दमोह। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचने के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारें अनेकों योजनाएं संचालित कर रही हैं. बावजूद इसके ग्रामीणों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा. खस्ताहाल उप स्वास्थ्य केंद्रों से संचालित स्वास्थ्य सेवाएं भी लचर बनी हुई हैं.
नाम के लिए तो उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. ऐसा ही हाल है, जबेरा सीएचसी के उप स्वास्थ्य केंद्र सिग्रामपुर का है, जहां बीते 31 मार्च 2018 में उप स्वास्थ्य केंद्र भवन में आग लगने की वजह से भारी क्षति हुई थी. फर्नीचर सहित पूरा का पूरा स्वास्थ्य केंद्र भीषण आग में तबाह हो गया था, लेकिन तीन साल का समय बीतने के बाद भी स्वास्थ्य केंद्र यथा स्तिथि में राख का ढेर बना पड़ा हुआ है. जिसके सुधार कार्य की सुध तक मुख्य चिकित्साधिकारी ने नहीं ली है. नतीजन स्वास्थ्य केंद्र के एक कमरा शेष बचा है जो बैठने उठने के लायक है लेकिन स्वास्थ्य केंद्र के एक कमरे में फर्नीचर पर दवाओं के स्टॉक रखा रहता है.
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बैठने तक के लिए जगह नहीं
जिसके चलते जब गांव की गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य चेकप के लिए सिग्रामपुर उप स्वास्थ्य केंद्र आती हैं तो उनके बैठने तक के लिए जगह नहीं होती है. बारिश पानी धूप में खुले मैदान में बैठी-बैठी घरों को लौट जाती हैं. यहां तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में जच्चा-बच्चा तक को स्वास्थ्य सेवाएं ठीक तरह से नहीं मिल पा रही है. टीकाकरण के लिए आईं शिशुवती महिलाएं और शिशु को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. महिलाएं किशोरी बालिकाएं घण्टों तक बाहर बैठकर अपने चेकप का इंतजार करती रहती हैं क्योंकि कम जगह के चलते मरीजों को एक साथ जाकर आराम से बैठकर उपचार करवाने तक कि जगह उप स्वास्थ्य केंद्र में जगह नहीं है.
नहीं हुई कोई सुनवाई
सीबीएमओ जबेरा डी के राय का कहना है कि सिग्रामपुर उप स्वास्थ्य केंद्र के सुधार के लिए सीएचएमओ दमोह के लिए प्रस्ताव भेज चुका हूं. वहीं नवीन उप स्वास्थ्य केंद्र के नवीन भवन निर्माण की कार्रवाई तीन साल के लिए प्रस्तावित की गई थी.