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दुर्दशा पर आंसू बहा रहा प्रशासन की उपेक्षा का शिकार 12 दरवाजों वाला ऐतिहासिक कुआं

जिला मुख्यालय के पास स्थित 12 दरवाजे वाला कुआं नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी की वजह से उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

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Published : Mar 27, 2019, 2:45 PM IST

12 दरवाजे वाला कुआं

दमोह। जिला मुख्यालय के पास एक ऐसा कुआं मौजूद है जिसमें 12 दरवाजे हैं और इसी कारण इस इलाके को बारहद्वारी कहा जाता है. इतिहासकार इस कुएं का निर्माणकाल अंग्रेजी शासन से भी पहले का मानते हैं, लेकिन इतिहास को संजोए हुए ये कुआं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है और जिला प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे हुए है.

12 दरवाजे वाला कुआं


नगर के मध्य स्थित घंटाघर के समीप मौजूद यह स्थान स्थानीय बोलचाल की भाषा में बाराद्वारी कहा जाता है. 12 दरवाजों की मौजूदगी से यह कुआं अपनी प्राचीनता की कहानी खुद बयां करता है, लेकिन आसपास के दुकानदारों एवं अतिक्रमणकारियों के कारण यह अपना स्वरूप खोता जा रहा है. कुएं में पानी भी है, लेकिन ये पानी पीना तो छोड़िये किसी भी काम नहीं आ सकता. पूरा कुआं कूड़े-कचरे और काई से भरा पड़ा है.

इस कुएं के एक हिस्से में रोमन भाषा में एक शिलालेख लगा हुआ है. स्थानीय दुकानदार की मानें तो यह कुआं करीब 300 साल पुराना है, जो अपनी पहचान खोता जा रहा है. कुछ वक्त पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा कुएं की मरम्मत का कार्य कर इसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया, लेकिन लगातार कचरा डाले जाने के कारण कुएं की दशा जैसी की तैसी बनी हुई है.

दमोह। जिला मुख्यालय के पास एक ऐसा कुआं मौजूद है जिसमें 12 दरवाजे हैं और इसी कारण इस इलाके को बारहद्वारी कहा जाता है. इतिहासकार इस कुएं का निर्माणकाल अंग्रेजी शासन से भी पहले का मानते हैं, लेकिन इतिहास को संजोए हुए ये कुआं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है और जिला प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे हुए है.

12 दरवाजे वाला कुआं


नगर के मध्य स्थित घंटाघर के समीप मौजूद यह स्थान स्थानीय बोलचाल की भाषा में बाराद्वारी कहा जाता है. 12 दरवाजों की मौजूदगी से यह कुआं अपनी प्राचीनता की कहानी खुद बयां करता है, लेकिन आसपास के दुकानदारों एवं अतिक्रमणकारियों के कारण यह अपना स्वरूप खोता जा रहा है. कुएं में पानी भी है, लेकिन ये पानी पीना तो छोड़िये किसी भी काम नहीं आ सकता. पूरा कुआं कूड़े-कचरे और काई से भरा पड़ा है.

इस कुएं के एक हिस्से में रोमन भाषा में एक शिलालेख लगा हुआ है. स्थानीय दुकानदार की मानें तो यह कुआं करीब 300 साल पुराना है, जो अपनी पहचान खोता जा रहा है. कुछ वक्त पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा कुएं की मरम्मत का कार्य कर इसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया, लेकिन लगातार कचरा डाले जाने के कारण कुएं की दशा जैसी की तैसी बनी हुई है.

Intro:दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित है 12 दरवाजे वाला प्राचीन कुआं

उपेक्षा के शिकार के चलते कचरे एवं गंदगी के अंबार से पटा पड़ा रहता है कुआं

12 दरवाजों के कारण 12 द्वारी इलाके के नाम से प्रसिद्ध है यह क्षेत्र

एंकर. दमोह जिला मुख्यालय पर एक ऐसा कुआं मौजूद है जिसमें 12 दरवाजे है और इन्हीं 12 दरवाजों के कारण इसे बारहद्वारी कुआं कहा जाता है. यह कुआं अंग्रेजी शासन के भी पूर्व बनाया गया था. आज तक बची रही इस विरासत को सहेजने के लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता. बीच में एकाध बार इसके संरक्षण की पहल की गई, लेकिन फिर यह कुआं उपेक्षा का शिकार हो गया, और अब गंदगी के अंबार से इसका पानी दूषित हो रहा है.


Body:Vo. नगर के मध्य स्थित घंटाघर के समीप मौजूद यह स्थान स्थानीय बोलचाल की भाषा में बाराद्वारी कहा जाता है. लेकिन इसका मूल कारण यह है कि यहां पर 12 दरवाजे वाला एक कुआं स्थित है, और इस कुएं में 12 महीने लबालब पानी भी भरा रहता है, 12 दरवाजों के कारण अंदर से देखने पर यह कुआं अपनी प्राचीनता की कहानी कहता है. लेकिन बाहर से दुकानदारो एवं अतिक्रमणकारियों के कारण अपने स्वरूप को यह कुआं खोता जा रहा है. 12 दरवाजे होने के बावजूद इस कुएं पर केवल एक ही पनघट है. जो शायद पूर्व में पानी भरने के लिए उपयोग किया जाता था. लेकिन अब यहां पर ना तो कोई पानी भरने आता है और ना ही इस कुएं का पानी उपयोगी ही है. क्योंकि लोग इस पर कचरा डालकर इसके अस्तित्व को समाप्त करने लगे हुए हैं. इस कुएं के एक हिस्से में रोमन भाषा में एक शिलालेख लगा हुआ है. स्थानीय दुकानदार के अनुसार यह कुआं करीब 300 साल पुराना है. जो अपनी पहचान खोता जा रहा है. बीच में नगर पालिका प्रशासन द्वारा कुए की मरम्मत का कार्य कर इसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया. लेकिन लगातार कचरा डाले जाने के कारण यह कुआं अब अपनी प्राचीनता को नष्ट होने की स्थिति में पहुंच रहा है. आवश्यकता है प्रशासन द्वारा प्राचीन धरोहरों का संरक्षण किया जाए. जिससे उनसे जुड़ी कहानियां किंवदंतियों आगामी पीढ़ियों के लिए प्रेरणादाई बन सके.

बाइट- महेंद्र गुप्ता स्थानीय निवासी एवं जानकार

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह


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