देवास। पूरा देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है, इस बीच खातेगांव की कन्नौद तहसील के थूरिया गांव में नर्मदा पार्वती सिंचाई परियोजना में कार्य करने वाली कंपनी के मजदूरों ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड के करीब 150 मजदूरों ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें पर्याप्त राशन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें भूखे रहना पड़ रहा है. अपने आपको बंधक महसूस कर रहे मजदूरों ने प्रशासन से मदद गुहार लगाई है. अब तक कंपनी की ओर से न तो उन्हें सैनिटाइजर और मास्क दिए गए हैं और न ही हाथ धोने के लिए साबुन. साथ ही रात के समय बिजली नहीं होने से भीषण गर्मी और अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.
एक सप्ताह के राशन में दो सप्ताह
झारखंड के मनोज चौधरी ने बताया कि खाने-पीने का सामान उपलब्ध नहीं हो रहा है, एक सप्ताह का सामान 2 सप्ताह तक चलाना पड़ता है. चावल, आटा, आलू और प्याज मिलता है, लेकिन मसाला नहीं मिलता. एक व्यक्ति को 3 किलो चावल दिया जाता है, जिसे 15 दिन तक खाना रहता है. 24 अप्रैल को राशन आने की बात कही गई थी, लेकिन 28 अप्रैल तक राशन नहीं मिला.
नहीं दिए गए मास्क, सैनिटाइजर
मजदूरों को कंपनी की ओर से ना तो मास्क दिए गए और न ही कॉलोनी में सैनिटाइजर का छिड़काव किया गया और हाथ धोने के लिए साबुन भी नहीं दिए जा रहे हैं. कंपनी वाले ये बहाना बना रहे हैं कि बाजार बंद होने से कुछ भी सामान नहीं मिल रहा है, अब मजदूर भी परिसर से बाहर नहीं जा सकते. झारखंड के आयोध्या प्रजापति ने बताया कि कई बार भूखा सोना पड़ रहा है और अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि काम चलने का बहाना बनाकर उन्हें यहां रोके रखा है. लॉकडाउन में कंपनी ने इनकी ओर ध्यान नहीं दिया, इन्होंने बीते समय में जितना काम किया है, उसकी मजदूरी भी इन लोगों को नहीं दी गई है.
भीषण गर्मी में बिजली गुल
कृष्णकांत सोनी ने बताया कि भीषण गर्मी में 24 घंटे में से 8-10 घंटे ही बिजली मिलती है. रात में जनरेटर बंद कर दिया जाता है. जब जिम्मेदार से बिजली चलाने की बात करते हैं तो उनका कहना है कि आगे से डीजल नहीं मिल रहा है. खेत और जंगल के पास मजदूरों की कॉलोनी बनी होने से रात के समय जहरीले जीव निकलकर इन मजदूरों के कमरों में आ जाते हैं. इस बारे में एलएनटी कंपनी के प्रबंधक एसके शुक्ला ने फोन पर बताया कि राशन क्विंटलों से भेजा जाता है, लेकिन जाता कहां है, इसके बारे में नहीं बताया. साथ मजदूरों को मास्क और सैनिटाइजर के बारे में प्रबंधक जवाब नहीं दिए.