देवास। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए कृषि उपकरण और खाद-बीज अनुदान में दिए जाते हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर ये योजनाएं हितग्राहियों तक पहुंचती हैं या नहीं ये बताना मुश्किल है. सरकार की योजना का लाभ मिले या न मिले. लेकिन किसान को अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए खेती तो करनी पड़ती है.
ऐसा ही एक मामला कन्नौद तहसील के भिलाई गांव में देखने को मिला है. जहां अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मां-बेटी मिलकर हल चला रही हैं. अपनी फसल में उगे अनावश्यक घास के लिए बेटी बैल बनी है और मां हल को संभाल रही है. भिलाई के पठार पर आदिवासी और अन्य परिवार के करीब 25 घर होंगे. इन्हीं 25 घरों में एक घर कारीबाई का है जो अपनी चार एकड़ जमीन में मक्का और मूंगफली उगाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं. कृषि विभाग से कोई मदद नहीं मिल रही है.
कारीबाई ने बताया कि तीन साल पहले एक सड़क हादसे में उनके पति हरदास और बेटे संतोष की मौत हो गई थी. तब से ये अपना परिवार पालने के लिए खेती और मजदूरी कर रही हैं. कारीबाई के कंधों पर दो बेटियों, एक बेटे एक पोते और अपनी सास की जिम्मेदारी है.
इस संबंध में पंचायत सचिव राजेश बागवान ने बताया कि कारीबाई को पंचायत स्तर से पीएम आवास, शौचालय, कल्याणी पेंशन और बीपीएल कार्ड का लाभ दिया है. पात्रता अनुसार जो भी योजनाएं आएंगी उनका लाभ भी प्राथमिकता से दिया जाएगा. इस संबंध में कृषि विभाग के अनुविभागीय अधिकारी आरके वर्मा ने कहा कि अब तक मुझे ये मामला जानकारी में नहीं था. अब कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ प्राथमिकता से करीबाई को दिया जाएगा.