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इंद्रदेव के रूठने से चिंतित किसान, धान की फसल होने लगी है खराब - Datia Rains News

कम बारिश के चलते धान की फसल को नुकसान हो रहा है, फसलें प्रभावित हो रही हैं. पिछले साल की तुलना में जिले में अभी बारिश काफी कम हुई है, कम बारिश के चलते इन फसलों पर खासा असर पड़ने वाला है.

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Published : Aug 8, 2020, 1:04 PM IST

दतिया। जिले भर में कम बारिश के चलते धान की फसल को नुकसान हो रहा है, फसलें प्रभावित हो रही हैं. पिछले साल की तुलना में जिले में अभी बारिश काफी कम हुई है, कम बारिश के चलते इन फसलों पर खासा असर पड़ने वाला है. मूंग, मूंगफली, उड़द तो ठीक है, पर अब तक धान की बढ़वार नहीं हो सकी है. जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है, उनके लिए तो परेशानी नहीं है, पर जो केवल बारिश पर निर्भर हैं, उनके उत्पादन में काफी कमी होना निश्चित है.

कृषि विभाग ने इस दिशा में फिलहाल कोई काम नहीं किया है, पिछले साल धान की पैदावार अच्छी होने के कारण किसानों ने धान की खेती में रुचि ली है, पिछले साल की तुलना से ज्यादा रकबे में धान की रोपाई की गई है. मानसून की शुरुआत में तो ठीक पर बाद में मानसून ने मुहं फेर लिया है और बारिश बंद हो गई है. भू अभिलेख शाखा से प्राप्त आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में बारिश काफी कम हुई है.

5 अगस्त 2019 तक बारिश 1220 MM हुई थी, वहीं इस साल केवल 1081 MM हुई है. ये बारिश उस वक्त कम हो रही है, जब फसल को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. किसानों का कहना है कि अभी तक धान के पौधों का विकास होना चाहिए था, लेकिन खेतों में बिना शाखा के धान के पौधे खड़े हैं, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं और किसान बारिश की राह देख रहे हैं. अगर बारिश हुई तो ठीक नहीं तो किसानों की फसल बर्बाद होना निश्चित है.

दतिया। जिले भर में कम बारिश के चलते धान की फसल को नुकसान हो रहा है, फसलें प्रभावित हो रही हैं. पिछले साल की तुलना में जिले में अभी बारिश काफी कम हुई है, कम बारिश के चलते इन फसलों पर खासा असर पड़ने वाला है. मूंग, मूंगफली, उड़द तो ठीक है, पर अब तक धान की बढ़वार नहीं हो सकी है. जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है, उनके लिए तो परेशानी नहीं है, पर जो केवल बारिश पर निर्भर हैं, उनके उत्पादन में काफी कमी होना निश्चित है.

कृषि विभाग ने इस दिशा में फिलहाल कोई काम नहीं किया है, पिछले साल धान की पैदावार अच्छी होने के कारण किसानों ने धान की खेती में रुचि ली है, पिछले साल की तुलना से ज्यादा रकबे में धान की रोपाई की गई है. मानसून की शुरुआत में तो ठीक पर बाद में मानसून ने मुहं फेर लिया है और बारिश बंद हो गई है. भू अभिलेख शाखा से प्राप्त आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में बारिश काफी कम हुई है.

5 अगस्त 2019 तक बारिश 1220 MM हुई थी, वहीं इस साल केवल 1081 MM हुई है. ये बारिश उस वक्त कम हो रही है, जब फसल को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. किसानों का कहना है कि अभी तक धान के पौधों का विकास होना चाहिए था, लेकिन खेतों में बिना शाखा के धान के पौधे खड़े हैं, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं और किसान बारिश की राह देख रहे हैं. अगर बारिश हुई तो ठीक नहीं तो किसानों की फसल बर्बाद होना निश्चित है.

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