दमोह। स्थानीय लोगों के लिए जो तालाब कभी जल संरक्षण के बड़े साधन हुआ करते थे वही आज जिला प्रशासन और नगर पालिका की लापरवाही की वजह से डस्टबिन बनते जा रहे हैं. गंदगी से भर चुके इन तालाबों की साफ- सफाई और इनके जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय लोग ने कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.
शहर के पुराना तालाब, दीवान जी की तलैया, फुटेरा तालाब सहित कुछ और ऐसे तालाब हैं, जो दमोह के लिए जीवनदायिनी माने जाते हैं. इन तालाबों के किनारों पर लोग सुबह से देर शाम तक आकर कपड़े धूलने के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिए इस पानी का प्रयोग करते हैं. यह तालाब इतने गंदे हैं कि इसकी तरफ नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं देता.
कुछ साल पहले इन तालाबों की सफाई का अभियान चलाया गया था. लेकिन तालाबों का पानी निकाले जाने के बाद तालाबों के गहरीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. ऐसे हालात में जब यह तालाब हर तरह से स्थानीय निवासियों की जल की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं तो इस पर प्रशासन को जरूर ध्यान देना चाहिए.