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180 साल पुरानी है माता दुर्गा की प्रतिमा, साल में दो बार ही देती हैं दर्शन - भारत माता दुर्गा देवालय

दमोह जिले के भारत माता मंदिर में स्थापित माता दुर्गा की प्रतिमा मिट्टी से निर्मित है ये 180 साल पुरानी है. यहां पर दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है

180 साल पुरानी मां दुर्गा
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Published : Oct 2, 2019, 8:52 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 1:10 PM IST

दमोह। कहते हैं भक्त और भगवान का नाता जन्मों-जन्मों का होता है. इसमें आस्था जितनी गहरी होती जाती है भगवान की कृपा का प्रसाद दोगुना होता जाता है. ऐसी ही श्रद्धा का नजारा देखने मिलता है जिला मुख्यालय पर स्थित भारत माता दुर्गा देवालय में जहां 180 साल से विराजमान माता दुर्गा ने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है.यहां लोग विशेष पूजा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं.

180 साल पुरानी मां दुर्गा की मूर्ति


जिला मुख्यालय से सटे फुटेरा गांव में तालाब किनारे बने इस मंदिर को भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है.भारत परिवार के देवी प्रसाद द्वारा यह प्रतिमा सन 1851 में हटा गांव से बैलगाड़ी के माध्यम से लाई गई है. पहले यह प्रतिमा दमोह के चल समारोह में हर साल शामिल की जाती थी. लेकिन इस प्रतिमा का कभी विसर्जन नहीं किया गया.1943 में अंग्रेजों द्वारा इस प्रतिमा को पुराना थाना के पास रोक लिए जाने के बाद इसे कभी मंदिर के बाहर नहीं निकाला गया.


मिट्टी की प्रतिमा दो शताब्दी से विराजमान
भारत माता दुर्गा देवालय में विराजमान माता दुर्गा की प्रतिमा मिट्टी से निर्मित है. इस प्रतिमा को 1851 में हटा में बनाया गया था.मिट्टी की प्रतिमा जल्द ही क्षरण को प्राप्त हो जाती है ,लेकिन यह माता का चमत्कार ही है कि दो शताब्दी गुजर जाने के बाद भी प्रतिमा मूलरुप में विराजमान है.


साल में सिर्फ दो बार दर्शन देती हैं माता
माता दुर्गा के दर्शन भक्तों को सिर्फ साल में दो बार ही होते है.माता के दर्शन लोगों को चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर ही होते बाकि 6 महीने मंदिर के पट बंद रहते है. जिसके कारण माता के दर्शन करने दूर-दूर से भक्तों का तांता लगता है.


10 भुजीय है माता दुर्गा
माता दुर्गा की 180 साल पुरानी प्रतिमा 10 भुजीय है.जिनके दर्शन लोगों को बहुत ही कम जगह होते हैं. माता के सेवक नरेंद्र भारत जी ने बताया कि 10 भुजीय माता की सेवा आराधना अलग तरीके से करनी पड़ती है.जिसे हर कोई नहीं कर सकता है.इसलिए माता के दर्शन आसानी से लोगों को नहीं होते हैं.


मूलरूप और मूल स्वरुप में दर्शन दे रही हैं माता
निर्माण काल के बाद से लेकर अब तक अनेक शासनकाल में भी प्रतिमा को मूल स्वरूप में ही सुरक्षित करने का काम भारत परिवार चार पीढ़ियों से कर रहा है.इतना समय गुजर जाने के बाद भी यह प्रतिमा उसी स्वरूप में आज भी भक्तों को दर्शन देती है. साथ ही मंदिर का जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन मंदिर के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया.

दमोह। कहते हैं भक्त और भगवान का नाता जन्मों-जन्मों का होता है. इसमें आस्था जितनी गहरी होती जाती है भगवान की कृपा का प्रसाद दोगुना होता जाता है. ऐसी ही श्रद्धा का नजारा देखने मिलता है जिला मुख्यालय पर स्थित भारत माता दुर्गा देवालय में जहां 180 साल से विराजमान माता दुर्गा ने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है.यहां लोग विशेष पूजा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं.

180 साल पुरानी मां दुर्गा की मूर्ति


जिला मुख्यालय से सटे फुटेरा गांव में तालाब किनारे बने इस मंदिर को भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है.भारत परिवार के देवी प्रसाद द्वारा यह प्रतिमा सन 1851 में हटा गांव से बैलगाड़ी के माध्यम से लाई गई है. पहले यह प्रतिमा दमोह के चल समारोह में हर साल शामिल की जाती थी. लेकिन इस प्रतिमा का कभी विसर्जन नहीं किया गया.1943 में अंग्रेजों द्वारा इस प्रतिमा को पुराना थाना के पास रोक लिए जाने के बाद इसे कभी मंदिर के बाहर नहीं निकाला गया.


मिट्टी की प्रतिमा दो शताब्दी से विराजमान
भारत माता दुर्गा देवालय में विराजमान माता दुर्गा की प्रतिमा मिट्टी से निर्मित है. इस प्रतिमा को 1851 में हटा में बनाया गया था.मिट्टी की प्रतिमा जल्द ही क्षरण को प्राप्त हो जाती है ,लेकिन यह माता का चमत्कार ही है कि दो शताब्दी गुजर जाने के बाद भी प्रतिमा मूलरुप में विराजमान है.


साल में सिर्फ दो बार दर्शन देती हैं माता
माता दुर्गा के दर्शन भक्तों को सिर्फ साल में दो बार ही होते है.माता के दर्शन लोगों को चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर ही होते बाकि 6 महीने मंदिर के पट बंद रहते है. जिसके कारण माता के दर्शन करने दूर-दूर से भक्तों का तांता लगता है.


10 भुजीय है माता दुर्गा
माता दुर्गा की 180 साल पुरानी प्रतिमा 10 भुजीय है.जिनके दर्शन लोगों को बहुत ही कम जगह होते हैं. माता के सेवक नरेंद्र भारत जी ने बताया कि 10 भुजीय माता की सेवा आराधना अलग तरीके से करनी पड़ती है.जिसे हर कोई नहीं कर सकता है.इसलिए माता के दर्शन आसानी से लोगों को नहीं होते हैं.


मूलरूप और मूल स्वरुप में दर्शन दे रही हैं माता
निर्माण काल के बाद से लेकर अब तक अनेक शासनकाल में भी प्रतिमा को मूल स्वरूप में ही सुरक्षित करने का काम भारत परिवार चार पीढ़ियों से कर रहा है.इतना समय गुजर जाने के बाद भी यह प्रतिमा उसी स्वरूप में आज भी भक्तों को दर्शन देती है. साथ ही मंदिर का जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन मंदिर के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया.

Intro:180 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास मिट्टी की बनी 180 साल पुरानी है मां दुर्गा की प्रतिमा

साल में दो बार ही 9 दिन के लिए खुलता है यह माता का मंदिर

भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से प्रसिद्ध है फुटेरा तालाब के किनारे बना यह देवी मंदिर


दमोह. जिला मुख्यालय पर स्थित भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से प्रसिद्ध स्थल पर विराजमान 10 भुजी मां दुर्गा की प्रतिमा 180 साल पुरानी है. सन 1851 में यह प्रतिमा स्थापित की गई थी. जिसके बाद से यह स्थान हर नवरात्र में लोगों की आस्था का प्रतीक है. यहां पर लोग विशेष रूप से आते हैं, और माता रानी की इतनी प्राचीन मिट्टी की प्रतिमा का दर्शन कर पूजन अर्चन भी करते हैं. स्थापना के बाद चौथी पीढ़ी द्वारा वर्तमान में माता की सेवा की जा रही है.


Body:भारत परिवार के देवी प्रसाद भारत द्वारा सन 1851 में हटा से निर्मित कराकर 3 दिन का सफर कर बैलगाड़ी से यह प्रतिमा दमोह लाई गई थी. वही लगातार यह प्रतिमा दमोह के चल समारोह में शामिल की जाती रही. लेकिन इस प्रतिमा का विसर्जन नहीं किया गया. वही सन 1943 में अंग्रेजों द्वारा इस प्रतिमा को पुराना थाना के पास रोक लिए जाने के बाद भारत परिवार के लोगों द्वारा कभी भी यह प्रतिमा मंदिर से बाहर नहीं निकाली गई. साथ ही है परंपरा बन गई थी यह प्रतिमा केबल साल में दो बार नवरात्र के समय ही भक्तों को दर्शन देगी. तब से लेकर अब तक यह प्रतिभा लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है. भारत परिवार के नरेंद्र भारत गुरुजी बताते हैं कि 180 साल पुराने इतिहास के साथ यह प्रतिमा उनके परिवार ही नहीं यहां आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक है.

बाइट नरेंद्र भारत गुरुजी मंदिर के पुजारी


Conclusion:अपने निर्माण काल के बाद से लेकर अब तक अनेक शासनकाल में भी प्रतिमा को मूल स्वरूप में सुरक्षित करने का काम भारत परिवार के द्वारा किया गया है, और यह प्रतिमा उसी स्वरूप में आज भी भक्तों को दर्शन देती है. साथ ही मंदिर का जीर्णोद्धार तो किया गया, लेकिन मंदिर के स्थान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया. यही कारण है कि माता रानी की प्रतिमा अपनी प्राचीनता के साथ आज भी इस मंदिर में लोगों को दर्शन दे रही है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
Last Updated : Oct 2, 2019, 1:10 PM IST
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