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दतिया: कई परिवारों पर गहराया रोजी- रोटी का संकट, अब तक नहीं मिली कोई मदद - दतिया में लॉकडाउन से बढ़ी मुश्किल

जहां पूरा देश व प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, तो वहीं 45 दिनों से लॉकडाउन के चलते पीतांबरा पीठ मंदिर बंद होने के कारण फूलों की दुकान रखने वाले दुकानदारों के सामने रोजी- रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अब इन परिवारों की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी है.

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अब तक नहीं मिली कोई मदद
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Published : May 13, 2020, 12:13 PM IST

दतिया। जहां पूरा देश व प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, तो वहीं 45 दिनों से लॉकडाउन के चलते पीतांबरा पीठ मंदिर बंद होने के कारण फूलों की दुकान लगाने वाले दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इन परिवारों की आर्थिक हालत अब बिगड़ने लगी है. लॉकडाउन में इन परिवारों की इनकम भी पूरी तरह से लॉक हो गई है. इन परिवारों को अभी तक किसी भी तरह की मदद जिला प्रशासन की तरफ से नहीं मिली है.

इन व्यापारियों का कहना है कि, लॉकडाउन के चलते मंदिर बंद होने के कारण कोई भी पूजा करने नहीं आ रहा है. आर्थिक संकट के चलते घर चलाना मुश्किल हो रहा है. जहां वैश्विक महामारी ने पूरे देश को स्थिर कर दिया है. वहीं अब धीरे-धीरे लोगों की कमर टूटने लगी है, हिम्मत भी छूटने लगी है. अब तो लोगों की आर्थिक हालत बिगड़ने से गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

इधर मंदिर के बाहर कतार में लगकर फूल बेचकर गुजारा करने वाले माली इन दिनों मायूस नजर आ रहे हैं. एक ओर प्रदेश सरकार दावे तो कर रही है कि, कोई भी गरीब प्रदेश में भूखा नहीं सोएगा, लेकिन इन गरीबों की हालत पर शायद अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी है.

दतिया। जहां पूरा देश व प्रदेश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, तो वहीं 45 दिनों से लॉकडाउन के चलते पीतांबरा पीठ मंदिर बंद होने के कारण फूलों की दुकान लगाने वाले दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इन परिवारों की आर्थिक हालत अब बिगड़ने लगी है. लॉकडाउन में इन परिवारों की इनकम भी पूरी तरह से लॉक हो गई है. इन परिवारों को अभी तक किसी भी तरह की मदद जिला प्रशासन की तरफ से नहीं मिली है.

इन व्यापारियों का कहना है कि, लॉकडाउन के चलते मंदिर बंद होने के कारण कोई भी पूजा करने नहीं आ रहा है. आर्थिक संकट के चलते घर चलाना मुश्किल हो रहा है. जहां वैश्विक महामारी ने पूरे देश को स्थिर कर दिया है. वहीं अब धीरे-धीरे लोगों की कमर टूटने लगी है, हिम्मत भी छूटने लगी है. अब तो लोगों की आर्थिक हालत बिगड़ने से गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

इधर मंदिर के बाहर कतार में लगकर फूल बेचकर गुजारा करने वाले माली इन दिनों मायूस नजर आ रहे हैं. एक ओर प्रदेश सरकार दावे तो कर रही है कि, कोई भी गरीब प्रदेश में भूखा नहीं सोएगा, लेकिन इन गरीबों की हालत पर शायद अब तक किसी की नजर नहीं पड़ी है.

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