दमोह। हटा के बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को कड़ी फटकार लगाते हुए दमोह एसपी और डीजीपी के शपथ पत्र खारिज कर दिए हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में एसपी की जांच कराने के आदेश दिए हैं.
पथरिया से बसपा की महिला विधायक रामबाई परिहार को सुप्रीम कोर्ट से एक और तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने आज देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में सुनवाई करते एक बार फिर पुलिस महानिदेशक को कड़ी फटकार लगाई है. आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और दमोह एसपी हेमंत चौहान द्वारा अपने अधिवक्ताओं के जरिए पेश किए गए शपथ पत्र व 140 पेज की रिपोर्ट खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में लेख किया है कि आपकी यह रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि आपका शपथ पत्र और जांच रिपोर्ट हमारे किसी काम की नहीं है. हमने आपसे आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए कहा था, रिपोर्ट पेश करने के लिए नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने हटा एडीजे द्वारा पिछले महीने पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट को सही ठहराते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं.
सुरक्षा के साथ कैसे हुआ फरार
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से पूछा कि 31 जुलाई 2020 को उन्होंने पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद परिहार को जो सुरक्षा मुहैया कराई थी. वह वापस ली है या नहीं? यह स्पष्ट करें और इसके लिए अलग से शपथ पत्र पेश करें. कोर्ट ने कहा है कि गोविंद सिंह सुरक्षा के साथ कैसे फरार हो गया? जबकि उसकी निगरानी के लिए सुरक्षा गार्ड मुहैया कराए गए थे. कोर्ट ने कहा की स्टेट की पूरी मशीनरी फेल हो गई है. यहां के हालात बदतर हैं.
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एसपी की जांच करेंगे चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट के जज ने पुलिस महानिदेशक की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस महानिदेशक ने दमोह एसपी हेमंत चौहान को क्लीन चिट दी थी. कोर्ट ने कहा है कि यह रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है. दमोह एसपी को दी गई क्लीन चिट को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में एसपी की जांच कराए जाने के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप एसपी को क्लीन चिट देने वाले होते कौन हैं.
आप गिरफ्तार करें नहीं तो दूसरी एजेंसी को देंगे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगली सुनवाई 5 अप्रैल के पूर्व हर हाल में आरोपी गोविंद सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए. अगर प्रदेश पुलिस आरोपी गोविंद सिंह परिहार को गिरफ्तार करने में अक्षम है तो वह स्पष्ट बताएं, ऐसे में दूसरी एजेंसी से गिरफ्तारी कराई जाएगी.
क्यों सख्त हुआ कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पिछले दिनों एसटीएफ के एडीजीपी विपिन माहेश्वरी दमोह आए थे. उन्होंने एसडीओपी हटा, एडीजे कोर्ट में पदस्थ मोहर्रम, आरोपी पक्ष के अधिवक्ता, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक के बयान लिए थे. उसी के आधार पर 140 पेज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को फटकार लगाते हुए कहा की हमने आरोपी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे. यह रिपोर्ट पेश करने के लिए नहीं. यह नाटक बंद करें और आरोपी को गिरफ्तार करें.
हाई कोर्ट ने पेशी बढ़ाई
उधर दूसरी ओर हाईकोर्ट ने भी 2 आवेदनों पर सुनवाई न कर पेशी बढ़ा दी है. इसी मामले के सह अभियुक्त श्रीराम शर्मा की ओर से लगाई गई जमानत याचिका के तहत गोविंद सिंह को अभियुक्त बनाए जाने को लेकर गिरफ्तारी पर रोक लगाने की दूसरी याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई न कर पेशी बढ़ा दी है.