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दमोह: स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी तालाब की गंदगी, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

स्थानीय लोगों के लिए जो तालाब कभी जल संरक्षण के बड़े साधन हुआ करते थे वही आज जिला प्रशासन और नगर पालिका की लापरवाही की वजह से डस्टबिन बनते जा रहे हैं.

तालाब की गंदगी बनी स्थानीय लोगों की मुसीबत
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Published : May 8, 2019, 6:18 PM IST

दमोह। स्थानीय लोगों के लिए जो तालाब कभी जल संरक्षण के बड़े साधन हुआ करते थे वही आज जिला प्रशासन और नगर पालिका की लापरवाही की वजह से डस्टबिन बनते जा रहे हैं. गंदगी से भर चुके इन तालाबों की साफ- सफाई और इनके जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय लोग ने कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

तालाब की गंदगी बनी स्थानीय लोगों की मुसीबत

शहर के पुराना तालाब, दीवान जी की तलैया, फुटेरा तालाब सहित कुछ और ऐसे तालाब हैं, जो दमोह के लिए जीवनदायिनी माने जाते हैं. इन तालाबों के किनारों पर लोग सुबह से देर शाम तक आकर कपड़े धूलने के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिए इस पानी का प्रयोग करते हैं. यह तालाब इतने गंदे हैं कि इसकी तरफ नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं देता.
कुछ साल पहले इन तालाबों की सफाई का अभियान चलाया गया था. लेकिन तालाबों का पानी निकाले जाने के बाद तालाबों के गहरीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. ऐसे हालात में जब यह तालाब हर तरह से स्थानीय निवासियों की जल की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं तो इस पर प्रशासन को जरूर ध्यान देना चाहिए.

दमोह। स्थानीय लोगों के लिए जो तालाब कभी जल संरक्षण के बड़े साधन हुआ करते थे वही आज जिला प्रशासन और नगर पालिका की लापरवाही की वजह से डस्टबिन बनते जा रहे हैं. गंदगी से भर चुके इन तालाबों की साफ- सफाई और इनके जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय लोग ने कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

तालाब की गंदगी बनी स्थानीय लोगों की मुसीबत

शहर के पुराना तालाब, दीवान जी की तलैया, फुटेरा तालाब सहित कुछ और ऐसे तालाब हैं, जो दमोह के लिए जीवनदायिनी माने जाते हैं. इन तालाबों के किनारों पर लोग सुबह से देर शाम तक आकर कपड़े धूलने के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिए इस पानी का प्रयोग करते हैं. यह तालाब इतने गंदे हैं कि इसकी तरफ नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं देता.
कुछ साल पहले इन तालाबों की सफाई का अभियान चलाया गया था. लेकिन तालाबों का पानी निकाले जाने के बाद तालाबों के गहरीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. ऐसे हालात में जब यह तालाब हर तरह से स्थानीय निवासियों की जल की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं तो इस पर प्रशासन को जरूर ध्यान देना चाहिए.

Intro:तालाब की जिंदगी से जूझ रहे स्थानीय लोग लोगों में आक्रोश नहीं होती सफाई

शहर के बीचोबीच स्थित यह तालाब आसपास के हजारों भूमिगत जल स्रोत को करते हैं रिचार्ज

हर दिन हजारों लोग आकर करते हैं स्तानी तालाबों का दैनिक उपयोग के लिए प्रयोग

Anchor. दमोह शहर के मध्य में स्थित कुछ तालाब दमोह के लोगों के लिए जीवन रेखा माने जाते हैं, क्योंकि यह तालाब लोगों के दैनिक कार्यों के लिए जल उपलब्ध कराते हैं. जब हम इन तालाबों को देखते हैं तो पता चलता है कि यह तालाब गंदगी से लबरेज है. इनका पानी काफी गंदा है. इतना ही नहीं यही पानी भूमिगत जल स्रोतों को भी रिचार्ज करता है. जो लोगों के घरों में मौजूद हैं. जिनमें भूमि एवं हैंड पंप बोरवेल शामिल है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस और नगर पालिका प्रशासन ध्यान नहीं देता. जिससे तालाबों की गंदगी आज भी कायम है.


Body:Vo. दमोह शहर के पुराना तालाब, दीवान जी की तलैया, फुटेरा तालाब सहित अन्य से कुछ तालाब है जो दमोह की जीवन रेखा माने जाते हैं. इन तालाबों का पानी भूमिगत जल स्रोतों को रिचार्ज करने का काम भी करता है. इतना ही नहीं इन तालाबों के किनारों पर लोग सुबह से देर शाम तक आकर कपड़ों की धुलाई सहित अन्य उपयोग में इस पानी को करते हैं. इसके बावजूद यह तालाब इतने गंदे हैं जिनकी ओर नगर पालिका प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं देता. कुछ साल पहले इन तालाबों की सफाई का अभियान चलाया गया था. लेकिन तालाबों का पानी निकाले जाने के बाद तालाबों के गहरीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. जिससे तालाब आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं.

बाइट अनिल ठाकुर

बाइट राजेश असाटी


Conclusion:Vo. जल संकट से लगातार जूझ रहे दमोह के लोगों के लिए यह तालाब हमेशा ही वरदान साबित होते रहे हैं. लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा इन तालाबों के संरक्षण या इनके सौंदर्य करण की ओर ध्यान नहीं दिया जाना, लापरवाही को उजागर करता है. ऐसे हालात में जब यह तालाब हर तरह से स्थानीय निवासियों की जल की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं. इस पर प्रशासन को ध्यान देना लाजमी हो जाता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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