देवास। दुनिया में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया गया है. डॉक्टर जीवनदायक होता है और किसी भी स्थिति में मरीज का इलाज कर उसे स्वस्थ्य करने में जूट जाता है. वर्तमान में कोविड-19 महामारी से पूरी दुनिया लड़ाई लड़ रही है, जिसमें डॉक्टर्स दिन रात एक करके मरीजों को स्वस्थ्य करने में जूट हुए हैं. पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने देवास जिले के बांगर स्थित अमलतास अस्पताल बैठक ली.
रिजर्व में रखें रेमडेसिविर इंजेक्शन- मंत्री
बैठक में प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर ने निर्देश दिए कि अमलतास अस्पताल में 100 आईसीयू युक्त बेड के अतिरिक्त 50 आईसीयू युक्त बेड लगाए जाएं. जिससे मरीजों को इलाज में परेशानी हो और मरीजों को तत्काल इलाज प्रारंभ हो सके. उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन रिजर्व में रखें. ऑक्सीजन लगातार भरवाते रहें, ऑक्सीजन के सिलेंडर भी रिजर्व रखें. उन्होंने कहा जिला अस्पताल से जब भी मरीज को रेफर करें, तो उसकी चार जांचों को लेने के बाद ही रैफर करें, उससे पहले नहीं. सभी प्राथमिकता में रखें कि मरीज को अच्छा, संतुष्टिपूर्वक इलाज मिले। इसकी शिकायत नहीं मिले, इसका विशेष ध्यान रखें. बैठक में प्रभारी मंत्री ने कहा कि अमलतास अस्पताल को कोविड-19 सेंटर बनाया गया है, यहां पर देवास, उज्जैन, आगर मालवा और शाजापुर के मरीजों का इलाज किया जाएगा. यहां पर इंदौर व अन्य जिलों के मरीजों को इलाज नहीं करें, इसका ध्यान रखें.
पोर्टेबल ऑक्सीजन जनरेटर का प्लांट शीघ्र लगाएंगे
बैठक में प्रभारी मंत्री ने अस्पताल की पूरी व्यवस्था की जानकारी ली. इस पर बताया गया कि अमलतास अस्पताल में ऑक्सीजन के 300 सिलेंडर उपलब्ध हैं, जिन्हें रेगुलर भरवाया जाता है. पीथमपुर के ऑक्सीजन सेंटर से लगातार ऑक्सीजन आती है. वहां कर्मचारी की ड्यूटी लगा रखी है और वह 24 घंटे तैनात रहते हैं. अस्पताल में 6000 लीटर के ऑक्सीजन लिक्विड टैंक हैं. पोर्टेबल ऑक्सीजन जनरेटर का प्लांट शीघ्र लगाएंगे, जिससे आक्सीजन प्राकृतिक रूप से तैयार होगी.
अस्पताल में बनाया गया है सहायता केंद्र
बैठक में बताया गया कि अस्पताल परिसर में एक सहायता केंद्र बनाया गया है, जिसका दूरभाष नंबर 07272-426514 है और मोबाइल नंबर 7024107416 है. बैठक में मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 एक संक्रामक बीमारी है. उन्होंने कहा कि मरीजों के बेड के पास अटैंडरों को नहीं जाने दें. उन्हें मरीजों के संबंध में जानकारी सहायता केंद्र से ही प्रदान करें. मरीजों और उनके अटैंडरों में सकारात्मक वाला वातावरण निर्मित करें.