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ब्लैक फंगस से दो की मौत, ऑपरेशन के बाद भी नहीं बची जान

तेजी से पैर पसार रहा म्यूकरमाइकोसिस यानी फंगस ने 2 लोगों की जान ले ली है. ऑपरेशन के बाद भी इन युवाओं की जान नहीं बच सकी. अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने चिंताजनक बन गए हैं. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है.

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ब्लैक फंगस से दो की मौत
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Published : May 22, 2021, 8:06 AM IST

दमोह। ब्लैक फंगस के दमोह में 6 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से दो लोगों की मौत हो गई है. मरने वाले दोनों युवा थे और उनके ऑपरेशन भी कई हॉस्पिटलों में हो चुके थे. करीब 10 दिन पहले 6 लोगों को एकाएक ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ था. जिसमें से दो लोगों की मौत हो गई. वहीं अन्य मरीजों का इलाज जारी है.

ब्लैक फंगस से दो की मौत,

ऑपरेशन के बाद भी नहीं बची जान

ठेकेदार दीपक सोनी कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे, हालत बिगड़ने के बाद उन्हे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जांच में पता चला कि शरीर में ब्लैक फंगस का संक्रमण भी धीरे-धीरे फैल रहा है. जिसे गंभीरता से लेते हुए स्थानीय अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को उपचार के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. वहां भी डॉक्टर ने जांच के बाद एक आंख निकाले जाने की संभावना जताई थी. जिसके बाद उन्हें नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. तमाम जांचों के बाद डॉक्टर ने दीपक की एक आंख निकाल दी और उसे अम्फोटेरिसिन इंजेक्शन लगाया. मरीज को मात्र 4 इंजेक्शन ही लग पाए थे, लेकिन और इंजेक्शनों का प्रबंध नहीं हो पा रहा था, समय पर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के चलते, ब्लैक फंगस का इंफेक्शन दूसरी आंख से सीधा मस्तिष्क में प्रवेश कर गया और उसकी मौत हो गई.

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मस्तिष्क में फैल गया संक्रमण

इसी तरह स्थानीय राजीव गांधी कॉलोनी निवासी नितिन जैन की भी मात्र 34 वर्ष की अवस्था में ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि उसे भी कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमण हुआ था. चेहरे और आंख में लालिमा और सूजन आने पर डॉक्टर ने ब्लैक फंगस की संभावना व्यक्त की थी. इसके बाद उसे भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर ने एक आंख सर्जरी करके निकाल दी थी. मरीज को रोज एंटी फंगल इंजेक्शन भी लग रहे थे, लेकिन संक्रमण पूरे शरीर में फैल गया और उसकी भी मौत हो गई. इसी तरह जिला अस्पताल में भर्ती हुए एक दूसरे मरीज को भी चेहरे पर सूजन आने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. वहां उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है.

सावधानी और सफाई से ही बचाव

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संगीता त्रिवेदी कहती हैं कि ब्लैक फंगस हर जगह मौजूद है. यह हवा में, पानी में, पेड़ पौधों के पत्तों में, सड़ी हुई खाद में उपलब्ध है लेकिन उतना हानिकारक नहीं है. यह तेजी से उस वक्त फैलने लगता है, जब व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. जिसे लगातार स्टेरॉइड या ऑक्सीजन दी जाती है, ऐसे व्यक्ति जल्दी इसकी चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में लोगों को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मुंह पर हमेशा मास्क लगाकर रखें और चेहरा पूरी तरह ढकें. बार-बार हाथ धोने की आदत लोगों को डालनी चाहिए, तभी इस बीमारी से बचा जा सकता है.

दमोह। ब्लैक फंगस के दमोह में 6 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से दो लोगों की मौत हो गई है. मरने वाले दोनों युवा थे और उनके ऑपरेशन भी कई हॉस्पिटलों में हो चुके थे. करीब 10 दिन पहले 6 लोगों को एकाएक ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ था. जिसमें से दो लोगों की मौत हो गई. वहीं अन्य मरीजों का इलाज जारी है.

ब्लैक फंगस से दो की मौत,

ऑपरेशन के बाद भी नहीं बची जान

ठेकेदार दीपक सोनी कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे, हालत बिगड़ने के बाद उन्हे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जांच में पता चला कि शरीर में ब्लैक फंगस का संक्रमण भी धीरे-धीरे फैल रहा है. जिसे गंभीरता से लेते हुए स्थानीय अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को उपचार के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. वहां भी डॉक्टर ने जांच के बाद एक आंख निकाले जाने की संभावना जताई थी. जिसके बाद उन्हें नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. तमाम जांचों के बाद डॉक्टर ने दीपक की एक आंख निकाल दी और उसे अम्फोटेरिसिन इंजेक्शन लगाया. मरीज को मात्र 4 इंजेक्शन ही लग पाए थे, लेकिन और इंजेक्शनों का प्रबंध नहीं हो पा रहा था, समय पर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के चलते, ब्लैक फंगस का इंफेक्शन दूसरी आंख से सीधा मस्तिष्क में प्रवेश कर गया और उसकी मौत हो गई.

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मस्तिष्क में फैल गया संक्रमण

इसी तरह स्थानीय राजीव गांधी कॉलोनी निवासी नितिन जैन की भी मात्र 34 वर्ष की अवस्था में ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मौत हो गई. बताया जा रहा है कि उसे भी कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमण हुआ था. चेहरे और आंख में लालिमा और सूजन आने पर डॉक्टर ने ब्लैक फंगस की संभावना व्यक्त की थी. इसके बाद उसे भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर ने एक आंख सर्जरी करके निकाल दी थी. मरीज को रोज एंटी फंगल इंजेक्शन भी लग रहे थे, लेकिन संक्रमण पूरे शरीर में फैल गया और उसकी भी मौत हो गई. इसी तरह जिला अस्पताल में भर्ती हुए एक दूसरे मरीज को भी चेहरे पर सूजन आने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. वहां उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है.

सावधानी और सफाई से ही बचाव

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संगीता त्रिवेदी कहती हैं कि ब्लैक फंगस हर जगह मौजूद है. यह हवा में, पानी में, पेड़ पौधों के पत्तों में, सड़ी हुई खाद में उपलब्ध है लेकिन उतना हानिकारक नहीं है. यह तेजी से उस वक्त फैलने लगता है, जब व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है. जिसे लगातार स्टेरॉइड या ऑक्सीजन दी जाती है, ऐसे व्यक्ति जल्दी इसकी चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में लोगों को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मुंह पर हमेशा मास्क लगाकर रखें और चेहरा पूरी तरह ढकें. बार-बार हाथ धोने की आदत लोगों को डालनी चाहिए, तभी इस बीमारी से बचा जा सकता है.

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