दमोह। यूं तो जुड़वा बच्चे पैदा होना आम बात है, पर जब दो से अधिक बच्चे एकसाथ जन्म लेते हैं तो थोड़ी हैरानी होना लाजिमी है. दमोह जिले के हटा सिविल अस्पताल में 28 वर्षीय प्रसूता ने एक के बाद एक तीन बच्चों को जन्म दिया, तीनों बच्चों का जन्म दो से पांच मिनट के अंतराल में हुआ है. तीनों बच्चे और महिला पूरी तरह स्वस्थ है. डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्यकर्मी और नर्स तक सब हैरान और आश्चर्यचकित हैं क्योंकि इस महिला ने पहले भी एक बच्ची को जन्म दिया था.
डॉक्टर सौरभ जैन ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. बच्चों का जन्म साधारण प्रक्रिया के तहत हुआ है. ग्रामीण इलाकों में इस तरह का यह पहला मामला है, जब किसी महिला ने एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया है. कनकपुरा गांव निवासी आरती पति द्वारका यादव ने दो वर्ष पहले एक बच्ची को जन्म दिया था. दोबारा गर्भवती होने और प्रसव पीड़ा शुरू होने पर उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां आरती ने एक साथ तीन बच्चियों को जन्म दिया है.
आरती के पति ने बताया कि ईश्वर ने उन्हें बड़ा तोहफा दिया है. इसके पहले भी एक लड़की ने जन्म लिया था, जोकि अब 2 वर्ष की है, एक साथ तीन बच्चियों के जन्म से परिवार खुश है. डॉक्टर के अनुसार बच्चे का समान्य वजन दो किलो 500 ग्राम होना चाहिए. जिसमें आरती का एक बच्चा 1 किलो 800 ग्राम का है. दूसरा 1 किलो 500 ग्राम और तीसरा बच्चा 1 किलो 600 ग्राम का है. प्रसव के कुछ घंटे बाद महिला अपने गांव चली गई. स्वास्थ्य विभाग की टीम महिला के पति से संपर्क में बनी रहेगी.
गाजियाबाद के नेहरू नगर निवासी एक प्रसूता को सोमवार रात करीब तीन बजे लेबर पेन शुरू होने पर यशोदा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. प्राथमिक उपचार और जांच के बाद प्रसूता को तुरंत लेबर रूम में ले जाया गया. यशोदा अस्पताल की उपाध्यक्ष और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि अरोड़ा और उनकी टीम ने तुरंत उपचार शुरू किया. ऑपरेशन के दौरान वरिष्ठ नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ (मेजर) सचिन दुबे ऑपरेशन थिएटर में मौजूद रहे और ऑपरेशन हुआ, प्रसूता ने चार बच्चों को जन्म दिया, जिसमें तीन लड़के और एक लड़की शामिल है. जन्म के तुरंत बाद चारों बच्चों को डॉ. सचिन दुबे के संरक्षण में नर्सरी में भेज दिया गया.
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डॉ. शशि अरोड़ा ने बताया कि जच्चा-बच्चा सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ है. ऐसे में बच्चों का वजन थोड़ा कम है. ऑपरेशन तक गर्भावस्था को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी. 33 हफ्ते तीन दिन तक चारो बच्चे मां के गर्भ में रहे. इस तरह के ऑपरेशन भी काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं क्योंकि खून बहने का खतरा बना रहता है. 40 मिनट में यशोदा अस्पताल की टीम ने ऑपरेशन को पूरा किया.