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सरकारी शिक्षक का नवाचार, बाइस्कोप के साथ बच्चे सीख रहे 'अ' से अनार

दमोह जिले के खमरिया ग्राम पटेरा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के नवाचार की खूब चर्चा है, जहां बच्चे खेल-खेल में जिंदगी का पाठ पढ़ रहे हैं.

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Published : Sep 9, 2020, 10:58 PM IST

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सिनेमा जैसी मशीन बनाकर बच्चों की हो रही पढ़ाई

दमोह। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के नवाचार ने सभी को खुश कर दिया है. शिक्षक द्वारा बनाया गया मशीन नुमा प्रोजेक्ट बच्चों को आकर्षित करता है तो वहीं नीति आयोग को भी ये प्रोजेक्ट पसंद आया है. यही कारण है कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े जिलों में किए गए सर्वे के बाद दमोह जिला शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल दर्जे पर है. ये शिक्षक जहां बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत है, वहीं ग्रामीण भी इस शिक्षक की तारीफ करना नहीं भूलते.

सिनेमा जैसी मशीन बनाकर बच्चों की हो रही पढ़ाई

जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित खमरिया ग्राम पटेरा ब्लॉक के अंतर्गत आता है, जहां हुनर का पाठ पढ़ाने वाले प्राइमरी स्कूल के शिक्षक संतोष लोधी अब नवाचार के लिए जाने जाने लगे हैं. इन्होंने पुराने जमाने के मेले में प्रयोग होने वाले सिनेमा जैसे बॉक्स को बनाकर एबीसीडी से लेकर 12 खड़ी एवं गणित के सवाल के साथ चित्रों की कहानी को समझाने का प्रयास किया तो बच्चों को आसानी से उनकी बात समझ में आने लगी. शिक्षा विभाग ने भी शिक्षक की तारीफ की है. इतना ही नहीं नीति आयोग ने पिछड़े जिलों की शिक्षा को सुधार करने के लिए जो अभियान चलाया है, उसमें भी इस शिक्षक के प्रयास को शामिल किया गया है.

स्कूल के हेड मास्टर संतोष लोधी के प्रयासों का ही फल है कि यहां पर पढ़ाने वाले अन्य शिक्षक भी बच्चों को इसी तरह से पढ़ाते हैं और बच्चे भी उनके द्वारा पढ़ाए गए पाठ को अच्छी तरह से याद कर लेते हैं. अभी वर्तमान में स्कूल बंद हैं. इन शिक्षकों का ही प्रयास है कि ये बच्चे फर्राटेदार जिंदगी का पाठ पढ़ते नजर आते हैं. बच्चे कहते हैं कि उनको इस स्कूल में पढ़ने में मजा आता है. यही कारण है कि बच्चे पाठ को जल्दी सीख जाते हैं.

प्राइमरी स्कूल के हेड मास्टर और शिक्षक से केवल बच्चे ही खुश नहीं हैं, बल्कि इस गांव के ग्रामीण भी उतने ही खुश हैं. इन लोगों का कहना है कि जब से मास्टर साहब इस स्कूल में पढ़ाने के लिए आए हैं, तब से उनके बच्चों का विकास अच्छा हुआ है. बच्चों का रिजल्ट भी सुधरा है और बच्चे खेल-खेल में बहुत कुछ सीख भी रहे हैं. अमूमन देखा जाता है कि शिक्षकों के रवैये से गांव के लोग खफा रहते हैं, लेकिन यहां पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के इस नवाचार के कारण गांव के लोग भी खुश हैं. इस प्रोजेक्ट के लिए 4 मशीन बनाने में करीब 300 मीटर कपड़े का प्रयोग भी शिक्षकों के द्वारा किया गया है. जिसमें उन्होंने एबीसीडी के साथ गणित के सवाल और कहानियों को समावेशित किया है. जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़कर सीख रहे हैं.

दमोह। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक के नवाचार ने सभी को खुश कर दिया है. शिक्षक द्वारा बनाया गया मशीन नुमा प्रोजेक्ट बच्चों को आकर्षित करता है तो वहीं नीति आयोग को भी ये प्रोजेक्ट पसंद आया है. यही कारण है कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े जिलों में किए गए सर्वे के बाद दमोह जिला शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल दर्जे पर है. ये शिक्षक जहां बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत है, वहीं ग्रामीण भी इस शिक्षक की तारीफ करना नहीं भूलते.

सिनेमा जैसी मशीन बनाकर बच्चों की हो रही पढ़ाई

जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित खमरिया ग्राम पटेरा ब्लॉक के अंतर्गत आता है, जहां हुनर का पाठ पढ़ाने वाले प्राइमरी स्कूल के शिक्षक संतोष लोधी अब नवाचार के लिए जाने जाने लगे हैं. इन्होंने पुराने जमाने के मेले में प्रयोग होने वाले सिनेमा जैसे बॉक्स को बनाकर एबीसीडी से लेकर 12 खड़ी एवं गणित के सवाल के साथ चित्रों की कहानी को समझाने का प्रयास किया तो बच्चों को आसानी से उनकी बात समझ में आने लगी. शिक्षा विभाग ने भी शिक्षक की तारीफ की है. इतना ही नहीं नीति आयोग ने पिछड़े जिलों की शिक्षा को सुधार करने के लिए जो अभियान चलाया है, उसमें भी इस शिक्षक के प्रयास को शामिल किया गया है.

स्कूल के हेड मास्टर संतोष लोधी के प्रयासों का ही फल है कि यहां पर पढ़ाने वाले अन्य शिक्षक भी बच्चों को इसी तरह से पढ़ाते हैं और बच्चे भी उनके द्वारा पढ़ाए गए पाठ को अच्छी तरह से याद कर लेते हैं. अभी वर्तमान में स्कूल बंद हैं. इन शिक्षकों का ही प्रयास है कि ये बच्चे फर्राटेदार जिंदगी का पाठ पढ़ते नजर आते हैं. बच्चे कहते हैं कि उनको इस स्कूल में पढ़ने में मजा आता है. यही कारण है कि बच्चे पाठ को जल्दी सीख जाते हैं.

प्राइमरी स्कूल के हेड मास्टर और शिक्षक से केवल बच्चे ही खुश नहीं हैं, बल्कि इस गांव के ग्रामीण भी उतने ही खुश हैं. इन लोगों का कहना है कि जब से मास्टर साहब इस स्कूल में पढ़ाने के लिए आए हैं, तब से उनके बच्चों का विकास अच्छा हुआ है. बच्चों का रिजल्ट भी सुधरा है और बच्चे खेल-खेल में बहुत कुछ सीख भी रहे हैं. अमूमन देखा जाता है कि शिक्षकों के रवैये से गांव के लोग खफा रहते हैं, लेकिन यहां पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के इस नवाचार के कारण गांव के लोग भी खुश हैं. इस प्रोजेक्ट के लिए 4 मशीन बनाने में करीब 300 मीटर कपड़े का प्रयोग भी शिक्षकों के द्वारा किया गया है. जिसमें उन्होंने एबीसीडी के साथ गणित के सवाल और कहानियों को समावेशित किया है. जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़कर सीख रहे हैं.

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