते हैं तो धातु के टकराने जैसी आवाज आती है.



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