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160 साल पुराने मंदिर के सामने हॉर्न बजाकर ट्रेन भी करती है बजरंगबली को नमन - ट्रेन

दमोह जिले के पास हनुमान जी का ऐसा मंदिर है जहां मंदिर के सामने 131 साल से लगातार गुजरने वाली ट्रेन मंदिर के सामने हॉर्न बजाना नहीं भूलती. इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है.

खेजरा वाले हठीले हनुमान का मंदिर
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Published : Feb 21, 2019, 11:03 PM IST

दमोह। जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर हठीले हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. हठीले हनुमान के भक्तों में ट्रेन भी शामिल है और यही कारण है कि करीब 161 साल पुराने इस मंदिर के सामने से निकलने वाली हर ट्रेन हॉर्न बजाकर गुजरती है. जब से इस मंदिर के सामने ट्रेन के लिए पटरियां बिछाई गईं, तब से ही यहां से गुजरने वाली हर ट्रेन का चालक हॉर्न बजाकर गुजरता है.


दमोह विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम खेजरा में स्थित खेजरा वाले हठीले हनुमान का यह प्रसिद्ध मंदिर, लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये प्रसिद्ध है. इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां से निकलने वाली हर ट्रेन हनुमान जी के प्रति अपनी आस्था हॉर्न बजाकर प्रकट करती है.

महंत प्रहलाद के मुताबिक सन 1861 में हठीले हनुमान की स्वयंभू मूर्ति सामने आई थी. वहीं हठीले हनुमान के प्रकट होने के 30 साल बाद वहां से ट्रेन निकलने के लिए पटरियां बिछाई गईं और जब यहां से पहली ट्रेन निकली तो हठीले हनुमान मंदिर के सामने ट्रेन पहुंचते ही रुक गई. खासे प्रयासों के बाद जब ट्रेन आगे नहीं बढ़ी तो ट्रेन में मौजूद चालक-परिचालकों ने आस-पास किसी देवता के होने की चर्चा सुनी और जब इन लोगों ने हठीले हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाकर उनसे प्रार्थना की तब बिना किसी रूकावट के ट्रेन आगे बढ़ सकी. तब से लेकर अब तक 131 साल से लगातार यहां से गुजरने वाली ट्रेन मंदिर के सामने हॉर्न बजाना नहीं भूलती.

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खेजरा वाले हठीले हनुमान का मंदिर

धीरे-धीरे मंदिर की प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई और अब यहां पर शनिवार और मंगलवार के साथ अन्य विशेष अवसरों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर हठीले हनुमान का दर्शन करते हैं और ट्रेन द्वारा भक्ति प्रकट करने की परंपरा को जानकर आश्चर्यचकित होते हैं. इस बात की पुष्टि यहां पर पीढ़ियों से हनुमान जी की सेवा करने वाले महंत के साथ यहां आने वाले भक्त भी करते हैं.

दमोह। जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर हठीले हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. हठीले हनुमान के भक्तों में ट्रेन भी शामिल है और यही कारण है कि करीब 161 साल पुराने इस मंदिर के सामने से निकलने वाली हर ट्रेन हॉर्न बजाकर गुजरती है. जब से इस मंदिर के सामने ट्रेन के लिए पटरियां बिछाई गईं, तब से ही यहां से गुजरने वाली हर ट्रेन का चालक हॉर्न बजाकर गुजरता है.


दमोह विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम खेजरा में स्थित खेजरा वाले हठीले हनुमान का यह प्रसिद्ध मंदिर, लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये प्रसिद्ध है. इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां से निकलने वाली हर ट्रेन हनुमान जी के प्रति अपनी आस्था हॉर्न बजाकर प्रकट करती है.

महंत प्रहलाद के मुताबिक सन 1861 में हठीले हनुमान की स्वयंभू मूर्ति सामने आई थी. वहीं हठीले हनुमान के प्रकट होने के 30 साल बाद वहां से ट्रेन निकलने के लिए पटरियां बिछाई गईं और जब यहां से पहली ट्रेन निकली तो हठीले हनुमान मंदिर के सामने ट्रेन पहुंचते ही रुक गई. खासे प्रयासों के बाद जब ट्रेन आगे नहीं बढ़ी तो ट्रेन में मौजूद चालक-परिचालकों ने आस-पास किसी देवता के होने की चर्चा सुनी और जब इन लोगों ने हठीले हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाकर उनसे प्रार्थना की तब बिना किसी रूकावट के ट्रेन आगे बढ़ सकी. तब से लेकर अब तक 131 साल से लगातार यहां से गुजरने वाली ट्रेन मंदिर के सामने हॉर्न बजाना नहीं भूलती.

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खेजरा वाले हठीले हनुमान का मंदिर

धीरे-धीरे मंदिर की प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई और अब यहां पर शनिवार और मंगलवार के साथ अन्य विशेष अवसरों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर हठीले हनुमान का दर्शन करते हैं और ट्रेन द्वारा भक्ति प्रकट करने की परंपरा को जानकर आश्चर्यचकित होते हैं. इस बात की पुष्टि यहां पर पीढ़ियों से हनुमान जी की सेवा करने वाले महंत के साथ यहां आने वाले भक्त भी करते हैं.

Intro:दमोह से स्पेशल स्टोरी

131 साल से हनुमान मंदिर के सामने से गुजरने वाली हर ट्रेन बजाती है हॉर्न और करती है बजरंगबली को नमन

161 साल पुराना है हठीले हनुमान का यह दरबार

आज भी कायम है ट्रेन द्वारा बजरंगबली के मंदिर के सामने से निकलने पर हॉर्न बजाने की परंपरा


Anchor . दमोह जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर हठीले हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर यहां आने वाले भक्तों की आस्था का केंद्र है. तो वही हठीले हनुमान के भक्तों में ट्रेन भी शामिल है, और यही कारण है कि इस मंदिर के सामने से निकलने वाली हर ट्रेन हॉर्न बजाती हुई निकलती नजर आती है. जी हां करीब 161 साल पुराने इस मंदिर के भक्तों में सामने से गुजरने वाली ट्रेन भी शामिल है. जब से इस मंदिर के सामने ट्रेन निकलने के लिए पटरिया बिछाई गई, तब से ही यहां से गुजरने वाली हर ट्रेन भगवान बजरंगबली में अपनी आस्था हॉर्न बजाकर प्रकट करती है.


Body:VO. दमोह विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम खेजरा में स्थित है खेजरा वाले हठीले हनुमान का यह प्रसिद्ध मंदिर. यह मंदिर जहां यहां पर आने वाले लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले भगवान हनुमान के प्रसिद्ध स्थान के रूप में जाना जाता है. वही इन्हीं भक्तों में मंदिर के सामने से निकलने वाली हर ट्रेन भी शामिल है. जी हां यहां से निकलने वाली हर ट्रेन हनुमान जी के प्रति अपनी आस्था हॉर्न बजाकर प्रकट करती है. सन 1861 में हठीले हनुमान वर्तमान स्थान से प्रकट हुए थे. वहीं हठीले हनुमान के प्रकट होने के 30 साल बाद वहां से ट्रेन निकलने के लिए पटरिया बिछाई गई, और जब यहां से पहली ट्रेन जो स्टीम इंजन था निकली तो हठीले हनुमान मंदिर के सामने ट्रेन पहुंचते ही रुक गई. काफी प्रयास के बाद जब ट्रेन आगे नहीं बढ़ी तो ट्रेन में मौजूद चालक परिचालको ने आसपास किसी देवता के होने की चर्चा सुनी, और जब इन लोगों ने हठीले हनुमान जी को प्रसाद आदि चढ़ाकर उनसे प्रार्थना की तब बिना किसी रूकावट के ट्रेन आगे बढ़ सकी. तब से लेकर अब तक 131 साल से लगातार यहां से गुजरकर जाने वाली ट्रेन मंदिर के सामने हॉर्न बजाना नहीं भूलती. धीरे धीरे मंदिर की प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई और अब यहां पर शनिवार और मंगलवार के साथ अन्य विशेष अवसरों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर हठीले हनुमान का दर्शन कर पुण्य लाभ लेते हैं. साथ ही ट्रेन द्वारा भक्ति प्रकट करने की परंपरा को जानकर आश्चर्य चकित होते हैं. इस बात की पुष्टि यहां पर पीढ़ियों से हनुमान जी की सेवा करने वाले महंत जी के साथ यहां आने वाले भक्त भी करते हैं.

बाइट महंत भक्त प्रह्लाद जी

बाइट राजीव विलथरे भक्त


Conclusion:VO. दमोह जिले में स्थित हठीले हनुमान का यह स्थान उन गिने-चुने स्थानों में से एक माना जाता है. जहां पर इस तरह की पुरातन परंपराएं बदलते दौर में भी विद्यमान है. जहां हठीले हनुमान के दरबार में हर तरह के लोग आकर अपनी मनोकामना को पूरा करते हैं. वहीं बीना कटनी रेल खंड के बीच पड़ने वाले दमोह स्टेशन के पास मार्ग में स्थित इस मंदिर के सामने ट्रेन द्वारा भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की परंपरा आज भी कायम है. लगातार 131 साल से अंग्रेजों के शासन काल के बाद भारत की आजादी के इतने वर्ष बीत जाने पर भी इस परंपरा का कायम रहना विशेष स्थानों में इस स्थान को शुमार करता है. जिनकी कहानियां हमें आश्चर्यचकित कर देती हैं .

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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