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राष्ट्रपति के कार्यक्रम के बाद मचा बवाल, गोपाल भार्गव के समर्थक हुए लाल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर गोपाल भार्गव का नाम ना होने पर भार्गव समर्थकों के बीच नाराजगी है.

Gopal Bhargava
गोपाल भार्गव
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Published : Mar 8, 2021, 12:25 PM IST

दमोह। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन पर वितरित किए गए आमंत्रण पत्र में जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव को स्थान न दिए जाने का ब्राह्मण समाज और सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है. इस विरोध के बाद मामले को शांत करने के लिए प्रभारी मंत्री भार्गव को खुद ही मैदान में आकर सफाई देना पड़ी है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 6 को जबलपुर और 7 को सिंग्रामपुर आए हुए थे. यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर भूमि पूजन व लोकार्पण किए, लेकिन इन कार्यक्रमों के बीच कुछ ऐसा घटित हुआ जिसने सड़क से लेकर सोशल मीडिया और गली चौराहों तक पूरे मामले का रुख ही बदल दिया. दरअसल सागर जिले की रहली विधानसभा से आठवीं बार निर्वाचित हुए गोपाल भार्गव प्रदेश की कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री हैं. साथ ही वह दमोह जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. इस हिसाब से उन्हें राष्ट्रपति के आगमन में पर वितरित किए गए आमंत्रण पत्रों व कार्यक्रम में मंच पर आमंत्रित किया जाना था.

Gopal Bhargava gave clarification
गोपाल भार्गव ने दी सफाई

गोपाल भार्गव ने दी सफाई

आम जन तक जब यह समाचार पहुंची की बीजेपी के कद्दावर नेता और वरिष्ठ मंत्री का अनादर हुआ है और उन्हें न तो कार्यक्रम में महामहिम के साथ मंच पर स्थान दिया गया और न ही कार्डों में उनका नाम दिया गया है. जिसके बाद ब्राह्मण समाज में जमकर आक्रोश व्याप्त हो गया. सोशल मीडिया पर कई तरह की पोस्ट सामने आई. जिसमें बीेजपी सरकार को विधानसभा उपचुनाव में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई. इसके अलावा चौराहों और सड़कों पर भी लोग दिनभर इस विषय पर बात करते और अपना रोष जताते दिखे. खासकर भार्गव समर्थकों में जमकर आक्रोश था. जब यह पूरा मामला शाम होते-होते तक कैबिनेट मंत्री भार्गव के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत ही मामले की गंभीरता को समझते हुए पूरे मामले को स्पष्ट करते हुए सफाई दी.

महंगाई पर PWD मंंत्री का बयान, क्रूड ऑयल की वजह से बढ़े दाम

क्या क्या हुआ दिनभर

रवि प्रकाश गोस्वामी ने दिनेश राय की एक पोस्ट तैयारी की है, जिसमें लिखा है दमोह से 118 किलोमीटर दूर खुरई के मंत्री को आमंत्रण लेकिन प्रभारी मंत्री को नहीं, यह सोचने वाली बात है. ठीक यही पोस्ट नयन जयन और अनुराग जैन ने भी फेसबुक पर शेयर की है. ग्राम बांसा कि रोहित गुलेरिया ने एक पोस्ट शेयर की है जिसमें लिखा है प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव का अपमान नहीं सहेगा ब्राह्मण समाज. ठीक इसी तरह की कई अन्य पोस्टर लोगों ने सोशल मीडिया पर डाल कर अपना रोष जताया है. मंत्री भार्गव के करीबी समर्थकों ने भी अपना रोष प्रकट किया है. जिसके बाद यह मामला सीधा वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील होता दिखा. बात आगे बढ़ती इससे पहले ही पंडित भार्गव ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

क्या कहा मंत्री भार्गव ने


मंत्री भार्गव ने लिखा है कि मुझे ज्ञात हुआ कि महामहिम राष्ट्रपति के दमोह दौरे पर मेरी अनुपस्थिति को लेकर सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों से गलतफहमी फैली है. बिना वास्तविक जानकारी के अनावश्यक रूप से इस प्रकार की गलतफहमी अप्रिय और नुकसान स्थिति बन जाती है. भार्गव ने आगे लिखा किया है कि उन्हें महामहिम के कार्यक्रम प्रतिनिधि के रूप में मिनिस्टर इन वोटिंग हेतु नामांकित किया गया था, लेकिन वह स्वास्थ्य गत कारणों से उसमें शामिल नहीं हो सकते थे. इसलिए उन्होंने एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री महोदय को इस संबंध में अवगत करा दिया था. इसलिए उनके स्थान पर मंत्री कांवरे को मिनिस्टर इन वोटिंग चुना गया. भार्गव ने वह दो पत्र भी जारी किए हैं, जिनमें उन्हें बतौर प्रतिनिधि चुना गया था.

दमोह। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन पर वितरित किए गए आमंत्रण पत्र में जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव को स्थान न दिए जाने का ब्राह्मण समाज और सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है. इस विरोध के बाद मामले को शांत करने के लिए प्रभारी मंत्री भार्गव को खुद ही मैदान में आकर सफाई देना पड़ी है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 6 को जबलपुर और 7 को सिंग्रामपुर आए हुए थे. यहां उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर भूमि पूजन व लोकार्पण किए, लेकिन इन कार्यक्रमों के बीच कुछ ऐसा घटित हुआ जिसने सड़क से लेकर सोशल मीडिया और गली चौराहों तक पूरे मामले का रुख ही बदल दिया. दरअसल सागर जिले की रहली विधानसभा से आठवीं बार निर्वाचित हुए गोपाल भार्गव प्रदेश की कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री हैं. साथ ही वह दमोह जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. इस हिसाब से उन्हें राष्ट्रपति के आगमन में पर वितरित किए गए आमंत्रण पत्रों व कार्यक्रम में मंच पर आमंत्रित किया जाना था.

Gopal Bhargava gave clarification
गोपाल भार्गव ने दी सफाई

गोपाल भार्गव ने दी सफाई

आम जन तक जब यह समाचार पहुंची की बीजेपी के कद्दावर नेता और वरिष्ठ मंत्री का अनादर हुआ है और उन्हें न तो कार्यक्रम में महामहिम के साथ मंच पर स्थान दिया गया और न ही कार्डों में उनका नाम दिया गया है. जिसके बाद ब्राह्मण समाज में जमकर आक्रोश व्याप्त हो गया. सोशल मीडिया पर कई तरह की पोस्ट सामने आई. जिसमें बीेजपी सरकार को विधानसभा उपचुनाव में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी गई. इसके अलावा चौराहों और सड़कों पर भी लोग दिनभर इस विषय पर बात करते और अपना रोष जताते दिखे. खासकर भार्गव समर्थकों में जमकर आक्रोश था. जब यह पूरा मामला शाम होते-होते तक कैबिनेट मंत्री भार्गव के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत ही मामले की गंभीरता को समझते हुए पूरे मामले को स्पष्ट करते हुए सफाई दी.

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क्या क्या हुआ दिनभर

रवि प्रकाश गोस्वामी ने दिनेश राय की एक पोस्ट तैयारी की है, जिसमें लिखा है दमोह से 118 किलोमीटर दूर खुरई के मंत्री को आमंत्रण लेकिन प्रभारी मंत्री को नहीं, यह सोचने वाली बात है. ठीक यही पोस्ट नयन जयन और अनुराग जैन ने भी फेसबुक पर शेयर की है. ग्राम बांसा कि रोहित गुलेरिया ने एक पोस्ट शेयर की है जिसमें लिखा है प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव का अपमान नहीं सहेगा ब्राह्मण समाज. ठीक इसी तरह की कई अन्य पोस्टर लोगों ने सोशल मीडिया पर डाल कर अपना रोष जताया है. मंत्री भार्गव के करीबी समर्थकों ने भी अपना रोष प्रकट किया है. जिसके बाद यह मामला सीधा वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील होता दिखा. बात आगे बढ़ती इससे पहले ही पंडित भार्गव ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

क्या कहा मंत्री भार्गव ने


मंत्री भार्गव ने लिखा है कि मुझे ज्ञात हुआ कि महामहिम राष्ट्रपति के दमोह दौरे पर मेरी अनुपस्थिति को लेकर सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों से गलतफहमी फैली है. बिना वास्तविक जानकारी के अनावश्यक रूप से इस प्रकार की गलतफहमी अप्रिय और नुकसान स्थिति बन जाती है. भार्गव ने आगे लिखा किया है कि उन्हें महामहिम के कार्यक्रम प्रतिनिधि के रूप में मिनिस्टर इन वोटिंग हेतु नामांकित किया गया था, लेकिन वह स्वास्थ्य गत कारणों से उसमें शामिल नहीं हो सकते थे. इसलिए उन्होंने एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री महोदय को इस संबंध में अवगत करा दिया था. इसलिए उनके स्थान पर मंत्री कांवरे को मिनिस्टर इन वोटिंग चुना गया. भार्गव ने वह दो पत्र भी जारी किए हैं, जिनमें उन्हें बतौर प्रतिनिधि चुना गया था.

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