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MP Seat Scan Sewda: गृहमंत्री के पड़ोस में कांग्रेस की सेंधमारी, जानें नरोत्तम मिश्रा ने कैसे बाजी हारी, क्या है सेवड़ा सीट पर BJP की तैयारी - सेवड़ा का जातीय समीकरण

सभी जानते हैं कि 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे जो इस साल नवंबर के अंत तक होने की संभावना है. ऐसे में ETV Bharat इन चुनाव से पहले प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के सियासी और स्थानीय समीकरण आपके लिए लाया है. आज बात करेंगे ‘मप्र विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 20’ यानि सेवड़ा विधानसभा सीट की. एक नजर ETV Bharat Seat Scan पर..

Sewda ASSEMBLY CONSTITUENCY
सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र
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Published : Jul 29, 2023, 10:55 PM IST

दतिया। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभाओं में से एक है ‘सेवड़ा’, मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-20. यह क्षेत्र जनता की मर्जी पर चलता है. यहां किसी विधायक को दोबारा मौक़ा नहीं दिया जाता और ना ही किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार विधायकी सौंपी है. ये सिलसिला बीते 33 वर्षों से जारी है लेकिन यह क्षेत्र जितनी अपनी प्राकृतिक और आध्यात्मिक खूबसूरत और महत्व के लिए जाना जाता है उतनी ही हालत विकास के मामले में पस्त है. जानता विकास की चाह में हर बार नया विधायक चुनती है लेकिन यह क्षेत्र आज भी विकास की बाट जोह रहा है. जो भी अच्छी योजनाएं आती है वे दतिया तक सीमित रह जाती है. ऐसे में इस क्षेत्र की स्थिति पर अब चर्चा विस्तार से करते हैं.

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सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र की खासियत

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र की खासियत: सिंध नदी किनारे बसा यह क्षेत्र सनकुआ धाम के नाम से भी जाना जाता है. ऐतिहासिक किला, प्राचीन स्मारक यहां आने वाले पर्यटकों के लिए नौका विहार, शांत वातावरण के बीच खूबसूरत झरना साथ ही इस क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक बनावट यहां रहने वाले लोगों और बाहर से आने वाले सैलानियों के लिए अद्भुत अनुभव होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां ब्रह्मा जी के चार पुत्रों मानस पुत्रों के सनत, सनंदन एवं सनत कुमार ने तपस्या की थी. इस वजह से यहां के घाट को सनकुआ धाम कहा जाता है . पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं इस क्षेत्र में हैं.

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सेवड़ा विधानसभा में मतदाता

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: बात अगर सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 1 लाख 85 हज़ार 872 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 233 और महिला मतदाता 85 हजार 634 हैं साथ ही ट्रांसज़ेंडर मतदाताओं की संख्या 5 हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण: सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र को विस निर्वाचन क्षेत्र-20 की पहचान दी गई है यह विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के गृह जिला दतिया की तीन विधानसभाओं में से एक है. वर्तमान में यहां कांग्रेस का दबदबा है, क्यूंकि विधायक यहां कांग्रेस के हैं घनश्याम सिंह. जो खुद दतिया राज घराने से हैं. 2018 में चुनाव जिताने के बाद जनता को इनसे काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन विधायक जी का ध्यान सेवड़ा से अधिक जिला मुख्यालय पर रहता है या क्षेत्र के इंदरगढ़ इलाक़े में ऐसे में चुने गये जनप्रतिनिधि भी जनता की उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे हैं. जनता ने पिछले चुनाव 2013 में मोदी लहर के चलते बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप अग्रवाल को जीता कर विधायक बनाया था लेकिन उनका ध्यान भी क्षेत्र के विकास पर नहीं रहा और जनता ने 2018 में बागडोर कांग्रेस को सौंपी. लेकिन विधायक रिपीट ना करने की परंपरा के चलते इस बार बीजेपी कांग्रेस और बसपा तीनों ही पार्टियां जनता को लुभाने का पूरा प्रयास कर रही हैं.

बात राजनीतिक समीकरणों की करें तो कयास लगाए जा रहे हैं बीजेपी एक बार प्रदीप अग्रवाल पर दाव लगा सकती है जबकि कांग्रेस के वर्तमान विधायक एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान से अब तक कोई फ़ैसला नहीं बताया गया है. चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए इसकी वजह से नाराज़गी भी सेवड़ा की जनता में पनपने लगी है. इस तरह 2023 में बीजेपी कांग्रेस अपने प्रत्याशी रिपीट कर सकते हैं जबकि जनता विकास की छह में इस बार पढ़ा लिखा और युवा नेता देखना चाहती है जिससे इस इलाक़े को विकास और पर्यटन में नई दिशा मिल सके. हालांकि

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जातीय समीकरण

जातीय समीकरण: इस सीट पर ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है यहां पर बघेल कुशवाह मतदाताओं के गठजोड़ पर जीत डिपेंड रहती है. सेंवड़ा सीट पर सबसे ज्यादा यादव हैं लेकिन गुर्जर, कुशवाहा, बघेल, ब्राह्मण और वैश्य वोट बैंक भी अच्छा खासा हैं. यहां क्षत्रिय और वैश्य मतदाताओं की संख्या 5 से 6 हजार के करीब बताई जाती है. चुनाव में जातिगत समीकरण अंत समय में भी चुनाव के परिणाम पलटने में सक्षम रहते हैं. जहां बीजेपी हिन्दुवादी तो वहीं कांग्रेस बीजेपी विरोधी रणनीति के नाम पर चुनाव जीतना चाहते हैं लेकिन असल में विकास की बात तो जैसे कहीं नजर ही नहीं आर ही है. अब जानता किस पर भरोसा करेगी ये तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही बतायेंगे.

आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे: 1990 के बाद से ही सेवड़ा की जनता ने विकास की चाह में किसी विधायक को दोबारा मौक़ा नहीं दिया ऐसा ही 2018 के चुनाव में भी हुआ ऊपर से ‘माई का लाल’ इफ़ेक्ट बीजेपी के विपरीत और कांग्रेस के हक़ में गया बीजेपी ने सीट बचाने के लिए बसपा से बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक राधेलाल बघेल को टिकट दिया लेकिन जनता ने उन्हें 31,542 वोट देकर बैठ दिया जबकि उनके प्रतिद्वंदी और कांग्रेस के प्रत्याशी घनश्याम सिंह को बंपर 64,810 वोट के साथ अपना विधायक चुना. इस चुनाव में कांग्रेस 33,268 वोट के बड़े अंतर के साथ जीती थी.

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विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े

विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: वर्ष 2013 में जब मप्र में विधानसभा चुनाव हुए तो सेवड़ा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर प्रदीप अग्रवाल पर भरोसा जताया और उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन इस चुनाव में लगभग पूरा देश मोदी लहर में डूबा हुआ था जिसका फ़ायदा प्रदीप अग्रवाल को भी हुआ और वे सेवड़ा से 32 हजार 423 वोट के साथ विधायक चुने गए. जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी घनश्याम सिंह को शिकस्त का सामना करना पड़ा और उन्हें सिर्फ़ 23 हजार 614 वोट ही हांसिल हुए थे और जीत का अंतर 8 हजार 809 मत का रहा. इस चुनाव में खड़े हुए 22 में से 20 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

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आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे

विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: सेवड़ा विधानसभा के लिए चुनाव यादगार था पहली वजह तो पहले यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इसे अनारक्षित (सामान्य) घोषित कर दिया गया था. दूसरा ऐसा होने से इस चुनाव में 27 प्रत्याशी चुनाव में खड़े हुए थे मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और बसपा के बीच था. जबकि कांग्रेस, सपा समेत अन्य सभी 25 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे. इस चुनाव में जनता ने बसपा प्रत्याशी रहे राधेलाल बघेल को 22 हजार 797 वोट देकर जीत का सेहरा पहनाया था और विधायक बनाया था. जबकि निकटतम प्रत्याशी भारतीय जानता पार्टी के टिकट पर खड़े हुए प्रदीप अग्रवाल रहे जिन्हें जनता के 19 हजार 521 मत प्राप्त हुए थे इस तरह सेंवडा सीट पर जीत का अंतर 3 हजार 276 वोटों का था.

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सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: इस क्षेत्र में विकास की लम्बे समय से दरकार है, यह क्षेत्र पर्यटन विकास की अपार संभावनाओं के बाद भी चम्बल बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्वालियर, दतिया व ओरछा जैसे पर्यटक स्थलों के बीच अपनी पहचान नहीं स्थापित कर पाया है. लम्बे समय से औद्योगिक प्रणाली की मांग रही है जिससे यहां रोजगार उपलब्ध हो सके, स्थानीय युवाओं को नौकरी के लिए ग्वालियर, भिंड, मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र या किसी बड़े शहर का रूख करना पड़ता है. विकास की कमी, संसाधन का अभाव यहाँ के लोगों के लिए रोजमर्रा का जीवन संघर्षपूर्ण बनाता है. दो साल पहले आयी सिंध नदी की बाढ़ में सनकुआ पुल बह गया जिसके बाद यहाँ भिंड से भारी वाहनों का आवागमन सीधे तौर पर प्रभावित है, ट्रांसपोर्टेशन की कमी बड़ी समस्या है.

दतिया। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभाओं में से एक है ‘सेवड़ा’, मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-20. यह क्षेत्र जनता की मर्जी पर चलता है. यहां किसी विधायक को दोबारा मौक़ा नहीं दिया जाता और ना ही किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार विधायकी सौंपी है. ये सिलसिला बीते 33 वर्षों से जारी है लेकिन यह क्षेत्र जितनी अपनी प्राकृतिक और आध्यात्मिक खूबसूरत और महत्व के लिए जाना जाता है उतनी ही हालत विकास के मामले में पस्त है. जानता विकास की चाह में हर बार नया विधायक चुनती है लेकिन यह क्षेत्र आज भी विकास की बाट जोह रहा है. जो भी अच्छी योजनाएं आती है वे दतिया तक सीमित रह जाती है. ऐसे में इस क्षेत्र की स्थिति पर अब चर्चा विस्तार से करते हैं.

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सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र की खासियत

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र की खासियत: सिंध नदी किनारे बसा यह क्षेत्र सनकुआ धाम के नाम से भी जाना जाता है. ऐतिहासिक किला, प्राचीन स्मारक यहां आने वाले पर्यटकों के लिए नौका विहार, शांत वातावरण के बीच खूबसूरत झरना साथ ही इस क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक बनावट यहां रहने वाले लोगों और बाहर से आने वाले सैलानियों के लिए अद्भुत अनुभव होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां ब्रह्मा जी के चार पुत्रों मानस पुत्रों के सनत, सनंदन एवं सनत कुमार ने तपस्या की थी. इस वजह से यहां के घाट को सनकुआ धाम कहा जाता है . पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं इस क्षेत्र में हैं.

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सेवड़ा विधानसभा में मतदाता

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: बात अगर सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में इस क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 1 लाख 85 हज़ार 872 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 233 और महिला मतदाता 85 हजार 634 हैं साथ ही ट्रांसज़ेंडर मतदाताओं की संख्या 5 हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण: सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र को विस निर्वाचन क्षेत्र-20 की पहचान दी गई है यह विधानसभा क्षेत्र प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के गृह जिला दतिया की तीन विधानसभाओं में से एक है. वर्तमान में यहां कांग्रेस का दबदबा है, क्यूंकि विधायक यहां कांग्रेस के हैं घनश्याम सिंह. जो खुद दतिया राज घराने से हैं. 2018 में चुनाव जिताने के बाद जनता को इनसे काफ़ी उम्मीदें थी लेकिन विधायक जी का ध्यान सेवड़ा से अधिक जिला मुख्यालय पर रहता है या क्षेत्र के इंदरगढ़ इलाक़े में ऐसे में चुने गये जनप्रतिनिधि भी जनता की उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे हैं. जनता ने पिछले चुनाव 2013 में मोदी लहर के चलते बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप अग्रवाल को जीता कर विधायक बनाया था लेकिन उनका ध्यान भी क्षेत्र के विकास पर नहीं रहा और जनता ने 2018 में बागडोर कांग्रेस को सौंपी. लेकिन विधायक रिपीट ना करने की परंपरा के चलते इस बार बीजेपी कांग्रेस और बसपा तीनों ही पार्टियां जनता को लुभाने का पूरा प्रयास कर रही हैं.

बात राजनीतिक समीकरणों की करें तो कयास लगाए जा रहे हैं बीजेपी एक बार प्रदीप अग्रवाल पर दाव लगा सकती है जबकि कांग्रेस के वर्तमान विधायक एक बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान से अब तक कोई फ़ैसला नहीं बताया गया है. चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए इसकी वजह से नाराज़गी भी सेवड़ा की जनता में पनपने लगी है. इस तरह 2023 में बीजेपी कांग्रेस अपने प्रत्याशी रिपीट कर सकते हैं जबकि जनता विकास की छह में इस बार पढ़ा लिखा और युवा नेता देखना चाहती है जिससे इस इलाक़े को विकास और पर्यटन में नई दिशा मिल सके. हालांकि

Sewda ASSEMBLY CONSTITUENCY
जातीय समीकरण

जातीय समीकरण: इस सीट पर ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है यहां पर बघेल कुशवाह मतदाताओं के गठजोड़ पर जीत डिपेंड रहती है. सेंवड़ा सीट पर सबसे ज्यादा यादव हैं लेकिन गुर्जर, कुशवाहा, बघेल, ब्राह्मण और वैश्य वोट बैंक भी अच्छा खासा हैं. यहां क्षत्रिय और वैश्य मतदाताओं की संख्या 5 से 6 हजार के करीब बताई जाती है. चुनाव में जातिगत समीकरण अंत समय में भी चुनाव के परिणाम पलटने में सक्षम रहते हैं. जहां बीजेपी हिन्दुवादी तो वहीं कांग्रेस बीजेपी विरोधी रणनीति के नाम पर चुनाव जीतना चाहते हैं लेकिन असल में विकास की बात तो जैसे कहीं नजर ही नहीं आर ही है. अब जानता किस पर भरोसा करेगी ये तो आने वाले चुनाव के परिणाम ही बतायेंगे.

आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे: 1990 के बाद से ही सेवड़ा की जनता ने विकास की चाह में किसी विधायक को दोबारा मौक़ा नहीं दिया ऐसा ही 2018 के चुनाव में भी हुआ ऊपर से ‘माई का लाल’ इफ़ेक्ट बीजेपी के विपरीत और कांग्रेस के हक़ में गया बीजेपी ने सीट बचाने के लिए बसपा से बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक राधेलाल बघेल को टिकट दिया लेकिन जनता ने उन्हें 31,542 वोट देकर बैठ दिया जबकि उनके प्रतिद्वंदी और कांग्रेस के प्रत्याशी घनश्याम सिंह को बंपर 64,810 वोट के साथ अपना विधायक चुना. इस चुनाव में कांग्रेस 33,268 वोट के बड़े अंतर के साथ जीती थी.

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विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े

विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: वर्ष 2013 में जब मप्र में विधानसभा चुनाव हुए तो सेवड़ा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर प्रदीप अग्रवाल पर भरोसा जताया और उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन इस चुनाव में लगभग पूरा देश मोदी लहर में डूबा हुआ था जिसका फ़ायदा प्रदीप अग्रवाल को भी हुआ और वे सेवड़ा से 32 हजार 423 वोट के साथ विधायक चुने गए. जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी घनश्याम सिंह को शिकस्त का सामना करना पड़ा और उन्हें सिर्फ़ 23 हजार 614 वोट ही हांसिल हुए थे और जीत का अंतर 8 हजार 809 मत का रहा. इस चुनाव में खड़े हुए 22 में से 20 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

Sewda ASSEMBLY CONSTITUENCY
आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे

विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: सेवड़ा विधानसभा के लिए चुनाव यादगार था पहली वजह तो पहले यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इसे अनारक्षित (सामान्य) घोषित कर दिया गया था. दूसरा ऐसा होने से इस चुनाव में 27 प्रत्याशी चुनाव में खड़े हुए थे मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और बसपा के बीच था. जबकि कांग्रेस, सपा समेत अन्य सभी 25 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे. इस चुनाव में जनता ने बसपा प्रत्याशी रहे राधेलाल बघेल को 22 हजार 797 वोट देकर जीत का सेहरा पहनाया था और विधायक बनाया था. जबकि निकटतम प्रत्याशी भारतीय जानता पार्टी के टिकट पर खड़े हुए प्रदीप अग्रवाल रहे जिन्हें जनता के 19 हजार 521 मत प्राप्त हुए थे इस तरह सेंवडा सीट पर जीत का अंतर 3 हजार 276 वोटों का था.

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सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: इस क्षेत्र में विकास की लम्बे समय से दरकार है, यह क्षेत्र पर्यटन विकास की अपार संभावनाओं के बाद भी चम्बल बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्वालियर, दतिया व ओरछा जैसे पर्यटक स्थलों के बीच अपनी पहचान नहीं स्थापित कर पाया है. लम्बे समय से औद्योगिक प्रणाली की मांग रही है जिससे यहां रोजगार उपलब्ध हो सके, स्थानीय युवाओं को नौकरी के लिए ग्वालियर, भिंड, मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र या किसी बड़े शहर का रूख करना पड़ता है. विकास की कमी, संसाधन का अभाव यहाँ के लोगों के लिए रोजमर्रा का जीवन संघर्षपूर्ण बनाता है. दो साल पहले आयी सिंध नदी की बाढ़ में सनकुआ पुल बह गया जिसके बाद यहाँ भिंड से भारी वाहनों का आवागमन सीधे तौर पर प्रभावित है, ट्रांसपोर्टेशन की कमी बड़ी समस्या है.

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