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खिवनी अभयारण्य में वन माफिया धड़ल्ले से कर रहे हैं पेड़ों की कटाई, जिम्मेदारों ने मूंदी आंखें - survival of the forest at risk

देवास का खिवनी अभयारण्य अब मैदान बनता जा रहा है, वन विभाग के अधिकारी ना तो इस ओर ध्यान दे रहे हैं.

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खिवनी अभयारण्य में पेड़ों की कटाई
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Published : Mar 2, 2020, 9:51 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 1:23 PM IST

देवास। खिवनी अभयारण्य का जंगल दिन प्रतिदिन मैदान में बदलता जा रहा है. ईंट भट्ठे चलाने वाले तमाम कारोबारी धड़ल्ले से जंगल की कटाई कर रहे हैं और इन्हीं लकड़ियों से वो ईंटों को पकाते हैं. पेड़ों की दिन-रात धड़ल्ले से की जा रही कटाई से जंगल सिमटता जा रहा है. खिवनी अभयारण्य लतागात अवैध गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है. लेकन वन विभाग के अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नहीं हैं.

इस कटाई का ताजा उदाहरण कक्ष क्रमांक 188 में देखा जा सकता है. जहां जूना टांडा के पास करीब एक दर्जन सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई करके माफिया उठा ले गए. वहीं खाकरे (पलाश) के 200 से अधिक पेड़-पौधे की अवैध कटाई भी की गई है. वन विभाग की लापरवाही स्पष्ट देखी जा सकती है.

खिवनी अभयारण्य में पेड़ों की कटाई

वहीं जंगल के किनारे खेतो में कई व्यापारियों ने ईंट के भट्टे भी सजा रखे हैं. ईंट पकाने के लिए अधिकतर व्यापारी जंगल की लकड़ियों पर ही निर्भर है. जंगल में कई अनगिनत पेड़ काटे गए, जिसका प्रमाण वहां पड़ी हुई लकड़ियों की टहनियां हैं, जिनका ईंट के भट्टे वाले व्यापारी उपयोग कर रहे हैं.

इस प्रकार जंगल में हो रही हानि विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही उजागर कर रही है. इतना ही नही वन विभाग के अधिकारियों का तो ये हाल है कि, फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं. इसी प्रकार अधीक्षक और डीएफओ को भी कई दिनों से फोन लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी फोन उठाना भी उचित नहीं समझते हैं.

वहीं इस संबंध में उज्जैन संभाग के सीसीएफ अजय यादव से फोन पर चर्चा की, तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों से चर्चा करके मामला की जांच करने की बात कही है.

देवास। खिवनी अभयारण्य का जंगल दिन प्रतिदिन मैदान में बदलता जा रहा है. ईंट भट्ठे चलाने वाले तमाम कारोबारी धड़ल्ले से जंगल की कटाई कर रहे हैं और इन्हीं लकड़ियों से वो ईंटों को पकाते हैं. पेड़ों की दिन-रात धड़ल्ले से की जा रही कटाई से जंगल सिमटता जा रहा है. खिवनी अभयारण्य लतागात अवैध गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है. लेकन वन विभाग के अधिकारी इसकी सुध लेने को तैयार नहीं हैं.

इस कटाई का ताजा उदाहरण कक्ष क्रमांक 188 में देखा जा सकता है. जहां जूना टांडा के पास करीब एक दर्जन सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई करके माफिया उठा ले गए. वहीं खाकरे (पलाश) के 200 से अधिक पेड़-पौधे की अवैध कटाई भी की गई है. वन विभाग की लापरवाही स्पष्ट देखी जा सकती है.

खिवनी अभयारण्य में पेड़ों की कटाई

वहीं जंगल के किनारे खेतो में कई व्यापारियों ने ईंट के भट्टे भी सजा रखे हैं. ईंट पकाने के लिए अधिकतर व्यापारी जंगल की लकड़ियों पर ही निर्भर है. जंगल में कई अनगिनत पेड़ काटे गए, जिसका प्रमाण वहां पड़ी हुई लकड़ियों की टहनियां हैं, जिनका ईंट के भट्टे वाले व्यापारी उपयोग कर रहे हैं.

इस प्रकार जंगल में हो रही हानि विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही उजागर कर रही है. इतना ही नही वन विभाग के अधिकारियों का तो ये हाल है कि, फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं. इसी प्रकार अधीक्षक और डीएफओ को भी कई दिनों से फोन लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी फोन उठाना भी उचित नहीं समझते हैं.

वहीं इस संबंध में उज्जैन संभाग के सीसीएफ अजय यादव से फोन पर चर्चा की, तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों से चर्चा करके मामला की जांच करने की बात कही है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 1:23 PM IST
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