दमोह। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित मध्य भारत के पहले एवं देश के चौथे सांस्कृतिक स्रोत प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ शनिवार को केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने किया. इससे मध्य भारत एवं बुंदेलखंड की सांस्कृतिक गतिविधियों को जानने एवं रिसर्च करने का अवसर लोगों को मिलेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र नई दिल्ली की अध्यक्ष डॉक्टर हेमलता एस मोहन ने की. इस दौरान विशिष्ट अतिथि सीसीआरटी नई दिल्ली के वरिष्ठ निदेशक ऋषभ कुमार भी मौजूद रहे.
कार्यक्रम में पुस्तक का हुआ विमोचन
इस मौके पर संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने सांस्कृतिक, संगीत एवं पुरातात्विक महत्व की छायाचित्र की प्रदर्शनी तथा ऑडियो-वीडियो सीडी और पुस्तक का विमोचन किया. वहीं सचिन राठौर और उनके साथियों ने बुंदेली संस्कृति को निरूपित करते हुए लोकगीत प्रस्तुत किए.
126 वर्षों से चली आ रही है परंपरा
कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि पूरे भारत में यदि सबसे पुरानी गुरु पूर्णिमा संगीतमय परंपरा है, तो वह नाना साहब पांसे की परंपरा है. जिसे एक परिवार पिछले 126 वर्षों से निरंतर चलाता आ रहा है. यह हमारे लिए गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक स्रोत प्रशिक्षण केंद्र के लिए दमोह की भूमि सबसे उपयुक्त थी, इसलिए यहां पर इसकी स्थापना की गई.
चित्रपट पर अंकित हैं छह चीजें
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीसीआरटी का मुख्य उद्देश्य है, अपने सांस्कृतिक अनुसंधान के बारे में नई पीढ़ी को जानकारी देने की कोशिश करे. उन्होंने कहा कि यहां की संस्कृति, संगीत, पुरातत्व, संगीत, लेखन और शिक्षा, ये 6 चीजें ऐसी हैं जो चित्रपट पर अंकित हैं.
दमोह के लिए गौरव की बात
केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि सीसीआरटी का उद्देश्य यही है कि चाहे 10 से 14 साल के बालक को प्रशिक्षण दिया जाए, तथा अगले 20 साल तक स्कॉलरशिप देकर उन्हें तैयार किया जाए. जूनियर और सीनियर स्कॉलरशिप ऐसी है, जो साहित्यकार कहीं जा नहीं पाते या डिग्री नहीं ले पाते, यह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस नाते दमोह बहुत योग्य भूमि है. इसके लिए दमोह को अवसर मिला है. यह हमारे लिए गौरव की बात है.
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भारत का यह चौथा केंद्र
इस अवसर पर सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र नई दिल्ली की अध्यक्ष डॉक्टर हेमलता एस मोहन ने बताया कि मध्य भारत का यह पहला सांस्कृतिक प्रशिक्षण केंद्र है. अभी तक भारत में गुवाहाटी, उदयपुर तथा हैदराबाद में ही यह केंद्र थे, लेकिन अब दमोह में यह केंद्र खुल जाने से समूचे मध्य भारत एवं बुंदेलखंड की सांस्कृतिक, पुरातात्विक, संगीत, कला लेखन आदि पर शोध हो सकेगा. इससे लोगों को भरपूर लाभ मिलेगा.