देवास। प्रकृति भी किसान की अग्नि परीक्षा ले रही है. किसान लगातार मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन बदले मौसम के मिजाज और फसलों में लगे कीट तो प्रकृति के आगे किसान को लाचार ही कहा जा सकता है. इन दिनों लाख प्रयास करने के बावजूद भी किसान प्रकृति के आगे बेबस ही नजर आ रहा है.
हम बात कर रहे हैं देवास जिले के सोनकच्छ तहसील की, जहां के पीपलरावां, धंदेड़ा, बावड़िया, घिचलाय, लकुमड़ी, मुरमिया, सुतार पाल्डिया, बावई, सहित 12 से अधिक गांवों के किसान अपनी फसलें चौपट होने से बेबस हैं. बता दें कि किसानों ने लहसुन और चने की फसलों की बोवाई की थी, जिसके तने पर कीड़े और दीमक लग गए हैं, और फसलें भी पीली पड़कर सूखने लगी हैं.
बता दें कि ग्राम घिचलाय के किसानों ने इस मामले की शिकायत एसडीएम से भी की है. वहीं कई किसान ऐसी फसल की हालत देखते हुए लहसुन की फसल पर ट्रैक्टर एवं बक्खर चलाकर नष्ट कर रहे हैं.
इस सम्बंध में कृषि विभाग के वैज्ञानिक अशोक दिक्षित, नीरज सावलिया व उनकी टीम ने खेतों में पहुंचकर फसलों की जांच की. उन्होंने बताया कि वर्तमान में बदले मौसम की वजह से फसल को नुकसान हो रहा है.
कृषि वैज्ञानिक व सलाहकार नीरज सवालिया ने जानकारी देते हुए बताया कि यह फसल फंगस व थ्रिप्स अटैक के कारण खराब हो रही हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए फिप्रोनिल नामक दवाई, व पोषक सुपर का उपयोग करने की सलाह दी है.
हालांकि वैज्ञानिकों के बताए देशी उपाय भी किसान अपना रहें हैं, लेकिन उसके बावजूद भी फसलें ज्यों कि त्यों बनी हुईं हैं. इस प्रकृति के कहर की मार झेल रहे अन्नदाता लाचार नजर आ रहे हैं.